आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने साल 2020 के विधानसभा चुनावों में 28 चुनावी वादे किए थे। उन वादों में 3 वादे बेहद अहम थे। यमुना नदी की सफाई, विश्वस्तरीय सड़कें और यमुना रिवर साइड का विकास। अब अरविंद केजरीवाल ने खुद मान लिया है कि ये तीन वादे उनके अधूरे ही रहे।
अरविंद केजरीवाल ने एक चुनावी जनसभा में शनिवार को कहा, 'मैं 3 वादे करके गया था। मैं एक-एक वादे का पक्का हूं। या तो मैं पूरा करता हूं, या तो याद दिलाता हूं मैंने किया था लेकिन रह गया। और बहुत सारे वादे किए थे लेकिन 3 वादे मैं पूरे नहीं कर पाया।
अरविंद केजरीवाल के अधूरे वाले क्या हैं?
अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'मैंने कहा था मैं यमुना साफ करूंगा, मैं यमुना साफ नहीं कर पाया। मैंने कहा था कि हर घर को मैं 24 घंटे साफ पीने का पानी दूंगा। ऐसा पानी दूंगा कि जिसके बाद आरओ और फिल्टर की जरूरत न पड़े। टोटू से ग्लास लगाकर आप सीधे पानी पी सको। वह अभी रह गया है। तीसरी चीज मैंने कहा था कि दिल्ली की सड़कों पर शानदार यूरोपियन स्टैंडर्ड पर विकसित करेंगे। लेकिन उनमें काफी काम हो गया है।'
अधूरे वादों के लिए केजरीवाल कर क्या रहे हैं?
अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'यमुना की सफाई पर इतना काम हो चुका है कि आप 2 से 3 साल में साफ यमुना देखोगे। पीने का साफ पानी, राजेंद्र नगर के पांडव नगर कॉलोनी में शुरू हो गई है। 10 दिन पहले उद्घाटन करके आया हूं। वहां मैं खुद टोटी से सीधे पानी पीकर आया हूं। साफ पानी की शुरुआत राजेंद्र नगर से हो चुकी है। अभी ये पूरी दिल्ली के अंदर फैलेगा। हम सड़कों को ठीक करेंगे। यह अगले 5 साल के अंदर हम करेंगे।'

यमुना पर क्या वादा था?
अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था, 'यमुना नदी को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ हम केंद्र सरकार के साथ मिलकर यमुना पर एक सुंदर रिवर साइड का विकास करेंगे। यह यमुना इको सिस्टम को बनाए रखने और दिल्ली के लिए एक नया पर्टयन स्थल बनाने में भूमिका निभाएगा।'
सड़कों पर वादा क्या था?
अरविंद केजरीवाल ने चुनावी घोषणापत्र में कहा था, 'दिल्ली के लिए विश्वस्तरीय सड़कें बनाई जाएंगी। आधुनिक डिजाइन, सुंदर-सपाट और सुरक्षित सड़कें, विश्व स्तर के शहरों की सर्वोत्कृष्ट विशेषताएं हैं, जो अपने सभी उपयोगकर्ताओं की जरूरतों को पूरा करती हैं। दिल्ली सड़कों को भी इसी अनुरूप बनाया जाएगा, जिसकी शुरुआत अगले 1 साल के भीतर 40 किलोमीटर संबी सड़कों के पायलट प्रोजेक्ट के साथ होगी।'|

पानी पर वादा क्या था?
हर घर को 24 घंटे शुद्ध पीने के पानी की सुविधा। हर परिवार को 20 हाजर लीटर मुफ्त पानी की योजना जारी रहेगी।

इन वादों की हकीकत क्या?
अरविंद केजरीवाल ने खुद कहा है कि ये ऐसे वादे हैं, जिन्हें वह पूरा नहीं कर पाए हैं।
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अधूरे वादों का चुनाव में असर क्या?
दिल्ली के चुनाव में यमुना की सफाई का मुद्दा जोर-शोर से उठा है। चुनावों से पहले, शीतकालीन सत्र के दौरान ही आम आदमी पार्टी (AAP) की नाराज राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने संसद में कहा था, 'अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि यमुना को इतना साफ कर देंगे कि खुद डुबकी लगाएंगे। यमुना मैली ही रही।'
स्थानीय लोग भी अलग-अलग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि वादा था कि यमुना साफ हो जाएगी लेकिन दिल्ली के नाले तक साफ नहीं हो पाते हैं।
क्या ये जनता के लिए अहम मुद्दे हैं? जनता सोशल मीडिया पर तो इसे लेकर मुखर है लेकिन जमीन पर लोग इन्हें मुद्दा कम मानते हैं। दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले लोगों से जब खबरगांव ने बात की तो उनके जवाब स्पष्ट नजर नहीं आए।

कुछ लोगों का साफ कहना है कि यमुना की गंदगी मुद्दा तो है लेकिन चुनावी मुद्दा नहीं है कि इस पर दिल्ली के लोग वोट करें। पानी और सड़कों को लेकर भी लोगों का यही कहना है। सोशल मीडिया पर भी इसके खिलाफ बहुत आक्रोश नजर नहीं आ रहा है। गर्मी के दिनों में पानी का मुद्दा उठता है, पानी की किल्लत की खबरें सुर्खियों में आईं थीं। उस पर भी लोग पानी के मुद्दे को दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच उलझा हुआ मुद्दा कहते हैं। बाहरी दिल्ली की सड़कें और दिल्ली की कॉलोनियों में सड़कें बेहद खराब हैं। इन्हें लेकर स्थानीय लोग आक्रोशित तो हैं लेकिन तब भी यह चुनावी मुद्दा नहीं है।
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बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस भी आरोप लगाती रही है कि आम आदमी पार्टी सरकार यमुना की सफाई ही नहीं कराना चाहती है। कांग्रेस नेता अल्का लांबा अक्सर कहती हैं कि कांग्रेस के वक्त यमुना की सफाई शुरू हुई थी लेकिन सफाई के दावे आज तक किए जाते हैं, यमुना झूठ के तालाब में तब्दील हो गई है।
साल 2014 से ही अरविंद केजरीवाल दिल्ली के लिए 24 घंटे साफ पानी का वादा करते आए हैं। दिल्ली के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पीने का साफ पानी नहीं पहुंच पाता है। दिल्ली की झुग्गियों की स्थिति आज भी जस की तस है। कुछ जगहों पर बस पानी पहुंचा है। न्यू अशोक नगर से लेकर बाहरी दिल्ली तक पानी की स्थिति खराब है। यमुना में फीकल कॉलीफॉर्म, टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम(TSS) और बायोकेमिल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) तय मात्रा से कहीं ज्यादा है।