जम्मू और कश्मीर में मुख्यमंत्री आवास से महज 600 मीटर की दूरी पर कुछ आतंकी ग्रेनेड फेंकते हैं। जगह होती है टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर। यह वही जगह है, जिसे हाई सिक्योरिटी जोन में रखा गया है। ग्रेनेड अटैक में कम से कम 12 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं। यह सब संडे मार्केट में होता है, जहां लोग खरीदारी करने आए थे। आतंकी केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के जवानों पर हमला बोलना चाहते थे लेकिन उनके निशाने पर आम लोग आ गए।

यह तब हुआ है, जब राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला कहते हैं कि आतंकियों को मारना नहीं चाहिए, उनसे बातचीत करना चाहिए। राजधानी में अगर आतंकियों के इतने हौसले बुलंद हैं तो दूसरे हिस्सों की सुरक्षा के बारे में सवाल उठना लाजमी है।

श्रीनगर में बीते 2 साल में यह दूसरी आतंकी घटना है। 2 नवंबर को खान्यार इलाके में सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 2 से 3 आतंकी मारे गए थे। मुठभेड़ में 4 जवान घायल हो गए थे। अनंतनाग में शनिवार को 2 आतंकी मारे गए थे। जाहिद राशिद और अरबाज अहमद मीर ढेर हुए थे, जिन्हें पाकिस्तान में ट्रेनिंग मिली थी। 

एक महीना, 5 हमले, कितना बदला कश्मीर?
5 सितंबर 2019 को जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बदला गया, अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया। तब से लेकर अब तक, दावे किए गए कश्मीर बदल चुका है। लोग पत्थर की जगह संविधान की राह पर आ चुके हैं, आतंकियों की कमर टूटी है लेकिन हालात थोड़े अलग हैं। अक्तूबर महीने में ही 5 आतंकी हमले हुए। पहला हमला 16 अक्तूबर को शोपियां में हुआ, दूसरा 20 अक्तूबर को गांदरबल में, तीसरा और चौथा हमला 24 अक्तूबर को बारामुला और पुलवामा में हुआ, पांचवां हमला अखनूर सेक्टर में। 

किन्हें मार रहे हैं आतंकी?
आतंकियों के निशाने पर आम लोग हैं। टार्गेट किलिंग की जगह अब मासूम पर्यटकों तक को निशाना बनाया जा रहा है। कश्मीरी पंडित तो आतंकियों के निशाने पर पहले से ही हैं। बीजेपी कार्यकर्ता और जन प्रतिनिधियों को आतंकी मार रहे हैं। पुलिस और सुरक्षाबल भी उनके निशाने पर हैं। आतंकी मजदूरों को भी निशाना बना रहे हैं।

हमले पर क्या सोचते हैं मुख्यमंत्री?
सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'बीते कुछ दिनों से घाटी में आतंकी हमले हो रहे हैं। निर्दोषों को निशाना बनाने का कोई मतलब नहीं है। सुरक्षा तंत्र को हमले रोकने के लिए हर संभव कोशिश करना चाहिए, जिससे लोग निडर होकर जी सकें।'

क्या बोले उपराज्यपाल मनोज सिन्हा?
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि नागरिकों को निशाना बनाने वाले आतंकवादियों को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। सुरक्षा एजेंसियां आतंकी संगठनों और उनके मंसूबों को कुचलने के लिए आजाद हैं। 

5 साल में कितना बदला कश्मीर?
जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के 5 साल बीत चुके हैं, तब भी न तो हमले रुके हैं, न ही पूरी तरह से शांति आई है। सवाल ये है कि क्या सच में कितना कश्मीर बदला है।