दिल्ली में विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले ही माहौल तैयार है। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) हर दिन नए-नए ऐलान कर रही है। दूसरी तरफ विपक्षी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस भी AAP को घेरने के साथ-साथ अपना एजेंडा बता रही हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और सफाई जैसे मुद्दों को अपनी कामयाबी बताने वाली दिल्ली सरकार के सामने उसके कर्मचारियों के ही संगठन अपनी-अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। कभी गेस्ट टीचर्स सड़क पर उतर रहे हैं तो कभी डीटीसी के कर्मचारी सोशल मीडिया पर कैंपेन चला रहे हैं। कभी इमाम अपनी सैलरी के लिए अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर पहुंच रहे हैं तो कभी सफाई कर्मचारी अपने स्तर पर आंदोलन कर रहे हैं। उधर AAP के मुखिया खुद को 'जादूगर' बताते हुए ऐलान कर रहे हैं कि उन्हें सब पता है और वह पैसों का इंतजाम कर देंगे।
लगातार बड़े-बड़े वादे कर रही दिल्ली सरकार के सामने सैलरी की समस्या पुरानी है। बसों के मार्शल हों, अस्थायी कर्मचारी हों या सफाई कर्मचारी, कई बार इस तरह की मांगें उठती रही हैं। चुनावी माहौल में महिलाओं, बुजुर्गों, ऑटो रिक्शा चालकों और कई अन्य वर्गों के लिए बड़े-बड़े ऐलान कर रहे अरविंद केजरीवाल वादा तो कर रहे हैं कि वह पैसों का इंतजाम कर लेंगे। दूसरी तरफ, दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय लघु बचत कोष से 10 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने की भी अपील की है। यह सब तब है जब दिल्ली में 200 यूनिट बिजली फ्री, 20 हजार लीटर पानी फ्री, महिलाओं के लिए बस यात्रा फ्री जैसी योजनाएं चल रही हैं। आइए समझते हैं कि इन दिनों दिल्ली सरकार के सामने कौन-कौन से विभागों के कर्मचारी प्रदर्शन करके अपनी मांग रख रहे हैं।
सैलरी के लिए केजरीवाल के घर पहुंचे इमाम
26 दिसंबर को दिल्ली के इमाम चर्चा में आ गए। अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करने की कोशिश कर रहे इमामों ने बताया कि पिछले 17 महीने से उन्हें सैलरी ही नहीं मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन इमामों को 17 से 18 हजार रुपये सैलरी वक्फ बोर्ड की ओर से दी जाती है। ऑल इंडिया इमाम असोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रसीदी ने बताया कि दिल्ली में लगभग 250 इमाम ऐसे हैं जिन्हें सैलरी का इंतजार है। इन लोगों का कहना है कि सीएम, एलजी और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात के बावजूद सैलरी की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
सफाईकर्मी भी परेशान
इसी शनिवार यानी 28 दिसंबर को सीएम आतिशी ने कालकाजी के सर्वोदय विद्यालय का दौरा किया। इसी दौरे के बाद सफाईकर्मियों ने न्यूज एजेंसी IANS से बातचीत में बताया कि 3 महीने से उन्हें सैलरी नहीं है। उसके पहले भी सैलरी तब मिली थी जब सीएम आतिशी के दफ्तर जाकर शिकायत की थी। संविदा पर काम करने वाले इन सफाई कर्मचारियों की शिकायत है कि दशकों से काम कर रहे इन सफाई कर्मचारियों को पक्का किया जाए।
DTC कर्मचारी क्या चाहते हैं?
9 दिसंबर को सीएम आतिशी ने ऐलान किया था कि DTC के संविदा और परमानेंट ड्राइवरों की सैलरी बढ़ाई जाएगी। आतिशी के ऐलान के मुताबिक, इससे दिल्ली सरकार पर 222 करोड़ का अतिरिक्त बोझ आएगा जिसे सरकार वहन करेगी। अब डीटीसी के कर्मचारी लगातार मांग कर रहे हैं कि ऐलान तो कर दिया गया लेकिन इसका सर्कुलर कब जारी किया जाएगा? डीटीसी कर्मचारियों का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो 30 दिसंबर के बाद वे सड़क पर उतरेंगे।
डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन ने आरोप लगाए हैं कि कुछ लोग सरकार और कर्मचारियों के बीच दूरी बनाने का काम कर रहे हैं और कुछ अधिकारी मांगों को पूरा करने में रुकावट पैदा कर रहे हैं। यूनियन का यह भी आरोप है कि बोर्ड की मीटिंग जानबूझकर नहीं हो रही है, जिसके चलते कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ रही है। यूनियन के मुताबिक, सीएम आतिशी ने ऐलान तो कर दिया लेकिन ऐसा कोई नोटिफिकेशन जारी न होने की वजह से ऐसा लग रहा है कि कर्मचारियों के साथ धोखा हो रहा है।
सड़क पर उतरे गेस्ट टीचर
दिल्ली में गेस्ट टीचर्स की समस्या पुरानी है। दशकों से 'गेस्ट' के तौर पर काम कर रहे शिक्षक भी रविवार को सड़क पर उतरे। उनके इस आंदोलन में बीजेपी नेता और सांसद योगेंद्र चंदोलिया भी पहुंचे। लोकतांत्रिक अध्यापक मंच के अध्यक्ष कृष्ण कुमार फोगाट इस बारे में खबरगांव को बताते हैं, 'पिछले 3-4 साल से हम प्रयास कर रहे हैं कि गेस्ट टीचर्स को पक्का किया जाए और समान काम के लिए समान वेतन दिया जाए। लगभग 22 हजार गेस्ट टीचर्स हैं दिल्ली में, इसमें से लगभग 16 हजार कार्यरत हैं। इनको सैलरी समय से तो मिल रही है लेकिन पिछले 8 साल में एक पैसा नहीं बढ़ा है।'
चुनावी माहौल में बीजेपी नेता वादा कर रहे हैं कि वे नीति बनाकर इन शिक्षकों को स्थायी करवाएंगे और समान वेतन दिलाएंगे। हालांकि, ऐसे ही वादे आम आदमी पार्टी के नेता भी करते रहे हैं। इस बारे में कृष्ण कुमार फोगाट बताते हैं, 'कभी अधिकारी कुछ बताते हैं, कभी हम एलजी और सीएम के बीच जूझते रह जाते हैं। हम लगातार प्रयास कर रहे हैं लेकिन हमारा समाधान निकल नहीं पा रहा है। सरकार के लिए यह काम आसान है क्योंकि कम पैसे में गेस्ट टीचर्स अच्छा काम करके दे रहे हैं और लगातार ड्यूटी पर भी हैं तो सरकार को कोई दिक्कत नहीं आती।'
मोहल्ला क्लीनिक कर्मचारियों की मांग
दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक AAP सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसका डंका पीटने में AAP नेता पीछे नहीं रहते। हालांकि, इसके कर्मचारी लगातार अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन करते आ रहे हैं। पेड लीव, मैटरनिटी लीव, हेल्थ इंश्योरेंस औऱ पक्की नौकरी की मांग को लेकर कई बार मोहल्ला क्लीनिक से जुड़े कर्मचारी सड़क पर उतर चुके हैं। इन कर्मचारियों की भी शिकायत है कि पिछले 5 साल में उनकी सैलरी नहीं बढ़ी है जबकि वे लगातार काम कर रहे हैं। चुनावी माहौल में विपक्षी पार्टियां भी इन संगठनों की मांग को जमकर उठा रही हैं।