दिल्ली देश के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों को अगर लगातार देखें तो देश के अन्य शहरों की तुलाना में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार खराब श्रेणी में बना हुआ है। अक्तूबर से लेकर दिसंबर और जनवरी तक दिल्ली की हवा में प्रदूषण कम नहीं होता है। सड़क से संसद तक दिल्ली के प्रदूषण पर चर्चा होती है।

प्रदूषण केंद्र शासित प्रदेश और केंद्र का ही मुद्दा नहीं हैं। प्रदूषण का असर, यहां रहने वाले लोगों की सेहत पर भी पड़ता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर पीएम.25 की मौजूदगी हवा में ज्यादा है तो आपकी सेहत के लिए यह ठीक नहीं है। पीएम 2.5 का मतलब है कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर है। आसान भाषा में इन्हें सूक्ष्म कण कहते हैं, जिनका आकार इतना सूक्ष्म होता है कि ये 2.5 मइक्रोमीटर से भी कम होता है। 

ये सूक्ष्म कण आपके शरीर के लिए बेहद नुकसानदेह हैं। संसद में सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से सवाल पूछा है कि दिल्ली के प्रदूषण की रोकथाम के लिए सरकार कर क्या रही है।  उन्होंने सवाल पूछा है कि प्रदूषण का सार्वजनिक जीवन पर असर क्या पड़ रहा है।

सवाल क्या-क्या हैं?
- क्या सरकार दिल्ली में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर और इसके प्रभाव से वाकिफ है?
- दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार के प्रदूषण फंड का इस्तेमाल कितना किया है?
- अगर फंड का इस्तेमाल नहीं किया है तो ऐसा न करने का आधार क्या था?
- क्या सरकार की नीतियों की वजह से हवा खराब हुई है?
- सरकार ने इसे दुरुस्त करने के लिए कदम क्या उठाए हैं?

प्रदूषण क्यों होता है? पढ़ें मंत्रालय का जवाब
पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण कई वजहों से होता है। औद्योगिक प्रदूषण, निर्माण, बायोमास, लैंडफिल साइट में आग की वजह से भी प्रदूषण फैलता है। मानसून के बाद सर्दी में तापमान के कम होने और हवा के स्थिर हो जाने की वजह से प्रदूषण बना रहता है। पराली और पटाखों की वजह से यह और बिगड़ जाता है।

प्रदूषण का सेहत पर असर क्या?
पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक प्रदूषण की वजह से श्वसन संबंधी बीमारियां हो रही हैं। प्रदूषण से इतर लाइफस्टाइल की वजह से भी लोग बीमार पड़ते हैं। मंत्रालय ने कहा है कि बीमारी के अन्य वजहें खान-पान, सामाजिक आर्थिक स्थिति, चिकित्सा स्थिति भी है। 

प्रदूषण पर कितना खर्च करती है सरकार?
पर्यावरण मंत्रालय ने बताया है कि नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) के तहत दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के जरिए केंद्र सरकार ने दिल्ली नगर निगम को यह धनराशि जारी की है। ये आंकड़े 19.11.2024 तक के जुटाए गए हैं। दिल्ली नगर निगम में फिलहाल आम आदमी पार्टी की सत्ता है। वित्त वर्ष 2021-2022  में सरकार ने 11.25 करोड़ रुपये जारी किए थे। साल 2022-23 के बीच 22.50 करोड़ रुपये, 2023-24 में 8.9 करोड़ रुपये जारी किए थे। अब तक कुल राशि 42.69 करोड़ रुपये है। इसमें से दिल्ली सरकार ने साल 2021-22 में कितना खर्च किया, इसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। साल 2022-23 के बीच 7.5 करोड़ रुपये खर्च किए। साल 2023-24 के बीच 5.05 करोड़ रुपये और साल 2024 से 2025 के बीच में 0.96 करोड़ रुपये। कुल आंकड़ा 13.56 करोड़ रुपये ही सरकार खर्च कर सकी है।

कब मंत्रालय की ओर से जारी होता है फंड?
साल 2021-2022 से 130 नॉन अटेनमेंट सिटी (NAC) को उनके काम के आधार पर फंड जारी होता है। 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले 42 शहरों को फंड जारी किया गया है। इसके खर्च का ब्यौरा वित्त आयोग की अंतिम रिपोर्ट के अध्याय 7 में है। शहरों के कामकाज और उनके स्कोर का CPCB वार्षिक आधार पर मूल्यांकन करता है। जिन शहरों का स्कोर 40 से कम होता है, उन्हें धनराशि नहीं जारी की जाती है। 

 

केंद्र सरकार ने प्रदूषण रोकने के लिए क्या किया?
मंत्रालय ने बताया है कि दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए क्या-क्या कदम केंद्र की ओर से उठाए गए हैं। मंत्रालय ने प्रदूषण कीवजहों को गिनाते हुए कहा है कि अब तक कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने 81 निर्देश, 14 एडवाइजरी प्रदूषण की रोकथाम के लिए जारी की है। 

पंजाब और दूसरे राज्य सरकारों को भी प्रदूषण के सामान्य वजहों पर आगाह किया है। पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और दिल्ली सरकार को साल 2021 से लेकर अब तक हर साल पराली की घटनाओं को रोकने के लिए बार-बार निर्देशित किया जाता है।  

प्रदूषण रोकने के लिए ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) लागू किया जाता है, जिससे प्रदूषण थमे। सरकार ने कुछ अन्य उपाय भी बताए हैं कि कैसे सरकार प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली सरकार की मदद करती है। सरकार ने बताया है कि उनकी ओर दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने पर क्या किया जाता है। 

- हवा की गुणवत्ता पर नजर और CPCB के निर्देशों का पालन
- ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान के तहत प्रतिबंधों का चरण दर चरण पालन
- दिल्ली एनसीआर और आसपास के राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकना
- किसानों से पराली खरीदना, मशीनरी को लेकर आर्थिक सहायता करना
- गाड़ियों से होने वाले उत्सर्जन को रोकना
- CAQM के निर्देश पर कुछ तरह की गाड़ियों को दिल्ली आने से रोकना, जिनकी वजह से प्रदूषण होता है।
- उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्टों को रोकना
- निर्माण-विध्वंस गतिविधियों पर रोक लगाना
- नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम को बढ़ावा देना। 
- एक पेड़ मां के नाम योजना की शुरुआत।