दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली के बिगड़ते वायु प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रदूषण को लेकर हस्पक्षेत करने की मांग की है। गोपाल राय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि पूरे उत्तर भारत में धुंध की परतें छाई हुई हैं, इनसे निपटने के लिए बारिश अब जरूरी है।
यह हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति है, ऐसे में कृत्रिम बारिश के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से अपील की है कि उन्हें एक इमरजेंसी बैठक बुलानी चाहिए। दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार अति गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। कई जगहों पर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चौथे स्टेज लागू होने के बाद भी AQI के आंकड़े 500 पार हैं।
कृत्रिम बारिश पर केंद्र का रुख क्या है?
केंद्र सरकार ने बढ़ते प्रदूषण को लेकर अभी तक कृत्रिम बारिश कराने पर कुछ भी आधिकारिक रूप से नहीं कहा है। दिल्ली सरकार का कहना है कि स्मॉग हटाने को लेकर सरकार विशेषज्ञों से बात कर रही है। कृत्रिम बारिश पर IIT कानपुर में शोध चल रहा है। केंद्र सरकार, कृत्रिम बारिश पर अभी औपचारिक रूप से कोई पहल नहीं कर रही है। आम आदमी पार्टी और दूसरे विपक्षी दल, इस पर तत्काल हस्तक्षेप चाहते हैं।
सर्दी में क्यों बढ़ता है प्रदूषण?
उत्तर भारत में प्रदूषण सर्दियों में एक बड़ी समस्या बन जाता है। प्रदूषक हवा में ही तैरते रहते हैं। पटाखे, पराली, गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, उद्योग, ऐसी कई वजहें हैं, जो दिल्ली की हवा के गुनहगार माने जाते हैं।
क्या होती है कृत्रिम बारिश?
कृत्रिम बारिश, क्लाउड सीडिंग के जरिए होती है। इस विधि के जरिए बादलों में नमक डालकर बारिश कराई जाती है। क्लाउड सीडिंग के जरिए बादलों में सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड, ठोस कार्बन डाइऑक्साइड), तरल प्रोपेन जैसे यौगिकों को छोड़ दिया जाता है। इनकी रासायनिक क्रियाओं की वजह से बारिश होने लगती है।