आज 'भारत बंद' रहेगा। केंद्र सरकार के फैसलों और नीतियों के खिलाफ 10 ट्रेड यूनियन हड़ताल पर रहेंगे। इससे बैंकिंग से लेकर पोस्टल सर्विस और ट्रांसपोर्ट सर्विसेस बाधित हो सकती हैं। ट्रेड यूनियनों का दावा है कि इस हड़ताल में 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी शामिल होंगे। ट्रेड यूनियनों ने सरकार पर 'कॉर्पोरेट समर्थक और मजदूर विरोधी नीतियां' लागू करने का आरोप लगाया है। इस हड़ताल में 12 में से 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन, किसान और मजदूर संगठन शामिल होंगे।

 

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की अमरजीत कौर ने कहा, 'हड़ताल में 25 करोड़ से ज़्यादा मजदूरों के हिस्सा लेने की उम्मीद है। देश भर में किसान और ग्रामीण मजदूर भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे।'

 

ट्रेड यूनियनों का दावा है कि अपनी 17 मांगों को लेकर पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मंडावियो को एक चार्टर भी सौंपा था। संगठनों का आरोप है कि सरकार की मौजूदा आर्थिक नीतियां बेरोजगारी और महंगाई बढ़ा रही है।

 

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ऐसे में जानते हैं कि यह 'भारत बंद' क्यों बुलाया गया है? इससे कौन-कौन सी सेवाओं पर असर पड़ सकता है? और इन ट्रेड यूनियनों की मांगें क्या हैं?

ट्रेड यूनियनों की मांगें क्या हैं?

ट्रेड यूनियनों ने आरोप लगाया है कि सरकार पिछले 10 साल से सालाना होने वाली लेबर कॉन्फ्रेंस का आयोजन नहीं कर रही है। सरकार पर मजदूरों के खिलाफ फैसले लेने का आरोप लगाया है।

 

संगठनों का आरोप है कि सरकार 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' के नाम पर ऐसी नीतियां लागू कर रही हैं, जिससे कॉर्पोरेट्स को फायदा होगा और मजदूर यूनियन कमजोर हो जाएंगी। आरोप लगाया गया है कि सरकार विदेशी और भारतीय कॉर्पोरेट्स के हित में काम कर रही है।

 

आरोप लगाया है कि सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है, जरूरी चीजों की कीमतें बढ़ रही है, मजदूरी में कमी आ रही है और शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों के खर्च में कटौती हो रही है।

 

ट्रेड यूनियंस का कहना है कि कई राज्यों में आंदोलनों को काबू करने और उनका अपराधीकरण करने के लिए कानून बनाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र में पब्लिक सिक्योरिटी बिल और मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में इसी तरह के कानून बनाए जा रहे हैं।

 

ट्रेड यूनियन ने बयान में कहा, इन 4 लेबर कोड का मकसद ट्रेड यूनियन के आंदोलनों को दबाना, उसे पंगु बनाना, काम के घंटे बढ़ाना, मजदूरों के अधिकारों को छीनने, हड़ताल करने के अधिकार को छीनना और कॉर्पोरेट्स को लेबर कानूनों के उल्लंघन करने पर अपराध मुक्त करना है।

 

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हड़ताल में कौन-कौन होगा शामिल?

इस हड़ताल में 10 संगठनों के जुड़ने का दावा किया जा रहा है। इस हड़ताल में AITUC के अलावा, इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC), HMS, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUTUC), ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (TUCC), सेल्फ एम्प्लॉयड वुमेंस एसोसिएशन (SEWA), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (AICCTU), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (LPF) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (UTUC) शामिल होंगे।

 

हिंद मजदूर सभा (HMS) के हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि 'हड़ताल के कारण बैंकिंग, डाक, कोयला खनन, कारखाने और राज्य परिवहन सेवाएं प्रभावित होंगी।'

हड़ताल से क्या-क्या प्रभावित होगा?

  • बैंकिंग सर्विसः कई बैंकिंग यूनियंस ने हड़ताल को समर्थन देने का ऐलान किया है। रिजर्व बैंक (RBI) ने छुट्टी घोषित नहीं की है लेकिन कर्मचारी हड़ताल पर जा सकते हैं। इससे नकद लेनदेन और चेक क्लीयरेंस जैसी सर्विसेस बाधित हो सकती हैं।
  • पोस्टल सर्विसः इस हड़ताल में पोस्टल सेक्टर से जुड़े कर्मचारी भी शामिल होंगे। कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के कारण पोस्टल सर्विसेस बाधित हो सकती हैं।
  • ट्रांसपोर्टः कुछ राज्यों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट प्रभावित हो सकता है। केरल स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (KRSTC) का कहना है कि बुधवार को कर्मचारी काम नहीं करेंगे।
  • इंडस्ट्रीः कोल माइनिंग और कंस्ट्रक्शन जैसे क्षेत्रों में कामकाज प्रभावित हो सकता है, क्योंकि इन क्षेत्रों के कर्मचारी हड़ताल में शामिल हैं।
  • बिजली सप्लाईः देशभर में कई इलाकों में बिजली सप्लाई प्रभावित हो सकती है। बताया जा रहा है कि बिजली से जुड़े 27 लाख से ज्यादा कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल होंगे।

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किन पर नहीं पड़ेगा हड़ताल का असर?

  • स्कूल-कॉलेजः किसी भी राज्य सरकार या संस्थान ने हड़ताल के कारण स्कूल-कॉलेज में छुट्टी का ऐलान नहीं किया है। इसलिए शैक्षणिक संस्थानों में सामान्य काम जारी रहेगा।
  • प्राइवेट ऑफिसः इस हड़ताल में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने शामिल होने का ऐलान किया है। हालांकि, प्राइवेट ऑफिसेस में काम चालू रहेगा।
  • रेलवेः इस हड़ताल में रेलवे यूनियनों ने शामिल होने का ऐलान नहीं किया गया है। हालांकि, हड़ताल की वजह से कई रेलवे सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
  • इमरजेंसी सर्विसेसः इस हड़ताल का इमरजेंसी सर्विसेस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अस्पताल, पुलिस जैसे आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी।

हड़ताल से किसान क्यों जुड़ रहे?

इस हड़ताल को किसान संगठनों ने भी समर्थन दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान यूनियनों ने इस हड़ताल में शामिल होने का ऐलान किया है। किसान संगठन अपनी पुरानी MSP की गारंटी वाले कानून और कर्जमाफी की मांगों को लेकर हड़ताल करेंगे।

पहले भी हो चुकी है ऐसी हड़तालें

ट्रेड यूनियनों ने इससे पहले 26 नवंबर 2020, 28-29 मार्च 2022 और पिछले साल 16 फरवरी को इसी तरह की देशव्यापी हड़ताल की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 1991 में नई आर्थिक नीतियां लागू होने के बाद यह 22वीं हड़ताल है।