उत्तराखंड की 19 साल की अंकिता भंडारी की हत्या का मामला उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इस मामले में पूर्व बीजेपी नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य और उनके दो साथियों, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। यह फैसला शुक्रवार को अदालत ने सुनाया। अंकिता की हत्या 2022 में हुई थी और इस मामले ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। 47 गवाहों के बयान और व्हाट्सएप चैट इस मामले में सबसे बड़े सबूत बने। अभियोजन पक्ष के अनुसार, अंकिता पुलकित के रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थी, जहां उसका उत्पीड़न हुआ। उसे अश्लील काम करने के लिए प्रस्ताव दिए गए, जिसके कारण वह रिसॉर्ट छोड़ना चाहती थी। एक चैट में उसने लिखा था, ‘मैं गरीब हूं, लेकिन क्या मैं 10,000 रुपये के लिए खुद को बेच दूं?’

 

वहीं, बचाव पक्ष ने दावा किया कि अंकिता ने आत्महत्या की थी क्योंकि वह डिप्रेशन में थी और घर छोड़कर अपने दोस्त से शादी करना चाहती थी। लेकिन मेडिकल जांच ने साफ किया कि अंकिता की मौत दुर्घटना नहीं थी। उसे जबरदस्ती नहर में धक्का दिया गया था। 18 सितंबर 2022 की शाम को गवाहों ने उसे फोन पर रोते हुए सुना, जब वह कह रही थी, ‘मुझे यहां से ले जाओ।’ आखिरी बार उसे सीसीटीवी में पुलकित के साथ स्कूटर पर देखा गया। इस मामले ने महिलाओं की सुरक्षा और कार्यस्थल पर उत्पीड़न जैसे मुद्दों को फिर से उजागर किया।

 

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अचानक हो गई थी लापता?

अंकिता भंडारी 18 सितंबर 2022 को अचनाक लापता हो गई थी। छह दिन बाद, 24 सितंबर को उसका शव ऋषिकेश की एक नहर में मिला। अभियोजन पक्ष ने बताया कि अंकिता को रिसॉर्ट में काम के दौरान परेशान किया जा रहा था। व्हाट्सएप चैट से पता चला कि पुलकित और उसके साथी उसे अश्लील प्रस्ताव दे रहे थे।

 

वह इन सब से तंग आ चुकी थी और रिसॉर्ट छोड़ना चाहती थी। गवाहों ने बताया कि 18 सितंबर की शाम को अंकिता को फोन पर रोते हुए सुना गया। उसने अपने बैग को सड़क तक ले जाने के लिए स्टाफ से कहा था।

 

बाद में, उसे पुलकित के साथ स्कूटर पर और सौरभ भास्कर व अंकित गुप्ता को दूसरी मोटरसाइकिल पर रिसॉर्ट से निकलते देखा गया। पशुलोक बैराज के सीसीटीवी फुटेज में अंकिता को आखिरी बार पुलकित के स्कूटर पर पीछे बैठे देखा गया।

 

लास्ट सीन थियरी का लिया सहारा

मेडिकल जांच में साफ हुआ कि अंकिता की चोटें बताती हैं कि उसे नहर में तेजी से धक्का दिया गया था। यह कोई दुर्घटना नहीं थी। चूंकि हत्या का कोई प्रत्यक्ष गवाह नहीं था, इसलिए अदालत ने ‘लास्ट सीन थ्योरी’ का सहारा लिया।

 

इसका मतलब है कि अंकिता को आखिरी बार आरोपियों के साथ देखा गया, इसलिए हत्या का शक उन पर गया। अदालत ने कहा कि सबूतों की गुणवत्ता मायने रखती है, न कि उनकी संख्या। यह कोई दौड़ नहीं है कि कौन ज्यादा सबूत लाता है।

 

अदालत ने 2009 के दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सबूतों की कड़ी इतनी मजबूत होनी चाहिए कि वह सीधे आरोपियों की ओर इशारा करे।

 

47 गवाहों का बयान बना आधार

47 गवाहों के बयान, व्हाट्सएप चैट, मेडिकल सबूत और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अदालत ने साबित किया कि अंकिता की हत्या की गई थी। इसीलिए पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को उम्रकैद की सजा दी गई।