केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि स्वास्थ्य कारणों के चलते ही जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दिया था। स्वास्थ्य कारणों के अलावा उनके इस्तीफे की और कोई वजह नहीं है। उन्होंने यह बात न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में कहीं।

 

जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया था।

 

धनखड़ के इस्तीफे पर विपक्ष ने सवाल उठाए थे। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि उनसे जबरदस्ती इस्तीफा लिया गया है। अब इस पर अमित शाह ने साफ कर दिया कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की वजह सिर्फ और सिर्फ स्वास्थ्य ही था।

क्या बोले अमित शाह?

उन्होंने कहा, 'धनखड़ जी एक संवैधानिक पद पर थे और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संविधान के अनुरूप अच्छा काम किया। उन्होंने अपनी स्वास्थ्य समस्या के कारण इस्तीफा दिया है। किसी को भी इसमें और कुछ ढूंढने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।'

 

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संविधान संशोधन बिल पर क्या कहा?

सरकार ने हाल ही में संसद में संविधान में 130वें संशोधन का बिल का पेश किया था। इस बिल में गिरफ्तार या 30 दिन तक हिरासत में रहने वाले प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पद से हटाने का प्रावधान है। इस बिल को विपक्ष ने संघीय ढांचे पर हमला बताया है। इस पर जवाब देते हुए अमित शाह ने पूछा क्या कोई प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जेल से सरकार चला सकता है?

 

उन्होंने कहा, 'मैं पूरे देश और विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि क्या कोई मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या कोई भी नेता जेल से देश को चला सकता है? क्या यह हमारे लोकतंत्र की गरिमा के अनुकूल है?'

 

 

उन्होंने कहा, 'वे कोशिश कर रहे हैं कि अगर कभी जेल जाना पड़ा तो जेल से ही आसानी से सरकार चलाएंगे। जेल को ही सीएम हाउस, पीएम हाउस बना देंगे और डीजीपी, मुख्य सचिव, कैबिनेट सचिव या गृह सचिव को जेल से ही आदेश देंगे।'

 

शाह ने कहा, 'इससे संसद या विधानसभा में किसी के बहुमत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। एक सदस्य जाएगा तो पार्टी के दूसरे सदस्य सरकार चलाएंगे और जब उन्हें जमानत मिलेगी तो वे आकर दोबारा शपथ ले सकते हैं। इसमें क्या आपत्ति है?'

 

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राहुल गांधी पर उठाए सवाल

इंटरव्यू के दौरान अमित शाह ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने 2013 में राहुल गांधी के अध्यादेश फाड़ने का जिक्र भी किया।

 

अमित शाह ने कहा कि 'आजादी से अब तक कई सारे नेता जेल गए हैं। कई सारे मुख्यमंत्री भी गए, मंत्री भी गए। सब इस्तीफा देकर जेल गए। अभी-अभी ट्रेंड शुरू हुआ है कि जेल में जाने के बाद भी इस्तीफा नहीं देना है।'

 

 

उन्होंने कहा कि 'कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। जब यूपीए की सरकार थी। मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। लालू यादव इनके मंत्री थे। लालू यादव को सजा हो गई। मनमोहन सरकार अध्यादेश लेकर आई कि दो साल की सजा हो तब भी अपील कर सकते हैं तो उनकी सदस्यता नहीं जाएगी। तब राहुल गांधी ने इसको कम्प्लीट नॉनसेंस कहकर सार्वजनिक रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे फाड़ दिया था। देश की कैबिनेट और प्रधानमंत्री ने जो फैसला लिया था, उसका मोरल ग्राउंड पर मखौल उड़ाया था। आज वही राहुल गांधी बिहार में सरकार बनाने के लिए लालू यादव जी को गले मिल रहे हैं। यह डबल स्टैंडर्ड नहीं है क्या?'

 

 

शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद इस बिल में प्रधानमंत्री के पद को भी डाला है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी जी अपने खिलाफ खुद संशोधन लेकर आए हैं कि प्रधानमंत्री भी जेल जाएगा तो उसे इस्तीफा देना होगा।