प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को जेपी इन्फ्राटेक, जेपी एसोसिएट्स और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ 12,000 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत कई जगहों पर छापेमारी की। अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी।
ये छापेमारी दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत की जा रही हैं। यह मामला जेपी इन्फ्राटेक, जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड और अन्य से जुड़ा है, जिन पर होमबायर्स और निवेशकों के साथ 12,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और धन के ‘हेरफेर’ का आरोप है।
जेपी समूह से जुड़ी अन्य कंपनियों जैसे गौरसन्स, गुलशन, महागुन और सुरक्षा रियल्टी पर भी जांच की जा रही है। ईडी को शक है कि बड़ी मात्रा में फंड्स को डायवर्ट करके मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। हाल ही में ईडी ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण से संबंधित फाइल जेपी इंफ्राटेक से मांगी गई थी क्योंकि इसमें बड़ी अनियमितता बरते जाने की बात सामने आई थी।
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हजारों लोगों को नहीं मिला फ्लैट
जेपी इन्फ्राटेक पर आरोप है कि हजारों लोगों से पैसे लिए गए थे कि फ्लैट बनाकर दिया जाएगा लेकिन उन्हें फ्लैट बनाकर नहीं दिया गया। साल 2007 में 32 हजार फ्लैट्स और कुछ प्लॉट नोएडा में बनाकर दिया जाना था। ये फ्लैट्स इंटीग्रेटेड विश टाउन प्रोजेक्ट का हिस्सा थे। इन फ्लैट्स को 2011-12 तक डिलीवर करना था। लेकिन, 2025 तक करीब 20,000 फ्लैट्स अधूरे हैं, जिससे 20,000 से अधिक होमबायर्स प्रभावित हुए हैं।
पैसों की हेराफेरी की
जेपी इन्फ्राटेक ने होमबायर्स से करीब 25,000 करोड़ रुपये इकट्ठा किए, लेकिन इन फंड्स को प्रोजेक्ट्स में लगाने के बजाय कथित तौर पर जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL), इसकी मूल कंपनी, और अन्य सहयोगी कंपनियों में डायवर्ट किया गया। इसके अलावा 858 एकड़ जमीन, जिसकी कीमत 5,000-6,000 करोड़ रुपये थी, को जेपी इन्फ्राटेक ने JAL के बैंकों के कर्ज को सुरक्षित करने के लिए गिरवी रखा गया था जिसे 'फर्जी और गलत लेनदेन' और 'एसेट स्ट्रिपिंग' माना गया।
जेपी ग्रुप कॉन्सट्र्क्शन, सीमेंट, रियल एस्टेट इत्यादि के क्षेत्र में काम करता है। कंपनी ने 2022 में 3,635 करोड़ रुपये के कर्ज और ब्याज भुगतान में डिफॉल्ट की बात स्वीकारी थी।