अमेरिका लगातार भारत को परेशान करने वाले कदम उठा रहा है या यूं कहें कि हरकतें कर रहा है। इसके लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं। फिलहाल ट्रंप भारत को लेकर अपनी सनक मिजाजी वाली 'टैरिफ' नीति का इस्तेमाल कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से होने वाले आयात पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ (शुल्क) लगाने की घोषणा की है। इस टैरिफ का मतलब यह है कि अब भारत से अमेरिका में आने वाले सामान पर कुल 50% शुल्क लगेगा, जिससे भारत की कई कंपनियों को भारी नुकसान हो सकता है। अमेरिका अपने कदमों से भारत को आर्थिक चोट देने की भरपूर कोशिशें कर रहा है। इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत को 'Dead Economy' बता कर दुनिया में साख को धूमिल करना चा रहे हैं।
अमेरिका ने भारत के खिलाफ ये कोशिशे हाल के दिनों में तेज कर दी हैं। मगर, भारत को परेशान करने वाली हरकतें डोनाल्ड ट्रंप ही नहीं कर रहे हैं बल्कि इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति डो बाइडन भी ऐसे ही कोशिशें कर रहे थे। इससे से साफ है कि भारत को धेरने की साजिश केवल ट्रंप नहीं बल्कि अमेरिका की नीति ही बन चुकी है। टैरिफ के अलावा अमेरिका, भारत को उसके पड़ोसी देशों के जरिए भी घेरने को कोशिश कर रहा है और इस कोशिश में भारत के पड़ोसी देश अमेरिका का साथ भी दे रहे हैं।
भारत को घेरने में इस समय पाकिस्तान और बांग्लादेश सबसे आगे हैं। ये दोनों अस्थिर देश भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिका का भरपूर साथ दे रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि पाकिस्तान-बांग्लादेश के सहारे अमेरिका, भारत को कैसे परेशान कर रहा है....
यह भी पढ़ें: ट्रंप से मीटिंग के बाद पुतिन ने PM मोदी को किया फोन, क्या बात हुई?
ऑपरेशन सिंदूर में पाक के मदद
संयुक्त राज्य अमेरिका हमेशा भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ रणनीतिक संबंध बनाए रखता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ही अमेरिका ने रणनीतिक कूटनीतिक के तहत बार-बार दावा किया है कि उसने भारत के सामने 'ट्रेड' का दबाव बनाकर युद्धविराम करवाया। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप युद्धविराम की बात दर्जनों बार दोहरा चुके हैं। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद इसकी निंदा तो की लेकिन उन्होंने कभी इसमें पाकिस्तान के शामिल होने को लेकर बयान नहीं दिया है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी भारत और पाकिस्तान को समान रूप से एक तराजू पर तौलने की कोशिश की है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद लोन सैक्शन
जब भारत आतंक की खेती करने वाले पाकिस्तान से ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मुकाबला कर रहा था। भारतीय सेनाएं पाकिस्तान के अंदर तक घुसकर हमले कर उसके आतंकी ठिकानों और एयर बेसों को तबाह कर रहा था, तब उसकी मदद अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने की। IMF ने उसी दौरान भारत की कड़ी आपत्तियों के बावजूद पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर (8,000 करोड़ रुपये से ज्यादा) के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दे दी थी। यह बात पूरी दुनिया को पता है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष अमेरिका द्वारा वित्तपोषित संस्था है। आईएमएफ का पाकिस्तान को इतनी भारी-भरकम आर्थिक मदद करना वो भी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यह दर्शाता है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा है।
यह भी पढ़ें: इमरजेंसी के दौरान कराई गई नसबंदी में कितने लोगों ने गंवाई थी जान?
एक तरफ डोनाल्ड ट्रंप भारत और कई देशों के ऊपर टैरिफ थओप रहे हैं दूसरी तरफ पाकिस्तान को अरबों डॉलर की मदद करके उसे मजबूत कर रहे हैं। ट्रंप ने पाकिस्तान के ऊपर उस लिहाज से टैरिफ नहीं लगाया है, जबकि पाकिस्तान, अमेरिका के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी चीन का साथी है।
कहीं ना कहीं पाकिस्तान को अमेरिका का गुपचुप समर्थन प्राप्त है। अमेरिका द्वारा दिए गए पैसों का इस्तेमाल पाकिस्तान भारत में आतंकवादी गतिविधियां करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है।
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के पीछे अमेरिका?
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना हमेशा भारत के प्रति सॉफ्ट रवैया रखती थीं। कई मामलों में हसीना भारत का साथ भी देती थीं लेकिन अमेरिका ने एक लंबी-चौड़ी रणनीति के बाद 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना की सरकार गिरवा दी। अपनी सरकार गिरने और बांग्लादेश छोड़ने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अमेरिका पर उन्हें सत्ता से बेदखल करने का सीधा आरोप लगा था। हसीना ने कहा था कि सेंट मार्टिन द्वीप न देने के कारण उन्हें सत्ता से हटाने की योजना बनाई गई थी। उन्होंने कहा था कि सेंट मार्टिन द्वीप के मिलने से अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभाव जमाने में मदद मिलती।
बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन शुरू होने से पहले ही शेख हसीना ने संसद को बताया था कि अमेरिका उनके देश में सत्ता परिवर्तन की रणनीति बना रहा है। एक बैठक में हसीना ने अमेरिका का नाम लिए बिना कहा था कि उनसे कहा गया है कि अगर मैं उन्हें बंगाल की खाड़ी में सैन्य अड्डा बनाने देती हूं तो उनकी सरकार को कोई समस्या नहीं होगी। हसीना ने यह भी कहा था कि वे बंगाल की खाड़ी को युद्ध का मैदान नहीं बनने देंगी।
बांग्लादेश में कट्टरता बढ़ाने में US की भूमिका
उन्होंने बांग्लादेश के लोगों को आगाह किया कि वे कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएं। शेख हसीना ने छात्रों के उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद 5 अगस्त को पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया था। वे भारत में सुरक्षित स्थान पर रह रही हैं। शेख हसीना की सरकार गिराने के बाद अमेरिका ने देश की बागडोर 'बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी' को सौंप दी थी। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी देश में अल्पसंख्य हिंदुओं और भारत के प्रति नाकारात्मक रही है। वह बांग्लादेश में कट्टरता फैलाने में शामिल रही है। यही वजह है कि जब से बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन हुआ है तब से भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर स्मगलिंग, अवैध कारोबार में बढ़ोतरी हुई है। साथ ही यहां अशांति फैली है।
यूनुस के आने के बाद बॉर्डर पर टेंशन
शेख हसीना के सत्ता से बेदखल के बाद मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश सरकार का अंतरिम सलाहकार नियुक्त किया। मगर, जब से मोहम्मद यूनुस की सत्ता आई है जब से ही भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर तनाव होने लगा है। दोनों देशों के रिश्तों में भी तनाव देखने को मिला है, जबकि शेख हसीना के समय रिश्तों और बॉर्डर पर शांति कायम थी। यूनुस के आने पर भारत-बांग्लादेश के बीच सीमा पर बाड़ेबंदी को लेकर विवाद हो गया। बांग्लादेश ने भारत पर बिना अनुमति के तारबंदी करने का आरोप लगाया। हालांकि, भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उसने सभी नियमों का पालन किया है। मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना सरकार में बॉर्डर से जुड़े समझौतों पर भी कई बार सवाल उठाया।
इन घटनाक्रमों से समझा जा सकता है कि अमेरिका, भारत को पाकिस्तान और बांग्लादेश के सहारे परेशान करने की पहले से ही प्लानिंग कर रहा है। कहीं ना कहीं अमेरिका दोनों कट्टर देशों के सहारे भारत को परेशान कर भी रहा है...