ज्ञानेश कुमार अगले मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने उनकी नियुक्ति का फैसला लिया। ज्ञानेश कुमार 19 फरवरी को कार्यभार संभालेंगे। उनके अलावा हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है। हालांकि, मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं और इसे 'जल्दबाजी में लिया फैसला' बताया है।
नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले ज्ञानेश कुमार पहले मुख्य चुनाव आयुक्त हैं। इस कानून के तहत नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करने वाली समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
कानून मंत्रालय ने देर रात ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी थी। ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है।
यह भी पढ़ें-- देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को कितना जानते हैं आप?
कांग्रेस को क्या आपत्ति?
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया पर ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति को जल्दबाजी भरा फैसला और संविधान की भावना के खिलाफ बताया। उन्होंने X पर पोस्ट कर लिखा, 'सरकार ने आधी रात को जल्दबाजी में नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी। ये संविधान की भावना के खिलाफ है और सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि मुख्य चुनाव आयुक्त पूरी तरह से निष्पक्ष होना चाहिए।'
उन्होंने लिखा, 'पहले कानून का संशोधन कर नियुक्ति वाले पैनल से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को हटाया गया और जब नए कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है तो सरकार ने जल्दबाजी में नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी। जल्दबाजी में पैनल की बैठक कर नियुक्ति करना बताता है कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर सरकार गतिरोध पैदा करना चाहती है।'
वेणुगोपाल ने आगे लिखा, 'इस तरह का बर्ताव उस शक को और पुख्ता करता है कि कैसे मौजूदा सरकार चुनावी प्रक्रिया को नष्ट कर रही है और अपने फायदे के लिए नियमों को तोड़-मरोड़ रही है।' उन्होंने आहे कहा, 'नेता प्रतिपक्ष ने सही कहा था कि इस फैसले को तब तक टाला जाना चाहिए था, जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर फैसला नहीं ले लेता।'
यह भी पढ़े: कोकराझार: बोडोलैंड आंदोलन से विधानसभा सत्र तक, क्या है पूरी कहानी?
आपत्ति क्यों?
मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर एक फैसला दिया था। इस फैसले में कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त को नियुक्त करने वाले पैनल में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस होंगे।
तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये आदेश तब तक रहेगा, जब तक सरकार कानून न बना दे। बाद में सरकार 'द चीफ इलेक्शन कमिश्नर एंड अदर इलेक्शन कमिश्नर एक्ट' लेकर आई। इस कानून में पैनल से चीफ जस्टिस को हटाकर केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया।
कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इसे लेकर कोर्ट अब तक तीन ऑर्डर जारी कर चुकी है। उन्होंने बताया कि इस मामले में अगली सुनवाई 19 फरवरी को होनी थी।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था, 'इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। 19 फरवरी को फैसला आ सकता है या कुछ दिन और लग सकते हैं। ऐसे में नई नियुक्त कुछ दिन के लिए टाल दी जाए। जल्दबाजी क्यों दिखाई जा रही है।'
कौन हैं ज्ञानेश कुमार?
ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल कैडर के अधिकारी हैं। वह पिछले साल जनवरी में सहकारिता मंत्रालय के सचिव के पद से रिटायर हुए थे। वह मई 2022 से मंत्रालय में सचिव थे। यह विभाग भी गृहमंत्री अमित शाह के अंतर्गत आता है। ज्ञानेश कुमार गृह मंत्रालय में 5 साल रहे हैं। उन्हें अमित शाह का करीबी माना जाता है। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के वक्त अतिरिक्त सचिव के तौर पर उन्होंने जम्मू और कश्मीर डेस्क का नेतृत्व किया। जब अनुच्छेद 370 को रद्द करने वाला विधेयक पेश किया जाना था, वह गृहमंत्री के साथ संसद में जाते थे।