साल 2025 भारत के लिए केवल आर्थिक, तकनीकी या राजनीतिक घटनाओं का वर्ष नहीं रहा, बल्कि यह वर्ष कई ऐसे हादसों के कारण भी याद किया जाएगा जिन्होंने देश की सामूहिक चेतना को झकझोर दिया। जम्मू‑कश्मीर से लेकर गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक हिंसा, अव्यवस्था, तकनीकी विफलता और भीड़ प्रबंधन की कमजोरियों ने बार‑बार यह सवाल खड़ा किया कि क्या हमारी प्रणालियां तेज़ी से बदलते भारत की वास्तविकताओं के लिए तैयार हैं। इन घटनाओं ने न सिर्फ सैकड़ों परिवारों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई, बल्कि शासन, सुरक्षा व्यवस्था, नागरिक प्रशासन और सार्वजनिक जवाबदेही पर भी गंभीर बहस छेड़ दी।

 

2025 में हुए ये हादसे प्रकृति‑जनित नहीं थे; इनमें से अधिकांश मानव‑निर्मित जोखिमों, प्रशासनिक चूकों और सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमियों से जुड़े थे। पहलगाम का आतंकी हमला राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर एक कड़वी याद बनकर उभरा, वहीं अहमदाबाद में हुआ विमान हादसा नागरिक उड्डयन सुरक्षा पर बड़े प्रश्न छोड़ गया। प्रयागराज का महाकुंभ और बेंगलुरु व नई दिल्ली की भगदड़ की घटनाएं यह दिखाती हैं कि बड़े आयोजनों और परिवहन केंद्रों पर भीड़ प्रबंधन अभी भी भारत की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।

इस लेख में खबरगांव आपको ऐसी ही देश में इस साल घटित हुए पांच हादसों के बारे मे बताएगा।

 

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1. पहलगाम आतंकी हमला

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के निकट बायसरन वैली में एक दिल दहला देने वाला आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई और 20 से अधिक घायल हो गए। यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के ऑफशूट द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने किया, जिसमें आतंकियों ने मुख्य रूप से पर्यटकों का धर्म पूछकर उनको निशाना बनाया।

 

हमलावरों ने पर्यटकों से उनकी धार्मिक पहचान पूछी और फिर अंधाधुंध गोलीबारी की। एक स्थानीय मुस्लिम पॉनी ऑपरेटर और एक क्रिश्चियन पर्यटक ने भी जब इसका विरोध करने की कोशिश की तो वे भी मारे गए।

 

यह हमला कश्मीर की शांत घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयासों पर गहरा आघात था। पहलगाम, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, पर्यटकों से गुलजार रहता है, उसकी सुरक्षा व्यवस्था पर इस घटना ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए। हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया और ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें सीमा पार कई आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। इसके बाद भारत-पाकिस्तान तनाव चरम पर पहुंच गया, जिसमें हवाई हमले और जवाबी कार्रवाई हुई।

 

हमले की जांच में पता चला कि पाकिस्तान स्थित हैंडलर्स ने इसे प्लान किया था। कई स्थानीय सहयोगियों को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने इसकी निंदा की। पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया गया और सुरक्षा बलों को अलर्ट कर दिया गया। 

 

यह हमला न केवल मानवीय त्रासदी था, बल्कि यह सांप्रदायिक सद्भाव और क्षेत्रीय शांति पर भी हमला था। कश्मीर में पर्यटन प्रभावित हुआ, लेकिन सरकार ने सुरक्षा बढ़ाकर इसे बहाल करने की कोशिश की।

2. एयर इंडिया विमान दुर्घटना

12 जून 2025 को अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन जा रही एयर इंडिया फ्लाइट 171 (बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर) टेकऑफ के मात्र 32 सेकंड बाद क्रैश हो गई। विमान में 242 लोग सवार थे जिसमें 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर्स थे। दुर्घटना में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सहित 241 लोगों की मौत हो गई और केवल एक यात्री बच सका। विमान बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल ब्लॉक से टकराया, जिससे जमीन पर भी कई मौतें हुईं और कुल मरने वालों की संख्या 260-275 तक पहुंच गई। यह बोइंग 787 का पहला घातक क्रैश था और 2020 दशक का सबसे बड़ा एविएशन हादसा।

 

प्रारंभिक जांच में पता चला कि टेकऑफ के तुरंत बाद दोनों इंजनों के फ्यूल कंट्रोल स्विच कटऑफ पोजीशन में चले गए, जिससे थ्रस्ट लॉस हुआ। ब्लैक बॉक्स डेटा से यह संकेत मिला, लेकिन कारण अभी स्पष्ट नहीं। कुछ रिपोर्ट्स में पायलट की गलती की आशंका जताई गई, लेकिन बाद में पाया गया कि कैप्टन की गलती नहीं थी।

 

यह हादसा भारत के एविएशन सेक्टर के लिए बड़ा झटका था। एयर इंडिया ने घटना के बाद मुआवजे की घोषणा की। बोइंग और भारतीय जांच एजेंसियों ने जांच की। देश भर में शोक की लहर दौड़ी और हवाई सुरक्षा पर बहस छिड़ गई। पीड़ितों के परिवारों की तकलीफ और एक मात्र सर्वाइवर की कहानी ने सबको भावुक कर दिया।

3. महाकुंभ मेल में भगदड़

29 जनवरी 2025 को प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले के मौनी अमावस्या स्नान के दौरान संगम घाट पर भयानक भगदड़ मच गई। इस हादसे में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक घायल हो गए। करोड़ों श्रद्धालु पवित्र संगम स्नान के लिए उमड़े थे, लेकिन कथित रूप से बैरिकेडिंग और भीड़ प्रबंधन की कमी से अफरा-तफरी मच गई। कुछ श्रद्धालु बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश में गिर गए, जिससे चेन रिएक्शन शुरू हो गया।

 

महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन था, जिसमें 400 मिलियन से अधिक लोगों के आने की उम्मीद थी। लेकिन VIP कल्चर और सामान्य श्रद्धालुओं की अनदेखी ने स्थिति को और ज्यादा बिगाड़ दिया। पुलिस के द्वारा लाठीचार्ज किए जाने और गलत प्रबंधन की शिकायतें आईं। सरकार ने जांच के आदेश दिए और प्रोटोकॉल बदले। यह कुंभ में 70 सालों में छठी भगदड़ थी।

 

हादसे ने धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा की कमी को उजागर किया। पीड़ितों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। इस घटना ने राज्य सरकार की प्रबंधन क्षमता पर बड़ा सवालिया निशान लगा दिया

4. आरसीबी IPL जीत सेलिब्रेशन भगदड़

जून 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की पहली IPL जीत का जश्न अचानक मातम में बदल गया। बेंगलुरु में आयोजित विजय जुलूस और सार्वजनिक समारोह में उम्मीद से कहीं ज़्यादा भीड़ उमड़ पड़ी। सीमित जगह, कमजोर बैरिकेडिंग और अपर्याप्त पुलिस बल के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई, जिसके बाद भगदड़ मच गई।

 

इस घटा में करीब 11 लोगों की मौत हो गई 50 लोग घायल हो गए। एक व्यक्ति की अपने इकलौते बेटे मौत पर रोते हुए वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई जिसने लोगों का दिल दहला दिया। स्थानीय प्रशासन और आयोजकों पर सुरक्षा इंतज़ामों को लेकर गंभीर आरोप लगे।

 

इस हादसे के बाद कर्नाटक सरकार ने बड़े सार्वजनिक आयोजनों के लिए नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स (SOPs) लागू करने की घोषणा की। खेल फ्रेंचाइज़ी और इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों की जवाबदेही पर भी चर्चा शुरू हुई।

5. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़

फरवरी 2025 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ ने देश के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक की सुरक्षा और प्रबंधन की पोल खोल दी। पीक आवर के दौरान प्लेटफॉर्म और सीढ़ियों पर अत्यधिक भीड़ जमा हो गई। ट्रेन शेड्यूल में बदलाव और घोषणाओं की कमी ने यात्रियों में भ्रम पैदा किया, जो धीरे‑धीरे अफरा‑तफरी में बदल गया।

 

घटना के बाद रेलवे प्रशासन ने जांच बैठाई और भीड़ प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की बात कही। सीसीटीवी फुटेज में साफ़ दिखा कि कैसे छोटी‑सी चूक ने बड़ी त्रासदी का रूप ले लिया।

 

यह हादसा केवल एक स्टेशन तक सीमित मुद्दा नहीं था, बल्कि पूरे देश के रेलवे नेटवर्क के लिए चेतावनी था। करोड़ों लोग रोज़ाना ट्रेनों पर निर्भर हैं, और ऐसे में यात्री सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए।


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सरकार ने हर घटना के बाद जांच के आदेश दिए, मुआवजे की घोषणा की और सुरक्षा उपायों का वादा किया, लेकिन बार-बार दोहराई जाने वाली ये त्रासदियां सवाल उठाती हैं कि क्या हम इनसे सबक सीख रहे हैं? भीड़ प्रबंधन, खुफिया जानकारी और इमरजेंसी रिस्पॉन्स में सुधार की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है।

 

ये हादसे न केवल जानें लेते हैं, बल्कि देश की छवि पर भी असर डालते हैं। ये हादसे धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करते हैं, पर्यटन स्थलों की सुरक्षा पर संदेह को जन्म देते हैं और हवाई यात्रा की विश्वसनीयता पर चोट पहुंचाते हैं।