गुजरात के गोधरा में एक गोकशी के फर्जी मामले में गोधरा की एक अदालत ने दो आरोपियों को बरी कर दिया है। साथ ही तीन पुलिसवालों और मामले के दो गवाहों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 248 (झठे आरोप लगाना) के तहत आपराधिक केस चलाने का आदेश जारी किया है।

 

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि दोनों आरोपियों को गलत तरीके से लगभग 10 दिनों की न्यायिक हिरासत में रखा गया। नजीरमिया साफीमिया मलिक और इलियास मोहम्मद डवाल हर्जाना पाने के हकदार हैं। पंचमहल जिले की सत्र अदालत ने जुलाई 2020 के अवैध गोहत्या के मामले में  यह भी आदेश दिया कि चार साल पहले उनके वाहन से जब्त किए गए जानवरों को तत्काल प्रभाव से मालिक को वापस सौंप दिया जाए।

 

अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का  निर्देश

5वें अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश परवेजहमद मालवीय ने मंगलवार को अपने आदेश में जिला न्यायालय के रजिस्ट्रार आरएस अमीन को सहायक हेड कांस्टेबल रमेशभाई नरवतसिंह और शंकरसिंह सज्जनसिंह; पुलिस उपनिरीक्षक एमएस मुनिया और दो पंच गवाहों, मार्गेश सोनी और दर्शन उर्फ ​​पेंटर पंकज सोनी के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करने का निर्देश दिया। साथ ही अदालत ने रजिस्ट्रार को उपरोक्त निर्देश के लिए अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है। 

 

31 जनवरी, 2020 को खेड़ा के नजीरमिया और गोधरा के वेजलपुर निवासी इलियास पर मवेशियों - एक गाय, एक भैंस और भैंस के बछड़े की हत्या के लिए ले जाने का आरोप लगा था। अदालत ने बचाव पक्ष की दलील को बरकरार रखते हुए कहा कि मामला 'मात्र संदेह' के आधार पर दर्ज किया गया था और 'अभियोजन पक्ष इसे साबित करने में बुरी तरह विफल रहा है।'

दोनों आरोपियों के खिलाफ गलत शिकायत

अदालत ने कहा, 'यह साफ हो चुका है कि दोनों आरोपियों के खिलाफ गलत शिकायत दर्ज की गई थी। इस पूरे मामले में गवाहों और पुलिसवालों की मिलीभगत है। इस केस की जांच कर रहे अधिकारी से उम्मीद थी कि वो पूरी निष्पक्षता और कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए जांच करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आरोपियों के खिलाफ ऐसे अपराधों को अंजाम देने की चार्जशीट फाइल कर दी, जिनका उनसे दूर-दूर तक लेना देना नहीं है।'