केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान से भाषा पर नई राजनीति शुरू हो गई है। अमित शाह ने कहा, 'इस देश में एक ऐसा समाज बनेगा, जिसमें अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म महसूस होगी। अगर हम अपनी भाषाओं को नहीं अपनाते, तो हम सही मायनों में भारतीय नहीं कहला सकते।'


अमित शाह के इस बयान पर सियासत गरमा गई है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने X पर लिखा, 'अंग्रेजी बांध नहीं, पुल है। अंग्रेजी शर्म नहीं, शक्ति है। अंग्रेजी जंजीर नहीं, जंजीरें तोड़ने का औजार है।'


राहुल ने लिखा, 'BJP-RSS नहीं चाहते कि भारत का गरीब बच्चा अंग्रेजी सीखे, क्योंकि वे नहीं चाहते कि आप सवाल पूछें, आगे बढ़ें, बराबरी करें। आज की दुनिया में अंग्रेजी उतनी ही जरूरी है जितनी आपकी मातृभाषा, क्योंकि यही रोजगार दिलाएगी, आत्मविश्वास बढ़ाएगी।'

 


अमित शाह ने यह बयान जरूर अंग्रेजी पर दिया है लेकिन इसे तमिलनाडु से जोड़कर देखा जा रहा है। वह इसलिए, क्योंकि तमिलनाडु में हिंदी का सबसे ज्यादा विरोध होता है। और तो और, अगले साल तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव भी हैं, जहां हिंदी और भाषा बड़ा मुद्दा बन सकता है। उनके इस बयान पर एक हिंदी बनाम अंग्रेजी की एक नई बहस भी शुरू हो गई है। ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि भारत की कोई एक राष्ट्रीय भाषा नहीं है। 

 

यह भी पढ़ें-- अपनी आर्मी, अपनी एयरफोर्स; कितनी पावरफुल है ईरान की IRGC

भारत में अंग्रेजी बोलने वाले कितने?

सदियों पहले जब अंग्रेज भारत आए तो उनके साथ अंग्रेजी भी यहां आ गई। एशिया में आज भारत पहला देश है, जहां सबसे ज्यादा अंग्रेजी बोली जाती है।


भारत में कितने लोग अंग्रेजी बोलते हैं? इसे लेकर कोई ताजा आंकड़ा नहीं है। हालांकि, 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 69.12 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जो हिंदी बोलते हैं। इनमें से लगभग 53 करोड़ लोगों की पहली भाषा हिंदी ही है। 


वहीं, अंग्रेजी बोलने वालों की आबादी 12.85 करोड़ से ज्यादा है। इस हिसाब से भारत की 12.6 फीसदी आबादी ऐसी है, जो अंग्रेजी बोलती है। हालांकि, इनमें से सिर्फ 2.59 लाख लोग ही ऐसे हैं, जिनकी पहली भाषा अंग्रेजी है। जबकि, 8.27 करोड़ लोग अंग्रेजी को दूसरी भाषा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इनके अलावा 4.55 करोड़ से ज्यादा आबादी ऐसी है, जिनके लिए अंग्रेजी उनकी तीसरी भाषा है। यानी, ये वे लोग हैं, जो अंग्रेजी बोलते तो हैं लेकिन इनकी मातृभाषा कोई और है।


कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत में बहुत कम आबादी है, जो अंग्रेजी बोलती है। हालांकि, इसके बाद भी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी के बाद अंग्रेजी है।

 

यह भी पढ़ें-- ज्यादा पिज्जा यानी जंग की तैयारी, US की सीक्रेट थ्योरी कितनी सच है?

 

अंग्रेजी बोलने वाले कौन?

2011 की जनगणना के आंकड़े देखें जाएं तो सिर्फ 2.59 लाख भारतीय ही ऐसे हैं, जो अंग्रेजी को अपनी मातृभाषा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो यह भारत की कुल आबादी का महज 0.02% होता है। यानी, 10 हजार लोगों में से सिर्फ 2 लोग ही अंग्रेजी को पहली भाषा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।


आंकड़ों से पता चलता है कि सबसे ज्यादा अंग्रेजी बोलने वालों में महाराष्ट्र आगे है। भारत में जितने लोग अंग्रेजी बोलते हैं, उनमें से 41.07% महाराष्ट्र में हैं। तमिलनाडु में 9.43%, कर्नाटक में 8.94%, पश्चिम बंगाल में 5.76%, राजस्थान में 5.08%, उत्तर प्रदेश में 5.04%, आंध्र प्रदेश में 5.03%, गोवा में 3.76%, दिल्ली में 2.40%, बिहार में 1.79%, केरल में 1.72%, गुजरात में 1.63% और हरियाणा 1.48% की पहली भाषा अंग्रेजी है।

 

 

यह भी पढ़ें-- ईरान ने इजरायल पर दागे क्लस्टर बम, मची तबाही, कितने खतरनाक? समझिए

अमीरों की भाषा है अंग्रेजी?

अंग्रेज जब भारत आए तो उन्होंने यहां की शिक्षा नीति में भी बड़ा बदलाव किया। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले भारतीयों के लिए अंग्रेजी को जरूरी किया। इसकी जिम्मेदारी थॉमस मैकॉले को सौंपी गई। 


मैकॉले ने अंग्रेजी को दफ्तरों और अदालतों में जरूरी कर दिया। साथ ही स्कूलों और कॉलेजों में भी अंग्रेजी की पढ़ाई को जरूरी कर दिया। हालांकि, तब भी अंग्रेजी काफी सीमित ही रही। अंग्रेजी की पढ़ाई सिर्फ अमीरों या फिर समृद्ध लोगों तक ही सीमित रही। अंग्रेजी वही बोल और पढ़-लिख सकते थे, जो अमीर हुआ करते थे। इसने अमीर और गरीब की खाई को बढ़ा दिया। 


आज के समय में अंग्रेजी को एक 'स्टेटस सिंबल' के तौर पर देखा जाता है। जो अंग्रेजी में बात करता है या पढ़ता-लिखता है, उसे एक अलग नजर से देखा जाता है। जबकि, जो अंग्रेजी को नहीं समझ पाता या पढ़-लिख नहीं पाता, उसे हीन भावना की नजरों से देखा जाता है। यही बात 2019 में हुए लोक फाउंडेशन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सर्वे में भी सामने आई थी।


लोक फाउंडेशन के सर्वे में सामने आया था कि शहरों में रहने वाले 12% और गांवों में रहने वाले 3% लोग ही अंग्रेजी बोल पाते हैं। इनमें भी 41% लोग वे थे, जो रईस थे। इस सर्वे में यह भी सामने आया था कि ऊंची जाति के 11% लोग अंग्रेजी बोल और समझ सकते हैं। 

 

यह भी पढ़ें-- एक परमाणु युद्ध और 20 हजार साल पीछे हो जाएगी दुनिया, समझिए कैसे

अंग्रेजों से भी ज्यादा अंग्रेजी हैं भारतीय?

अगर अंग्रेजी बोलने वाली आबादी को संख्या के हिसाब से मापा जाए तो भारतीय, अंग्रेजी देने वाले अंग्रेजों से भी आगे है। भारत में करीब 12.85 करोड़ लोग अंग्रेजी में बोल सकते हैं। वहीं, यूनाइटेड किंगडम में 5.26 करोड़ लोग अंग्रेजी बोलते हैं। हालांकि, एक बात यह भी है कि यूनाइडेट किंगडम की आबादी 7 करोड़ से भी कम है। 


एक रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में 1.5 अरब लोग ऐसे हैं, जिनकी पहली भाषा अंग्रेजी है। दुनिया में सबसे ज्यादा अंग्रेजी अमेरिकी बोलते हैं। अमेरिका में 30 करोड़ से ज्यादा लोग अंग्रेजी बोलते हैं। एक तरह से देखा जाए तो दुनिया में अंग्रेजी बोलने वालों की संख्या अमेरिका के बाद भारत में सबसे ज्यादा है।


हालांकि, एक बात यह भी है कि अभी धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलने में भारतीय काफी पीछे हैं। अंग्रेजी पर काम करने वाला एजुकेशन ट्रस्ट EF हर साल इंग्लिश प्रोफिशिएंसी इंडेक्स (EPI) जारी करता है। इससे पता चलता है कि किस देश के कितने लोग धारा प्रवाह अंग्रेजी बोल सकते हैं। इस इंडेक्स में 116 देशों में भारत 69वें नंबर पर है। भारत 'लो प्रोफिशिएंसी' की कैटेगरी में आता है। यानी, यहां के लोग बहुत अच्छे से अंग्रेजी नहीं बोल पाते हैं। इस इंडेक्स में पाकिस्तान 67वें और बांग्लादेश 61वें नंबर पर आता है।