सरकार ने लोकसभा में जानकारी देते हुए बताया है कि पिछले 10 सालों में विदेशियों ने 5,000 भारतीय बच्चों को गोद लिया है। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने एक लिखित प्रश्न के उत्तर में कहा कि सरकार को विदेशियों द्वारा गोद लिये गए बच्चों के अनुचित पालन-पोषण और शोषण की कोई शिकायत नहीं मिली है।

उन्होंने आंकड़ों के हवाले से कहा कि पिछले 10 सालों में विदेशियों ने 4,963 भारतीय बच्चों को गोद लिया। सबसे अधिक 2,031 भारतीय बच्चे अमेरिका में गोद लिये गए हैं, जबकि 1,029 बच्चों के साथ इटली दूसरे नंबर पर है। स्पेन में 517, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में 252 और माल्टा में 215 भारतीय बच्चे गोद लिये गए हैं। 

भारतीय बच्चों को गोद लेने में बढ़ती वैश्विक रुचि

सरकार द्वारा दिए गए यह आंकड़े भारतीय बच्चों को गोद लेने में बढ़ती वैश्विक रुचि को दर्शा रहे हैं। मगर, गोदज लेने की प्रक्रिया की इसमें बरती जाने वाली पारदर्शिता और नैतिकता पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ठाकुर ने लोकसभा को आश्वस्त किया कि इन गोद लेने के संबंध में दुर्व्यवहार या शोषण की कोई शिकायत नहीं मिली है।


इसका दूसरा पहलू ये है कि सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट कहती है कि गोद लेने के बाद बच्चों के साथ 'दुर्व्यवहार' होता है। साथ ही इस प्रक्रिया में कई माता-पिता की सहमति नहीं ली जाती, जिससे पता लगता है कि इसमें रैकेट काम कर रहा है।

धोखाधड़ी और शोषण के आरोप

इसके बावजूद, गोद लेने की प्रक्रिया पर धोखाधड़ी और शोषण के आरोप लग रहे हैं। कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि कुछ बेईमान गोद लेने वाली एजेंसियां ​​संदिग्ध परिस्थितियों में गोद लेने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कानूनी खामियों का फायदा उठा रही हैं।

कुछ मामल ऐसे सामने आए हैं कि बच्चों को कथित तौर पर 30 लाख से 40 लाख रुपये में खरीदा जाता है। इसमें भारत में गोद लेने की देखरेख करने वाली सर्वोच्च संस्था केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) की कोई जवाबदेही नहीं होती।

गोद लेने की आड़ में डरावना खेल 

एक कार्यकर्ता का कहना है, 'गोद लेने की आड़ में यहां डरावना खेल चल रहा है। माता-पिता, गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं। उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर बच्चों को गोद ले लेते हैं।' भारत से गोद लेने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। यह गोद लेने संबंधी दिशा-निर्देशों की कमी और सरकार की निष्क्रियता से बड़े पैमाने पर रैकेट फैल रहा है। 

इसके अलावा अद्वैत फाउंडेशन और सखी एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है, जिसको लेकर शीर्ष कोर्ट में सुनवाई चल रही है। जनहित याचिका में भारतीय बच्चों को विदेशों में गोद लेने पर रोक लगाने की मांग की गई है और विदेशों में गोद लिए गए बच्चों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार पर गंभीर चिंता जताई गई है।