मशहूर नेता कांशीराम कहा करते थे कि पहला चुनाव हारने, दूसरा हराने और तीसरा चुनाव जीतने के लिए लड़ो। कई नेता इसे चरितार्थ करके भी दिखाते हैं लेकिन शायद ये बातें 'इलेक्शन किंग' के नाम से मशहूर पद्मराजन तक नहीं पहुंची हैं। वह पिछले 34 साल से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं और हाल ही में 245वां चुनाव हारे हैं। अपनी हार को सेलिब्रेट करने वाले पद्मराजन अब हार का रिकॉर्ड बना रहे हैं। उनका ख्वाब है कि कभी कोई उनका यह रिकॉर्ड तोड़ न पाए। यानी पद्मराजन चाहते हैं कि कोई उनसे ज्यादा चुनाव कभी न हारे। इस ख्वाब को टूटने से बचाने के लिए वह हर चुनाव में न सिर्फ उतरते हैं बल्कि अपनी हार का इंतजार भी करते हैं। 

 

हाल ही में वायनाड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी पद्मराजन एक उम्मीदवार थे। प्रियंका गांधी के खिलाफ चुनाव लड़े पद्मराजन 12वें नंबर पर रहे और उन्हें कुल 286 वोट मिले। इस बात को उन्हें थोड़ा भी मलाल नहीं है। खबरगांव से बातचीत में उनका जोश हाई था और उनका कहना था कि आने वाले समय में वह और भी चुनाव लड़ते रहेंगे। उनके बेटे भी अपने पिता की इन 'उपलब्धियों' का पुलिंदा शेयर करते हैं और बताते हैं कि उनका मिशन चुनाव लड़ते रहने का है। आइए जानते हैं कि पद्मराजन कौन हैं और वह ऐसा क्यों कर रहे हैं।

कौन हैं पद्मराजन?

 

तमिलनाडु के सलेम जिले के मेत्तूर तालुका के निवासी पद्मराजन वैसे तो इलेक्शन किंग नाम से मशहूर हो गए हैं। पद्मराजन मुख्य रूप से टायर का बिजनेस करते हैं। उन्होंने अन्नामलाई ओपन यूनिवर्सिटी से इतिहास में एमए किया है। कुल 14 लाख रुपये की संपत्ति वाले पद्मराजन बताते हैं कि 1988 से अब तक चुनाव लड़ने में उन्होंने लगभग 1 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं। साल 1988 से चुनाव लड़ने के इस मिशन की शुरुआत करने वाले पद्मराजन ने पहली बार सीपीएम के एम श्रीरंगन के खिलाफ मेत्तूर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। इससे पहले उन्होंने साल 1997 के राष्ट्रपति चुनाव में के आर नारायणन के खिलाफ भी पर्चा भरा था लेकिन वह खारिज हो गया।

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कोई चुनाव नहीं छोड़ा

 

पद्मराजन स्थानीय स्तर पर वार्ड के सदस्य से लेकर राष्ट्रपति पद के चुनाव तक में नामांकन भर चुके हैं। 1997 से अब तक हर राष्ट्रपति चुनाव में वह पर्चा खरीदकर नामांकन भरते हैं और वह खारिज हो जाता है। इस तरह वह कुल 6 राष्ट्रपति चुनाव में नामांकन भर चुके हैं। इतना ही नहीं, वह 6 बार उपराष्ट्रपति चुनाव में भी उतरने की कोशिश कर चुके हैं।  वह बड़े गर्व से बताते हैं कि उन्होंने अब तक के चार प्रधानमंत्रियों के खिलाफ भी चुनाव लड़ा है। इन चारों में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी शामिल है।

 

उनके बेटे की ओर से दी गई लिस्ट के मुताबिक, पद्मराजन अभी तक 4 प्रधानमंत्री, 6 राष्ट्रपति, 6 उपराष्ट्रपति, 18 सीएम और 15 केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं या फिर नामांकन किया है। इसके अलावा, वह वार्ड सदस्य, काउंसलर, पंचायत बोर्ड, चेयरमैन, मेयर, विधायक, MLC, लोकसभा सांसद, राज्यसभा सांसद और डायरेक्टर जैसे पदों के चुनाव में भी उतर चुके हैं। उनका रिकॉर्ड यही है कि इतने चुनाव में से एक भी बार उन्हें जीत हासिल नहीं हुई है।

क्या है रिकॉर्ड?

 

उनके बेटे ने जानकारी दी कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में उनका नाम सबसे ज्यादा चुनाव हारने वाले उम्मीदवार के नाम पर दर्ज है। लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, दिल्ली बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी उनका नाम सबसे असफल उम्मीदवार के रूप में दर्ज है। पद्मराजन को अब तक किसी एक चुनाव में सबसे ज्यादा वोट 6273 मिले हैं। 2011 में मेत्तूर विधानसभा सीट पर उन्हें ये वोट मिले थे।