कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर और हथियार डीलर अभिषेक वर्मा को मंगलवार को फेक वीजा मामले में अदालत ने बरी कर दिया है। दोनों पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के फर्जी लेटरहेड पर चीनी नागरिकों को फेक वीजा जारी करने का आरोप था। इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने जगदीश टाइटलर और अभिषेक वर्मा के खिलाफ आरोपों को खारिज करने से इनकार कर दिया था। 

 

क्या था आरोप?

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को जगदीश टाइटलर और हथियार डीलर अभिषेक वर्मा से जुड़े मुकदमे को पूरा करने के लिए छह महीने का समय दिया था। बता दें कि तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अजय माकन की शिकायत के बाद एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उनके लेटरहेड पर एक जाली पत्र पूर्व प्रधानमंत्री को लिखा गया था। इस पत्र में व्यापार वीजा मानदंडों को आसान बनाने की मांग की गई थी। याचिका में उन्होंने कहा कि जाली पत्र चीन स्थित एक दूरसंचार फर्म को भारत में वीजा विस्तार का गलत तरीके से आश्वासन देने के उद्देश्य से दिया गया था। 

 

इन धाराओं पर दर्ज हुआ था मामला

टाइटलर और वर्मा पर भारतीय न्याय संहिता (आईपीसी) के तहत धोखाधड़ी का प्रयास करने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे। सीबीआई ने आरोप लगाया कि टाइटलर ने वर्मा के साथ मिलकर एक चीनी दूरसंचार फर्म को धोखा दिया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, टाइटलर ने पहले कंपनी के अधिकारियों को एक नकली और जाली पत्र दिखाकर जालसाजी में फंसाने की कोशिश की थी। 

 

1984 सिख विरोधी दंगों के मामले में नहीं मिली राहत

दिल्ली हाईकोर्ट ने जगदीश टाइटलर को 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जगदीश पर हत्या का मुकदमा जारी रहेगा। जस्टिस मनोज कुमार ने आदेश देते हुए कहा, 'यह स्प्ष्ट किया जाता है कि मुकदमा जारी रहेगी और वर्तमान कार्यवाही के नतीजे भी उसी पर निर्भर होंगे। अदालत 29 नवंबर को सुनवाई जारी रखेगी।