आपने स्कूल-कॉलेज में केमिस्ट्री में पीरियोडिक टेबल जरूर पढ़ा होगा। इस टेबल में 118 तत्व होते हैं। इन 118 तत्वों में सिर्फ सोना ही ऐसा है, जिसका इस्तेमाल आम इंसान भी करता है। सोना एक समय में मुद्रा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। आज भी चाहे कोई आम इंसान हो या फिर किसी देश की ताकतवर सरकार, संकट के समय सोने ही काम आता है।


आज यही सोना ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया है। शुक्रवार को पहली बार 10 ग्राम सोने की कीमत 83 हजार को पार कर गई। ऑल इंडिया सराफा एसोसिएशन के मुताबिक, शुक्रवार को 10 ग्राम सोने की कीमत 83,100 रुपये हो गई। इससे पहले गुरुवार को 10 ग्राम सोने का भाव 82,900 रुपये पर बंद हुआ था। जबकि, एक साल पहले तक 10 ग्राम सोने की कीमत 64 हजार रुपये के आसपास थी। 

क्यों महंगा हो रहा है सोना?

वैसे तो सोने का महंगा होना कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है। मगर इस समय अमेरिका की वजह से सोने की कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है। HDFC सिक्योरिटीज में कमोडिटी के सीनियर एनालिस्ट सौमिल गांधी ने बताया कि इस समय सोने में जो तेजी है, उसके पीछे अमेरिका के संभावित टैरिफ प्लान और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी नीतियों को लेकर अनिश्चितता है। इस वजह से लोग सुरक्षित निवेश के तौर पर सोना खरीद रहा है। इससे सोने की मांग बढ़ रही है और कीमतों में तेजी आ रही है।


सोने में तेजी की एक वजह डॉलर के मुकाबले रुपये का कमजोर होना भी है। कई दिनों से एक डॉलर का भाव 86 रुपये से ज्यादा है। रुपया कमजोर हो रहा है और इस वजह से सोने की कीमत बढ़ रही है। 


सोने की कीमतों में अभी और उछाल आने की संभावना है। क्योंकि अमेरिका के बाद ब्रिटेन ने भी ब्याज दरों में कटौती की है। इससे सोने की खरीदारी बढ़ेगी। इ साल जून तक 10 ग्राम सोने की कीमत 85 हजार तक पहुंच सकती है।

कैसे तय होती है सोने की कीमत?

दुनियाभर में सोने और चांदी की कीमत लंदन के बुलियन मार्केट से तय होती हैं। इस बुलियन मार्केट को ही प्राइमरी ग्लोबल मार्केट माना जाता है। भारत में सोने-चांदी की कीमत मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) तय करता है। MCX लंदन के बुलियन मार्केट से कॉर्डिनेट कर सोने और चांदी की कीमत तय करता है।

सोना इतना महंगा क्यों है?

सोने का इतना महंगा होने का बड़ा कारण तो यही है कि ये बहुत कम है, जबकि इसकी मांग कहीं ज्यादा। दुनियाभर में सोने की खदानें बहुत कम हैं। दूसरा खदानों से निकालकर इसको प्रोसेस कर सोने में तब्दील करने की प्रोसेस भी काफी लंबी और खर्चीली है। सोने की अहमियत का एक बड़ा कारण इसका सुनहरा रंग और कभी न खराब होने वाली खासियत भी है। सोने का सुनहरा रंग इसे खास बनाता है। इसके अलावा सोने से बनी कोई भी मूर्ति हजारों साल तक वैसी ही रहेगी, जैसी आज है। बाकी धातुएं पिघलने के बाद या तो अपना रंग बदल देती हैं या फिर एक समय बाद अपना मूल अस्तित्व खो देती हैं। मगर सोने के साथ ऐसा नहीं है।

भारत में कितना सोना?

भारतीयों के लिए सोना सिर्फ एक धातु नहीं है, बल्कि हिंदू और जैन संस्कृतियों में इसे शुभ माना जाता है। भारत में लगभग हर परिवार में सोना मिल ही जाता है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का अनुमान है कि भारतीय घरों में 25 हजार टन से ज्यादा सोना है। इसकी कीमत 125 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसके अलावा भारत के मंदिरों में भी 4 हजार टन सोना है। 


भारतीय घरों में जितना सोना है, उतना अमेरिका-चीन और IMF के पास भी नहीं है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, जनवरी 2025 तक अमेरिका के केंद्रीय बैंक में 8,133 टन सोना है। जबकि, भारतीय घरों में इससे लगभग 3 गुना ज्यादा सोना है। 


अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा सोना जर्मनी के केंद्रीय बैंक है। जर्मनी के केंद्रीय बैंक में 3,351 टन सोना है। वहीं, IMF के पास 2,814 टन सोना है। चीन के केंद्रीय बैंक में 2,269 टन सोना है। भारत के RBI के पास 876 टन सोना है।