दिल्ली-एनसीआर में सोमवार की सुबह-सुबह जोरदार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप इतना तेज था कि लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए। घर में रखे हुए सामान हिलने लगे। भूकंप के झटके बेहद तेज महसूस हुए। गहरी नींद में सोए लोग भी डर कर घरों से बाहर भागने लगे। दिल्ली और आस-पास के शहरों में भी भूकंप के झटके महसूस हुए हैं। दिल्ली-एनसीआर में यह भूकंप करीब 5 बजकर 35 मिनट पर आया।
सोमवार की सुबह आने वाले भूकंप का केन्द्र दिल्ली का धौला कुआं था। भूकंप मापी यंत्र यानी की रिक्टर स्केल से मापने के बाद इसकी तीव्रता 4.3 मैग्नीट्यूड के लगभग मापी गई है। इसकी गहराई 5 किलोमीटर थी। भूकंप इतना जोरदार था कि लोगों ने कंपन महसूस किया। ऐसा लगा जैसे धरती के अंदर कुछ बड़ी हलचल हो रही हो। घर की दीवारें, खिड़कियां सब हिलने लगी थीं। फिलहाल, इस भूकंप से किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। लोगों के मन में डर का महौल बना हुआ है। आइए जानते हैं ऐसी स्थिति में खुद का बचाव कैसे करें।
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भूकंप कब आता है?
भूकंप की आशंका तब अधिक बढ़ जाती है जब पृथ्वी पर स्थित चट्टानें खिसक जाती हैं। इस दौरान ऊर्जा निकलती है और भूकंपीय तरंगें पैदा होती हैं। ये तरंगें जमीन को हिला देती हैं। प्रकृति में जब भी इस तरह के बदलाव होते हैं, भूकंप आने कि स्थिती और भी बढ़ जाती है। बता दें कि भूकंप के आने से पहले उसका अनुमान लगाना बहुत ही मुश्किल होता है। भूकंप बिना किसी चेतावनी के आ सकता है।
भूकंप आने के प्रमुख कारण
- टेक्टोनिक प्लेटों का टकराना या खिसकना
- ज्वालामुखी विस्फोट
- पृथ्वी का तापमान बदलना
- बड़े बांधों और जलाशयों का निर्माण
- पृथ्वी का सिकुड़ना
- मानवीय गतिविधियां
- ग्लेशियर या चट्टानों का खिसकना
- खादान में छतों का गिरना
भारत में भूकंप आने के मुख्य कारण
मूल रूप से भारत में भूकंप आने के दो प्रमुख कारण हैं, जिनकी वजह से भारत के समतलीय भागों में भी भुकंप के झटके महसूस होते ही रहते हैं। भारतीय टेक्टोनिक प्लेट सालाना करीब 50 मिमी यूरेशियन प्लेट की तरफ खिसकती हैं। इस खिसकाव की वजह से कॉमन टेक्टोनिक भूकंप आते हैं।
भारत में भूकंप आने के कुछ और कारण
- भारतीय प्लेट और नेपाली प्लेट के बीच टकराव
- भारतीय प्लेट का अरब प्लेट के नीचे धंसना
- भारतीय प्लेट का बर्मी प्लेट से टकराना
- पृथ्वी के अंदर गैसीय विस्तार और संकुचन
भारत में भूकंप आने के लिए सबसे ज़्यादा संवेदनशील क्षेत्र
- जम्मू-कश्मीर
- लद्दाख
- हिमाचल प्रदेश
- उत्तराखंड
- सिक्किम
- पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग
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भूकंप से जुड़े कुछ प्रमुख तथ्य
- आम तौर पर भूकंप का फोकस या हाइपोसेंटर वह स्थान होता है जहां चट्टान सबसे पहले टूटती है।
- सेंटर के ठीक ऊपर (जमीन की सतह पर) की जगह को भूकंप का केंद्र कहा जाता है।
- भूकंप के दौरान ऊर्जा कई रूपों में निकलती है, जिसमें दरार के साथ गति, गर्मी और भूकंपीय तरंगें शामिल हैं।
भूकंप आने पर कैसे सुरक्षा करें?
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDRF) के मुताबिक अगर आप घर में हैं तो ऐसी स्थिति में जमीन पर लेट जाएं। साथ ही आप अपने सिर और गर्दन को अपने हाथ से ढक सकते हैं। समय रहते आप किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे छिप सकते हैं। कांच, खिड़कियों, बाहरी दरवाजो और दीवारों से दूर रहें। जब तक कंपन बंद न हो जाए, तब तक किसी भी मजबूत वस्तु को पकड़कर रखें।
अगर आप गाड़ी चला रहे हैं, या फिर घर के बाहर हैं तो ऐसे में जितनी जल्दी हो सके गाड़ी रोकें और गाड़ी से उतरने की कोशिश बिल्कुल न करें। गाड़ी में ही बैठे रहें। इमारतों, पेड़ों, ओवरपास, और बिजली के तारों के पास या नीचे रुकने से बचें। भूकंप रुकने के बाद सावधानी से आगे बढ़ें। पुलों या रैंप के नीचे और उसके ऊपर चलने से बचें।
अगर आप के पैरों में दिक्कत हो और आपको चलने में व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ रहा हो तो ऐसी स्थिति में भूकंप आने पर खुद के बचाव में सबसे पहले अपने व्हीलचेयर के पहियों को लॉक कर लें, और तब तक बैठे रहें जब तक कंपन बंद न हो जाए।