जंग के मैदान में वही सेना मजबूत होती है जिसके पास गोला-बारूद और खाने-पीने की कमी न हो। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेनाएं खुद को अपग्रेड करने में लगी हुई हैं। भारत अपने रक्षा बजट में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है। 2024-25 के बजट में भारत का रक्षा बजट 6.21 लाख करोड़ रुपये रखा गया जो कि पिछले साल की तुलना में 4.78 पर्सेंट ज्यादा था। बजट बढ़ाने के साथ-साथ भारत यह भी कोशिश कर रहा है कि रक्षा क्षेत्र में निर्यात को बढ़ाया जाए और आयात कम हो। इसी क्रम में गुजरात के वडोदरा में टाटा अडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) के उस प्लांट का उद्घाटन किया गया जहां भारतीय वायुसेना के लिए C-295 एयरक्राफ्ट की असेंबलिंग की जाएगी।
यह भारत की पहली ऐसी कंपनी होगी जहां पर सेना के एयरक्राफ्ट बनाए जाएंगे। अधिकारियों का कहना है कि इस कंपनी में लगभग 3 हजार लोग काम करेंगे और हजारों अन्य लोगों को अतिरिक्त रोजगार भी मिलेगा। इस कंपनी का उद्घाटन करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज भी मौजूद थे। बताया गया है कि दिवाली के बाद इस कंपनी में काम शुरू हो जाएगा और यहां से पहला एयरक्राफ्ट तैयार होने में कम से कम दो साल का समय लगेगा।
इस प्लांट में क्या होगा?
कंपनी का उद्घाटन होने के बाद टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने बताया कि टाटा ग्रुप के 200 इंजीनियर पहले से ही स्पेन में ट्रेनिंग ले रहे हैं। इन 200 लोगों के अलावा हजारों कर्मचारी स्थानीय होंगे। टेक्नोलॉजी के स्तर पर भारतीय टीम की मदद करने के लिए स्पेन का स्टाफ भी इस प्लांट में काम करेगा। चंद्रशेखरन ने इस प्लांट के बारे में आगे कहा, 'इंजन को छोड़कर एयरक्राफ्ट के बाकी सभी हिस्से भारत में ही बनाए जाएंगे। हम भरोसा दिलाते हैं कि जल्द ही हम इंजन भी भारत में ही बनाएंगे।' बता दें कि टाटा ग्रुप का यह प्लांट स्पेन की एयरबस डिफेंस एंड स्पेस कंपनी के साथ मिलकर काम करेगा।
एयरबस ने अपने बयान में कहा है, 'इस C295 मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत 85 पर्सेंट चीजें भारत में बनेंगी और 40 एयरक्राफ्ट की असेंबलिंग भी यहीं की जाएगी।' बता दें कि एयरक्राफ्ट में लगने वाले 13 हजार पार्ट्स के लिए 21 स्पेशल प्रोसेस तय कर ली गई हैं और इन पार्ट्स की सप्लाई के लिए सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के कुल 37 सप्लायर्स को ऑर्डर भी दे दिया गया है।
मेड इन इंडिया को बढ़ावा
इस प्रोजेक्ट के लिए कई भारतीय कंपनियों को सप्लाई का काम मिला है। इनमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनमिक्स लिमिटेड जैसी कंपनियों के अलावा रक्षा क्षेत्र से जुड़े तमाम स्टार्ट और प्राइवेट MSME भी शामिल हैं। यानी इस एयरक्राफ्ट में लगने वाले छोटे-छोटे पुर्जों की सप्लाई भी देसी कंपनियां ही करेंगी। इसके जरिए सरकार की कोशिश है कि देश में रोजगार पैदा हो और इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिले।
पार्ट्स सप्लाई का काम देसी कंपनियां करेंगी, असेंबलिंग इस प्लांट में होगी, काम करने वाले ज्यादातर लोग भारत के होंगे और जो उत्पाद तैयार होगा वह भी भारतीय वायुसेना इस्तेमाल करेगी। प्लान है कि 40 एयरक्राफ्ट की डिलीवरी हो जाने के बाद भी इस प्लांट को जारी रखा जाए और यहां से लगातार काम होता रहे।
क्या है पूरा प्रोजेक्ट?
दरअसल, भारत ने स्पेन की एयरबस डिफेंस एंड स्पेस कंपनी के साथ 21,935 करोड़ रुपये की एक डील की है। इसके तहत भारत को कुल 56 C-295 एयरक्राफ्ट मिलने हैं। इसमें से 16 एयरक्राफ्ट स्पेन में बनकर भारत आएंगे और 40 एयरक्राफ्ट वडोदरा में लगाए गए इस प्लांट में असेंबल किए जाएंगे। यानी इंजन विदेश से आएगा और बाकी के हिस्से भारत में खरीदकर इन एयरक्राफ्ट को तैयार किया जाएगा। पीएम मोदी ने इस प्लांट की नींव 30 अक्टूबर 2022 को रखी थी। जो 16 एयरक्राफ्ट भारत को मिलने थे, उसमें से पहला एयरक्राफ्ट 25 सितंबर 2023 को भारत आ चुका है। उस वक्त देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह खुद हिंडन एयरबेस पर मौजूद थे और उन्होंने ही इसे रिसीव किया था।
इसी साल फरवरी महीने में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में डिफेंस एक्विजिशन्स काउंसिल ने 15 और C-295 एयरक्राफ्ट खरीदने के शुरुआती प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसमें से 9 नेवी को मिलने हैं और 6 कोस्ट गार्ड को दिए जाएंगे। एयरफोर्स में ये C-295 एयरक्राफ्ट HS-748 Avro एयरक्राफ्ट और सोवियत एंटोनोव An-32 जैसे एयरक्राफ्ट की जगह लेंगे। अगले दो साल के बाद इन एयरक्राफ्ट की डिलीवरी शुरू होगी और आखिरी एयरक्राफ्ट सौंपे जाने की डेडलाइन अगस्त 2031 है।
अभी तक भारत जिन एयरक्राफ्ट को दूसरे देशों से खरीदता था वे पूरी तरह से तैयार होकर ही आते थे। ऐसे में भारत के लोगों को इससे कोई कमाई नहीं हो पाती थी। अब प्राइवेट सेक्टर की कंपनी इसकी असेंबलिंग करेगी तो लोगों को काम भी मिलेगा और छोटी-छोटी कंपनियां भी अपना कारोबार बढ़ा सकेंगी।