किसान अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा, फसलों की बुवाई, कटाई और ढुलाई पर खर्च करते हैं। कई बार ऐसा होता है कि किसान के लिए खेती मुनाफे की जगह घाटे का सौदा बन जाती है। अच्छी उपज की कई वजहें होती है। सही समय पर बुवाई, बीजों का अंकुरण, खाद-पानी से लेकर मौसम तक, कई ऐसे घटक हैं, जिनसे उत्पादन प्रभावित होता है। क्या जितना किसान अपनी फसल पर खर्च करता है कमाई हो पाती है? सवाल का जवाब इतना आसान नहीं है।
किसान अगर अपना अनाज सरकार को बेचे तो लागत की तुलना में उसके कितना लाभ होता है, इसका जवाब खुद सरकार ने दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद नवीन जिंदल ने केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से जुड़े कुछ अहम सवाल किए हैं।
फसल और लागत से जुड़े सवाल क्या हैं?
- एमएसपी की तुलना में शीतकालीन रबी फसलों की लागत कितनी है?
- रबी की कौन-कौन सी फसलें सरकार खरीदती है, किनके लिए MSP तय की गई है?
- अलग-अलग फसलों के लिए MSP तय करते वक्त सरकार ने किस आधार पर अपनाया है?
कितनी लागत, कितनी MSP? देखिए आंकड़े
कृषि मंत्रालय ने रबी की फसलों का ब्यौरा दिया है। इन फसलों में गेंहू, जौ, चना, मसूर, सरसों और कुसुम्भ शामिल है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक गेंहू की फसल प्रति क्विंटल लागत 1182 है। गेंहू के फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 है। जौ की लागत 1239 है, वहीं इसकी एमएसपी 1980 तय की गई है।
चना की उत्पादन लागत 3527 है, वहीं सरकार ने इसके लिए एमएसपी 5650 रुपये प्रति क्विंटल तय की है। मसूर (लेंटिल) की उत्पादन लागत 3537 है, वहीं इसकी एमएसपी 6770 रुपये प्रति क्विंटर है। सरसों, रेपसीड की उत्पादन लागत 3011 है, वहीं इसके लिए तय एमएसपी 5950 है। कुसुम्भ की उत्पादन लागत 3960 है, वहीं इसकी कमाई 5940 रुपये है। अगर इन आंकड़ों का औसत निकालें तो यह लागत से एक गुना ज्यादा ही है।
फसल | उत्पादन लागत | न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) |
गेंहू | 1182 | 2425 |
जौ | 1239 | 1980 |
चना | 3527 | 5650 |
मसूर | 3537 | 6700 |
रैपसीड/सरसों | 3011 | 5950 |
कुसुम्भ | 3060 | 5940 |
कैसे होती है रबी फसलों की खरीद?
कृषि मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा है कि गेहूं और जौ की MSP पर खरीद भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राज्यों एजेंसियां करती हैं। दलहन फसलों का बाजार मूल्य जब एमएसपी से कम हो जाता है, तब इन्हें प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) की समग्र योजना के तहत मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत कर ली जाती है।
MSP तय करने की प्रक्रिया क्या है?
कृषि मंत्रालय के मुताबिक MSP तय करने के लिए उत्पादन लागत पर विचार किया जाता है। कृषि पर होने वाला खर्च, किसानों का पारिवारिक श्रम और खर्च देखते हुए एमएसपी तय की जाती है। केंद्रीय बजट 2018 से 2019 में न्यूनतम समर्थन मूल्य को उत्पादन लागत के डेढ़ गुना स्तर पर रखने की घोषणा की गई थी। सरकार ने औसत उत्पादन की लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफे के साथ एमएसपी में इजाफा किया है।
लागत और आमदनी पर क्या कहते हैं किसान?
अभिषेक उपाध्याय पेशे से किसान हैं। यूपी के सिद्धार्थनगर जिले के जिस हिस्से से वे आते हैं, वहां धान और गेंहू ही मुख्य फसल है। रबी के फसलों की बुवाई वहां हो रही हैं। खबरगांव ने उनसे सवाल किया कि एक एक कुंतल अनाज से किसान कितना कमाता है और लागत कितनी आती है। किसान अभिषेक उपाध्याय बताते हैं कि इन एक कच्चे बीघे खेत (10 बिस्वा जमीन) में करीब 20 किलो बीज लग जाता है। बीज का दाम इन दिनों 25 से 30 रुपये प्रति किलो है। अच्छे बीज और महंगे मिलते हैं। बीज लगाने से पहले खेत की जुताई में कम से कम 600 रुपये खर्च होते हैं। इन्हें दो बार सींचना पड़ता है, जिसमें करीब 2000 रुपये खर्च होते हैं।
डाई और यूरिया मिलाकर 1 बीघे में एक कुंतल खाद भी लग जाती है। 50 किलो डाई और लगभग इतनी ही यूरिया। इसका कुल खर्च करीब 1600 रुपये के आसपास जाता है।
कीटनाशक दवाइयों और खर-पतवार हटाने के लिए किसान कम से कम 300 रुपये खर्च करते हैं। कंबाइन हार्वेस्टर मशीन कम से कम 500 रुपये प्रति बीघे की दर से खेत काटती है। ढुवाई में किसान करीब 300 रुपये खर्च करते हैं। बुवाई से लेकर कटाई तक किसान 1 बीघे पर न्यूनतम खर्च 5300 रुपये है।
एक कच्चे बीघे में किसान 4 से 5 कुंतल फसल काट सकता है। 1 क्विंटल गेंहू दिसंबर में 2700 से 2800 प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है। गेंहू के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार ने 2425 रुपये प्रति कुंतल माना है। 1 बीघे में किसान करीब 14000 रुपये मुनाफा कमा सकता है। गेंहू अप्रैल तक कट जाता है। तब यह दाम 1700 से 1800 रुपये प्रति कुंतल रहता है। अगर किसान अपनी फसल रोक लें तो उन्हें ज्यादा मुनाफा होता है।