दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली स्थित ओखला में सैकड़ों लोगों को अंतरिम राहत देते हुए उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की जमीन पर 115 संपत्तियों को खाली कराने/तोड़ने के प्रस्तावित प्रस्ताव पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने इसको लेकर सिंचाई विभाग से जवाब मांगा है।
दिल्ली के ओखला में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की जमीन है। सिंचाई विभाग ने इसी जमीन पर अतिक्रमण का हवाला देते हुए अधिकारियों की ओर से कई घरों को ध्वस्त करने का नोटिस दिया है। प्रशासन की ओर से इस संबंध में प्रभावित घरों के सामने नोटिस चिपका दिए गए हैं, जिसमें सभी को अवैध अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए हैं।
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इन संपत्तियों में रहने वाले निवासियों ने नोटिस के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद नोटिस जारी
बता दें कि उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग ने ये कदम 8 मई को सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए निर्देशों के बाद उठाया है। इसमें दिल्ली विकास प्राधिकरण को कानून के अनुसार ओखला गांव में अवैध तरीके से बनाए गए निर्माण को ध्वस्त करने को कहा गया है। इस नोटिस के बाद माना जा रहा था कि दिए गए समय के बाद भी अगर ये अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो आने वाले दिनों में इन इलाकों में भी बुलडोजर की कार्रवाई हो सकती थी।
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केस दायर कर इसे चुनौती दी थी
हाई कोर्ट की तरफ से ओखला वासियों को दी गई अंतरिम राहत के बाद एडवोकेट डॉ. फारुख खान ने कहा कि यूपी सिंचाई विभाग ने लोगों के घरों के सामने तोड़फोड़ अभियान के लिए सार्वजनिक नोटिस चिपकाए थे और उन्हें अपने घर खाली करने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा, 'हमने उस इलाके के 105 निवासियों की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में केस दायर कर इसे चुनौती दी थी। आज दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई की और तोड़फोड़ के खिलाफ स्थगन आदेश दिया। साथ ही यूपी सिंचाई विभाग से जवाब दाखिल करने को कहा है।'