चैत्र यानी अप्रैल का महीना चल रहा है। अप्रैल शुरू होने की पूरे उत्तर भारत में गर्मी ने दस्तक दे दी है। यह महीना किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश सहित बिहार में गेहूं की फसल की कटाई चल रही है। किसान जल्द से जल्द गेहूं की फसल को काटकर घर ले जाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। लेकिन किसानों के सामने 'तेज गर्मी' और झूलसा देने वाली धूप चुनौती बनकर खड़ी हो गई है।

 

गेहूं की खरीदारी भी शुरू हो गई है, ऐसे में किसान गेहूं की फसल की कटाई कर उसे बेचने के लिए बाजार पहुंच रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ बढ़ती गर्मी के कारण गेहूं के खेतों में आग लगने का सिलसिला शुरू हो गया है। पकी हुई गेहूं की फसलों में आग लगने का सिलसिला काफी पुराना है। 

 

बेबसी के अलावा कोई और चारा नहीं

 

दरअसल, गर्मी और तेज धूप के वजह से सूखे हुए गेहूं की फसल में आग लगने की प्रबल संभावना होती है। ज़रा सी चिंगारी उठने से सूखे गेहूं की फसल आग पकड़ लेती है। अमूमन पानी के स्रोतों से दूर गेहूं के खेत में खड़े गेहूं में जब आग लगती है तो किसान के सामने बेबसी के अलावा कोई और चारा नहीं होता। आग इतनी तेजी से फैलती है कि किसान के पास इसे बुझाने का कोई चारा नहीं होता। 

 

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आंकलन करके किसानों को मुआवजा

 

किसानों के पास उनका धन और खाने गेहूं की शक्ल में खेतों में खड़ी रहती है। ऐसे में किसानों की बर्बाद हो चुकी फसल को लेकर सरकारें मदद करती हैं। प्रशासन फसल की बर्बादी का आंकलन करके किसानों को मुआवजा देती हैं। लेकिन यह मुआवजा आखिर किसानों को मिलता कैसे है? आग लगने या किसी प्राकृतिक आपदा में फसल बर्बाद होने पर मुआवजा कैसे मिलते है? इसे जानने से पहले आइए जानते कि देश में गेहूं की फसल जलने की कहां-कहां घटनाएं आमने आई हैं। 

 

आग लगने की घटनाएं

 

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में सिरौली गौसपुर तहसील के एक गांव में सोमवार (7 अप्रैल) की दोपहर में गेहूं के खेतों में अचानक आग लग गई। आग तेजी से फैलने की वजह से कई खेत आग की चपेट में आ गए। गेहूं के खेतों में आग लगने से एक झटके में 6 बीघा फसल जलकर राख हो गई। फायर ब्रिगेड टीम और ग्रामीणों के संयुक्त प्रयास से आग पर काबू पाया जा सका।

 

6 अप्रैल को सुल्तानपुर जिले के लंभुआ के ककराही के जूड़ापट्टी गांव में अज्ञात वजहों से गेहूं की फसल में आग लग गई। इस दर्दनाक घटना में तकरीबन 95 बीघा गेहूं की फसल जलकर राख हो गई। ग्रामीणों और दमकल कर्मियों की कड़ी मशक्कत से किसी तरह से आग पर काबू पाया जा सका, जिससे आग फैलने से रूक गई। किसानों ने आग लगने से हुए नुकसान की जानकारी राजस्व कर्मियों को दी है।

 

बिहार में भी आग से हाहाकार

 

यूपी के एटा जिले की जलेसर के भरकना और नगला खड़ी गांव भीषण गर्मी की वजह से खेतों में आग लग गई। आग ने देखते ही देखते विकराल रूप ले लिया। इसमें किसानों की गेहूं की फसल जलकर राख हो गई। यह आग हाईटेंशन लाइन में शॉर्ट सर्किट होने से लगी। 

 

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7 अप्रैल को ही बिहार के कई जिलों में गेहूं के खेतों में आग लगने से भारी नुकसान हुआ है। रोहतास जिले के चोर बाड़ी के पास 60 बीघा खेत में खड़ी गेहूं की फसल जलकर नष्ट हो गई। ग्रामीणों ने आग बुझाने की काफी कोशिश की लेकिन वो असफल रहे। दर्जनों किसानों के गेहूं आग की भेंट चढ़ गए। बिहार के नवादा जिले में भी गेहूं के खेत में आग लगने की घटना घटी। इस घटना में किसानों के 12 कट्ठा खेतों में आग लगने से गेहूं की फसल जलकर खाक हो गई। 

 

आग लगने की प्रमुख वजहें

 

बता दें कि आग लगने की घटनाएं कई वजहों से होती हैं, जिसमें गेहूं के खेतों के पास तारों में शॉर्ट सर्किट और असामाजिक तत्वों की शरारत आम होती है। अब बात करते हैं कि आखिर फसलों के नष्ट होने पर किसानों सरकार से मुआवजे के लिए कैसे अप्लाई कर सकते हैं?

 

फसक का बीमा

 

फसलों के प्राकृतिक नुकसान से बचने के लिए किसानों को अपनी फसल का बीमा जरूर करवाना चाहिए। अगर फसल का बीमा होता है तो सरकार किसानों को फसल का उचित मुआवजा देती है, जिससे वे आर्थिक रूप से नहीं टूटते। किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और फसलों के प्राकृतिक नुकसान होने पर उन्हें नुकसान ना हो इसके लिए सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) चलाती है।

 

किसान फसल बीमा का मुआवजा लेने के लिए पहले प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। यह प्रक्रिया फसल के नुकसान होने से पहले की जाती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में रजिस्ट्रेशन के समय किसानों को एक प्रीमियम राशि जमा करनी होती है, जो फसल की बीमा की राशि होती है।

 

नुकसान होने पर ये प्रक्रिया अपनाएं 

 

फसल के नुकसान के मामले में किसानों को तुरंत संबंधित अधिकारियों, निकटतम कृषि विभाग कार्यालय या बीमा कंपनी के प्रतिनिधि को सूचित करना चाहिए। किसानों को अपनी पॉलिसी, फसल, नुकसान की सीमा और नुकसान के वजह के बारे में जानकारी देनी चाहिए। इसके बाद किसान फसल नुकसान के सबूत के साथ एक साक्ष्य फॉर्म भर सकते हैं। इसके बाद किसान द्वारा फसल नुकसान की दी गई जानकारी मुताबिक एजेंसी या पटवारी मौके का मुआयना करके खराब हुई फसल की रिपोर्ट तैयार करते हैं। उसका मूल्यांकन कर कृषि विभाग को जानकारी देते हैं।

 

मुआवजा लेने की क्या है प्रक्रिया?

 

इसके बाद सरकार द्वारा तय किए गए भाव के आधार पर नुकसान हुई फसल का मुआवजा किसान के खाते में सीधे डाला जाता है। इसके अलावा किसान टोल फ्री नंबर 14447 पर फोन करके अपनी शिकायत भी दर्ज करवा सकते हैं।