भारत साल 2033 तक 5 स्वदेशी तौर पर विकसित स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMR) संचालित करेगा। केंद्र सरकार 20 हजार करोड़ रुपये का आवंटन स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर के रिसर्च और विकास के लिए खर्च करेगी। SMR पर रिसर्च और डेवलेपमेंट के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन की स्थापना की जाएगी।
केंद्र सरकार इन योजनाओं पर आगे बढ़ने से पहले संसद में परमाणु ऊर्जा अधिनियम और नागरिक दायित्व क्षति अधिनियमों में संशोधन करेगी। इन योजनाओं में संशोधन का मकसद देश को परमाणु ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ाना है, जिससे बिजली उत्पादन के लिए कोयले पर निर्भरता कम हो सके।
सरकार की योजना क्या है?
देश के कई राज्य ऐसे हैं जो बिजली की किल्लत से जूझते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में तो 24 घंटे बिजली सपना है। गर्मी के दिनों में भीषण बिजली कटौती होती है, जिसकी गुहार लोग सोशल मीडिया पर लगाते नजर आते हैं। जरूरत भर की बिजली से तरसते लोगों से राज्य सरकारें तर्क देती हैं कि उनके पास कोयले का भंडार कम है।
राज्य में लगातार बनी चुनौतियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने अब इस दिशा में सुधार की अहम पहल की है। सरकार अब बिजली उत्पादन के लिए छोटे परमाणु रिएक्टरों के विकास पर ध्यान देगी। इन्हें क्लीन एनर्जी में शामिल किया जाएगा। ये रिएक्टर रिसर्च और तकनीक पर आधारित होंगे।
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रिएक्टरों के लिए 60 अलग-अलग ग्रुप में एनर्जी ऑडिट की सुविधा दी जाएगी। अगले स्टेज में इस संख्या को 100 किया जाएगा। सरकार ने साल 2047 तक के लिए 100 गीगावॉट परमाणु बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। स्मॉल मॉडल रिएक्टर के लिए 20 हजार करोड़ का आवंटन किया जाएगा।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2025-26 के लिए प्रस्तावित बजट में बिजली सुधारने के लिए अलग से फंड जारी जारी करने का फैसला किया है। अब राज्यों को जीडीपी की तुलना में 0.5 प्रतिशत ज्यादा कर्ज सिर्फ बिजली सुधार के लिए जारी किया जाएगा।
सरकार के इस फैसले से होगा क्या?
केंद्र सरकार के इस फैसले का लाभ देश क करीब 68 बिजली कंपनियों को होगा। ये कंपनियां खराब बिलिंग से परेशान हैं। उन्हें भुगतान नहीं मिला पाता है, जिसकी वजहे घाटे का सामना करती हैं।
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किन कंपनियों पर टिकी है जिम्मेदारी?
इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड, यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड और न्यूक्लियर पॉवर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया जैसी कंपनियां इस मिशन अहम योगदान निभाएंगी।

कौन करता है परमाणु ऊर्जा पर देखरेख?
एटमिक एनर्जी रेग्युलेटरी बोर्ड (AERB) की यह जिम्मेदारी होती है कि हर प्लांट पर रेडियोलॉजिकल सेफ्ती बरती जाए। मद के लिए एक सेफ्टी रिव्यू कमेटी फॉर ऑपरेटिंग प्लांट्स (SARCOP) होती है। रेडियोलॉजी, न्यूक्लियर और औद्योगिक नियम कानून तय करने की जिम्मेदारी भी इसी संस्था की होती है।
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एटॉमिक प्लांट से कितनी बिजली पैदा करता है भारत?
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र तोमर ने लोकसभा में साल 2023 में कहा था कि भारत में कुल सक्रिय परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों की संख्या 22 है। नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2017 में 1.05 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित खर्च के साथ 10 स्वदेशी रिएक्टरों को मंजूरी दी थी। साल 1947 से अब तक परमाणु संयत्रों से सालाना 3533.3 करोड़ यूनिट बिजली उत्पादित की जाती है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा था कि साल 2031 से 2032 तक यह क्षमता 7480 से बढ़कर 22800 मेगावाट हो जाएगी।

भारत में परमाणु ऊर्जा संयत्रों का संचालन न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) करती है। साल 2013-14 में भारत में परमाणु ऊर्जा उत्पादन 3533.3 करोड़ यूनिट था, जो 2021-22 में बढ़कर 4711.2 करोड़ यूनिट हो गया। यह क्षमता लगातार बढ़ रही है। नवंबर 2023 तक, भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से करीब 48 टेरावाट-ऑवर बिजली पैदा की गई थी. यह भारत में कुल बिजली उत्पादन का लगभग 3% प्रतिशत है। NPCI के मुताबिक देश में बिजली उत्पादन की कुल क्षमता 8080 मेगावाट इलेक्ट्रिकल है।
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भारत में सक्रिय परमाणु प्लांट के नाम क्या हैं?
भारत में कुल 7 परमाण ऊर्जा संयत्र काम कर रहे हैं, जिनमें 22 रिएक्टर हैं। तारापुर परमाणु ऊर्जा स्टेशन महाराष्ट्र में है। यहां 4 रिएक्टर हैं। इस प्लांट की क्षमता 1400 मेगावाट है। राजस्थान परमाणु ऊर्जा स्टेशन में 6 रिएक्टर हैं। इसकी कुल क्षमता 1180 मेगावाट है। गुजरात के काकरापार प्लांट में 2 रिएक्टर हैं, इनकी क्षमता 440 मेगावाट की है। मद्रास प्लांट में 2 रिएक्टर हैं, यहां की क्षमता 440 मेगावाट है। यूपी के नरौड़ा में दो रिएक्टर हैं। यहां की क्षमता 440 मेगावाट की है। कर्नाटक के कैगा परमाणु ऊर्जा स्टेशन में 4 रिएक्टर हैं। यहां की कुल क्षमता 880 मेगावॉट की है। तमिलनाडु के कुडनकुलम प्लांट में 2 रिएक्टर हैं, जिनकी कुल क्षमता 2 हजार मेगावाट की है।