गुरुग्राम के बंधवाड़ी में बनी लैंडफिल साइट 4 दिनों से सुलग रही है। हर दिन आग बुझाने की कोशिशें की जा रही हैं लेकिन आग बुझ नहीं रही है। थोड़ी देर के लिए आग बुझ भी रही है तो लगातार उठते धुएं पर काबू नहीं पाया जा सका है। आग बुझाने के लिए आसपास के जिलों से भी दमकल कर्मियों को बुलाया गया है। इस धुएं की जद में शहरी इलाके भी हैं। लैंडफिल साइट से लगातार उठता धुआं, आपके फेफड़ों को डैमेज कर सकता है। 

बंधवाड़ी गुरुग्राम के दक्षिणी हिस्से में है। इसके धुएं की दिशा लगातार बदल रही है। गुरुग्राम में भी तेज हवाएं चल रही है, जिसकी वजह से आग बुझने में मुश्किलें आ रही हैं, दूसरी तरफ सेक्टर 56, सेक्टर 57, घाटा गांव, और अन्य आसपास के कुछ इलाकों तक धुआं पहुंचा है। फरीदाबाद के भी कुछ हिस्से में धुआं पहुंचा है। लगातार उठते धुएं की जद में अगर लोग ज्यादा वक्त तक रहेंगे तो इसका सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।

जानलेवा है कचरे के पहाड़ से उठता धुआं
अपोलो हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. निखिल मोदी ने कहा, 'कूड़े के पहाड़, मीथेन गैस के केंद्र की तरह होते हैं। वहां आग लगने के बाद के बाद कॉर्बन मोनो ऑक्साइड का उत्सर्जन खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है। ज्यादा देर तक इसके धुएं के संपर्क में जो लोग रहते हैं, उनके फेफड़े डैमेज तक हो सकते हैं। अगर इम्युनिटी कमजोर है, लंबे समय से कोई बीमार है तो एक्यूट लंग्स फेल्योर' की स्थिति भी पैदा हो सकती है। ज्यादा गंभीर मामलों में मौत तक हो सकती है।'

यह भी पढ़ें: सिगरेट ही नहीं, जहरीली हवा से भी हो रहा है कैंसर, स्टडी में खुलासा

कैसे धुआं आपके शरीर को नुकसान पहुंचाता है?
लैंडफिल साइट से मीथेन गैस हमेशा रिसती रहती है। पर्टिकुलेट मैटर भी निकलते हैं। लैंडफिल साइट से मिथेन, कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड निकलता है। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों का फेफड़ा इसे झेल नहीं पाता है। अस्थमा और एक्यूट लंग फेल्योर की कंडीशन इसी वजह से बनती है।  डॉ. निखिल मोदी ने कहा, 'आग लगने की वजह से लैंडफिल साइट से लेड,मर्करी, कैडियम, अमोनिया नाइट्रेट्स और दूसरे कार्बनिक रसायनों का असर किडनी और लिवर जैसे नाजुक अंगों पर भी पड़ सकता है। हवा में मौजूद धुएं और प्रदूषकों की वजह से ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं।'




एक्यूट लंग फेल्योर क्या है?
'एक्यूट लंग्स फेल्योर' एक ऐसी मेडिकल कंडीशन है, जिसमें फेफड़े पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन, ब्लड तक नहीं पहुंचा पाते हैं, कार्बन डाई ऑक्साइड हटा नहीं पाता है। ऐसे मरीजों को ICU और वेंटिलेटर का सहारा लेना पड़ा है। कई बार मौत तक हो जाती है। 

यह भी पढ़ें: धान के 'बलिदान' से साफ हो सकती है दिल्ली की हवा, समझिए कैसे

कितना बड़ा है बंधवाड़ी में कूड़े का पहाड़?
बंधवाड़ी लैंडफिल साइट पर हर दिन करीब 2 हजार मीट्रिक टन कूड़ा जाला जाता है। गुरुग्राम और फरीदाबाद का सारा कचरा यहीं फेंका जाता है। यह लैंडफिल साइट 37.2 मीटर ऊंचा है। साल 2009 में इसे तैयार किया गया था। यह 30 एकड़ में फैला है। यह लैंडफिल साइट फरीदाबाद-गुरुग्राम नेशनल हाइवे-48 के पास है। 

 शनिवार से ही सुलग रही है बंधवाड़ी में लैंडफिल साइट। (Photo Credit: PTI)

अरावली पर भी सकंट
इस लैंडफिल साइट के आसपास अरावली की पहाड़ियां हैं, घने जंगल हैं जहां सैकड़ों की संख्या में वन्य जीव रहते हैं। यहां का आग, जंगलों में भी फैलता है, धुएं का असर पशु पक्षियों पर भी पड़ता है। पर्यावरण कार्यकर्ता चेतन अग्रवाल ने कहा है कि भीषण आग की वजह से मांगर और बढ़खल के जंगल पर भी प्रभाव पड़ रहा है। जंगल इस वक्त सूख रहे हैं, तेज हवा चल रही है, अगर आग लगी तो परिस्थितियां ज्यादा खराब होंगी। 

यह भी पढ़ें: कचरे से कैसे बनती है बिजली, फायदे-नुकसान क्या हैं? पढ़ें WtE की ABCD

दमघोंटू हवा में सांस लेने को मजबूर लोग
सामाजिक कार्यकर्ता तरुण चोपड़ा ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से सोशल मीडिया पर गुहार लगाई है। उन्होंने कहा, 'तेज लपटें, लगातार लग रही आग और धुआं, हवा को दमघोंटू बना रहा है, लोग ऐसी जहरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर हैं। 



बार-बार लगती है लैंडफिल साइटों में आग
गुरुग्राम के लैंडफिल साइट हों या दिल्ली-NCR की, गर्मी के दिनों में आग लगने की घटनाएं बेहद आम हैं। गाजीपुर और भलस्वा लैंडफिल साइट में हर साल आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं। इन पर पूरी तरह से काबू पाने में कई दिन लग जाते हैं। जो लोग इसके आसपास रहते हैं, उनके फेफड़ों पर हमेशा खतरा बना रहता है।