अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होने जा रही है और जिन लोगों ने अब तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था, उनके लिए आज से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है। प्रशासन की ओर से बनाए गए खास सेंटरों पर आज बड़ी तादाद में श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन कराने पहुंचे। इस बार यात्रा बालटाल और पहलगाम दोनों रूट से शुरू होगी।
एक श्रद्धालु ने कहा कि इस बार लोगों में जबरदस्त जोश है। पहलगाम हादसे के बावजूद कोई डर नहीं है। यहां की व्यवस्थाएं भी काफी अच्छी हैं, प्रशासन पूरा साथ दे रहा है।' वहीं, एक और श्रद्धालु ने कहा, 'लोगों का जोश देखिए, अमरनाथ बाबा पर हमें पूरा भरोसा है। आतंकी कुछ भी कर लें, हम डरने वाले नहीं हैं। मैं सभी से कहना चाहता हूं कि अमरनाथ यात्रा पर जरूर आएं, ताकि हमारी सेना और सरकार को लगे कि हम डरने वाले नहीं हैं और आतंकियों की धमकियों का हम पर कोई असर नहीं होता।
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सरस्वती धाम में टोकन की व्यवस्था
एसडीएम साउथ मनु हंसा ने बताया, 'हम अमरनाथ यात्रा पर आए सभी श्रद्धालुओं का स्वागत करते हैं। सरस्वती धाम में टोकन देने की व्यवस्था शुरू कर दी गई है। जम्मू में यही एकमात्र टोकन केंद्र है जो बालटाल और पहलगाम, दोनों रास्तों के लिए टोकन देता है। इसके अलावा, रजिस्ट्रेशन के लिए हमने 3 जगहों पर केंद्र बनाए हैं और बालटाल और पहलगाम रूट के लिए 6-6 टोकन केंद्र भी बनाए गए हैं ताकि यात्रियों को किसी तरह की परेशानी न हो।'
जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर सख्त सुरक्षा
अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले, सीआरपीएफ ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए जम्मू-श्रीनगर हाईवे (NH-44) पर सख्त और कई स्तरों वाली सुरक्षा व्यवस्था लागू कर दी है। ये हाईवे अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले हजारों श्रद्धालुओं का मुख्य रास्ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए, सीआरपीएफ ने निगरानी और सुरक्षा बढ़ा दी है। हाईवे पर जगह-जगह जवानों की तैनाती की गई है, डॉग स्क्वॉड (K-9 टीम) भी लगाई गई है, और उधमपुर जैसे संवेदनशील इलाकों पर खास नजर रखी जा रही है।
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3 जुलाई से शुरू होगी यात्रा
तीर्थयात्रियों का पहला जत्था 2 जुलाई 2025 को जम्मू बेस कैंप से रवाना होगा, जबकि यात्रा आधिकारिक तौर पर 3 जुलाई से बालटाल और पहलगाम दोनों रूट्स से शुरू होगी। इससे पहले, सुरक्षा तैयारियों को परखने के लिए सेना, सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस और राज्य आपदा प्रबंधन टीम ने रविवार को जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर समरोली, टोलडी नाला इलाके में एक संयुक्त मॉक ड्रिल की।
इस अभ्यास में ये दिखाया गया कि अगर यात्रा के दौरान भूस्खलन जैसी कोई आपदा आ जाए, तो कैसे फंसे हुए वाहनों को निकाला जाएगा और घायलों को फौरन मदद दी जाएगी। यह मॉक ड्रिल रेस्क्यू ऑपरेशन, मेडिकल सहायता और एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल की जांच के लिए की गई थी।