हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी, प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली, परिवहन मंत्री अनिल विज के बीच अनबन की खबरें सामने आ रही हैं। अनिल विज के खिलाफ पहले पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया और अब मुख्यमंत्री नायब सैनी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मंगलवार को मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक जेपी नड्डा और नायब सैनी के बीच अनिल विज के बयानों को लेकर चर्चा भी हुई। मोहन लाल बड़ौली ने ही अनिल विज को नोटिस जारी किया था। कहा जा रहा है कि नायब सैनी ने भी इसके लिए सहमति दी थी।
मनोहर लाल खट्टर, मोहन लाल बड़ौली, नायब सैनी ने भी आपस में बात की है। राज्य नेतृत्व ने अपना पक्ष रखा है। अब बारी अनिल विज की है। अनिल विज कई दिनों से बेंगलुरु में थे। मंगलवार देर रात ही वह बेंगलुरु से लौटे हैं। हरियाणा बीजेपी के नेताओं का कहना है कि अनिल विज खुलकर बोलते हैं, उनके तेवर नहीं बदलने वाले हैं। अनिल विज ने चंडीगढ़ में उतरते ही कहा था, 'मुझे नहीं पता कि यह नोटिस किसकी सहमति से दिया गया है।'
अनिल विज क्यों हाईकमान से मिलेंगे?
अनिल विज को राज्य बीजेपी चीफ की ओर से जो नोटिस मिला है, उसके जवाब में वह अपना पक्ष रखेंगे। बुधवार को ही उनका दिल्ली दौरा प्रस्तावित है। सूत्रों के मुताबिक अनिल विज हरियाणा विधानसभा चुनावों में अपने खिलाफ हुई कथित साजिश का जिक्र भी आलाकमान से कर सकते हैं।
अनिल विज बेंगलुरु में थे। उन्होंने चंडीगढ़ में शोकॉज नोटिस के जवाब में कहा था, 'मुझे पार्टी को जवाब देना है। मैं 3 दिनों से बेंगलुरु में था। घर जाऊंगा, ठंडे पानी से नहाऊंगा, रोटी खाऊंगा, फिर जवाब लिखकर हाईकमान को भेजूंगा।'
अनिल विज के खिलाफ क्या-क्या हो सकता है?
नायब सैनी और प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की थी। सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात में अनिल विज का भी मुद्दा उठा था। अगर अनिल विज पर दबाव दिया गया तो वह कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। पार्टी उनकी बयानबाजी पर एक्शन ले सकती है। वह अपने पक्ष में दलीलें रख सकते हैं और पार्टी नायब सैनी, बड़ौली और अनिल विज के बीच एक आम सहमति की राह तैयार सकती है।
क्या नतीजा निकलेगा अनिल विज और बड़ौली विवाद का?
हरियाणा बीजेपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अनिल विज की बीजेपी में मजबूत पकड़ है। वह लोकप्रिय नेता हैं और उनकी सीनियर नेताओं में होती है। वह हरियाणा के गृह मंत्री रह चुके हैं। मनोहर लाल खट्टर और नायब सैनी से कई मौकों पर उनके अनबन की खबरें सामने आईं लेकिन पार्टी में उनका कद कम नहीं हुआ।
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पार्टी अलाकमान सीएम नायब सैनी से विवाद खत्म करने की सलाह दे सकते हैं। अगर अनिल विज जैसे नेता पर कोई कड़ा एक्शन लिया जाता है तो उनके समर्थक धड़े के विधायक भी नाराज हो सकते हैं और इसका गलत संदेश जा सकता है। ऐसे में पार्टी की कोशिश यही होगी की जल्द से जल्द इस मामले को दबा दिया जाए।
बड़ौली, नायब सैनी से नाराज क्यों हैं अनिल विज?
मोहन लाल बड़ौली के खिलाफ हिमाचल प्रदेश में एक गैंगरेप के केस में FIR हुई थी। 18 जनवरी को अनिल विज ने कहा था कि मोहन लाल बड़ौली पर लगे आरोपों की जांच हो रही है, इसलिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। जब तक वह निर्दोष साबित नहीं हो जाते हैं, तब तक पार्टी की मर्यादा बचाए रखने के लिए उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।
अनिल विज यहीं नहीं रुके। 2 फरवरी को गोहना में उन्होंने कहा कि मोहन लाल बड़ौली को प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहिए। उन पर महिला से गैंगरेप के आरोप हैं, वह महिलाओं की मीटिंग कैसे ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी महिलाओं को तरजीह देती है, ऐसे में प्रदेश में गैंगरेप का आरोपी अध्यक्ष नहीं लग सका। उन्होंने आडवाणी का जिक्र करते हुए कहा था कि जब आडवाणी हवाला केस में फंसे थे तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
विज का पड़ला रहेगा भारी या बड़ोली का?
चाहे मनोहर लाल खट्टर से टकराव हो या नायब सैनी से, अनिल विज मुद्दों के इर्दगिर्द ही बात करते हैं। वह अधिकारियों की लापरवाही का मुद्दा उठाते हैं, विभागों के काम करने के तरीकों पर सवाल उठाते हैं, मंत्रालयों की अनदेखी की बात करते हैं। उन्होंने इस बार महिला सुरक्षा का मुद्दा उठाया है।
सूत्रों के मुताबिक भारतीय कुश्ती संघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर रेप के आरोप लगे। पार्टी ने उन्हें हाशिए पर किया और टिकट नहीं दिया। वजह यह थी कि बीजेपी महिला विरोधी छवि से बचना चाहती थी। मोहन लाल बड़ौली पर भी संगीन आरोप हैं। ऐसे में अगर बीजेपी उनके लिए अनिल विज पर गाज गिराती है तो इसका संदेश गलत जाएगा। अनिल विज इस मामले में सैद्धांतिक बात कर रहे हैं। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि अनिल बिज पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
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2014 से अब तक मुद्दा भांप कर बयान देते रहे हैं विज
अनिल विज ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने हमेशा पार्टी के भीतर के मुद्दों पर बेहद बेबाकी से अपनी बात रखी है। मनोहर लाल खट्टर सरकार में भी उनका कद बड़ा था। उनकी सरकार में गृहमंत्री जैसे पद पर रह चुके हैं। खुद मनोहर लाल खट्टर कह चुके हैं कि अनिल विज के मन में जो होता है, वह कह देते हैं, वह कभी नाराज नहीं होते हैं। बड़ौली विवाद पर उन्हें पार्टी सैद्धांतिक तौर पर गलत नहीं कह सकती है।
क्यों नायब सैनी से नाराज रहते हैं अनिल विज?
अनिल विज हरियाणा बीजेपी के सबसे सीनियर नेताओं में से एक हैं। अक्तूबर 2023 को जब मनोहर लाल खट्टर ने अपने पद से इस्तीफा दिया था, तब नायब सैनी को जिम्मेदारी मिली। अनिल विज सीनियर मंत्री थे, गृहमंत्रालय जैसे विभाग संभाल चुके थे, उन्हें तरजीह नहीं दी गई। अनिल विज और नायब सैनी की तब से नहीं बन रही है। जब अक्तूबर 2024 में चुनाव हुए तो उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि कुछ लोगों ने उन्हें चुनाव हराने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा था कि नायब सैनी जब से सीएम बने हैं, तब से उड़नखटोले पर ही हैं। उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठने की बात कही थी। 2 फरवरी को अनिल ने रोहतक में कहा था कि सीएम मंत्रियों की बात सुनें, सरकार को ठीक से चलाएं। वह मेरा पद ही बस छीन सकते हैं। उन्होंने इशारा किया कि वह जन नेता हैं, जनता ने उन्हें चुना है। वह इशारों ही इशारों में नायब सैनी को गद्दार बता चुके हैं।
अनिल विज और मनोहर लाल खट्टर की सियासी रार क्या है?
अनिल विज 7 बार के विधायक रह चुके हैं। मनोहर लाल खट्टर से भी उनकी नाराजगी की खबरें सामने आईं थीं। मनोहर लाल खट्टर ने साल 2023 में तत्कालीन मनोहर लाल खट्टर में साफ-साफ कह दिया था कि मुख्यमंत्री कार्यालय के लोग स्वास्थ्य विभाग में दखल दे रहे हैं। उन्होंने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। अनिल विज की हमेशा ये शिकायत रही कि वे पार्टी में बेहद सीनियर है लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। वह तब के नेता हैं, जब बीजेपी हरियाणा में संघर्ष कर रही थी।
दिसंबर 2020 में जब अनिल विज गृहमंत्री थे, तब उनके पास खुफिया विभाग हुआ था। मनोहर लाल खट्टर के साथ इस विभाग को लेकर टकराव हुआ था। उन्होंने कहा था कि अधिकारी नियमित ब्रीफिंग मुख्यमंत्री के साथ-साथ गृह मंत्रालय को भी दें। टकराव इतना बढ़ा कि दिल्ली तक मामला पहुंचा और CID विभाग मनोहर लाल खट्टर को मिल गया। अनिल विज के हाथों से शिक्षा और IT विभाग भी चला गया। उनकी जगह यह जिम्मेदारी मूलचंद शर्मा को दे दी गई। अनिल विज बेहद सक्रिय नेताओं में से एक हैं। वह जनता दरबार लगाते थे, कई बार उन्होंने इसे बंद भी किया। उनका कहना है कि अधिकारी उनकी सुन नहीं रहे हैं।