यूपी पुलिस ने रियल स्टेट डेवलेपर अंसल ग्रुप के खिलाफ मंगलवार को FIR दर्ज की है। अंसल ग्रुप पर लोगों से धोखाधड़ी, धांधली और संगठित अपराध जैसे मामलों में केस दर्ज किया गया है। सीएम योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि ग्राहकों के हित में अरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
गोमती नगर थाने FIR दर्ज की गई है। FIR में अंसल प्रॉपर्टीज एंड इन्फ्रा लिममिटेड प्रमोटर्स, प्रणव असंल, सुशील अंसल, सुनील कुमार गुप्ता, फ्रांसेट पैट्रिका एटकिंसन और विनय कुमार सिंह पर केस दर्ज हुआ है। अंसल ग्रुप के निवेशकों में आक्रोश है। वे भी न्याय मांग रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में अंसल ग्रुप से जुड़े विवाद को लेकर जमकर राजनीति भी हो रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस विवाद को लेकर जुबानी जंग लड़ रहे हैं। यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा है कि निवेशकों से धोखाधड़ी करने वाले बख्शे नहीं जाएंगे।
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आरोपियों के खिलाफ आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ है। सीएम योगी के आदेश पर अंसल ग्रुप के खिलाफ यूपी पुलिस ने FIR दर्ज किया है।
BNS की किन धाराओं के तहत होगी जांच?
धारा 316 (5)- आपराधिक न्यास भंग
धारा 318 (4)- धोखाधड़ी
धारा 338- गबन, गाजजी धोखाधड़ी
धारा 336 (3)- (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी)
धारा 340- (गलत दस्तावेजों को सही दिखाकर पेश करना)
धारा 61 (2)- आपराधिक साजिश
धारा- 352 (शांति भंग)
धार 351 (2)- आपराधिक धमकी
धारा 111- संगठित अपराध
प्रिवेशंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट 1984 की धारा 3 के तहत भी केस दर्ज किया गया है।

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यूपी में अंसल ग्रुप को लेकर छिड़ी सियासत
उत्तर प्रदेश में अंसल ग्रुप को लेकर एक बार फिर नई सिसायत छिड़ गई है। सीएम योगी ने विधानसभा में सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि अंसल ग्रुप, समाजवादी पार्ट की उपज है, जिसके दोषियों को सरकार पाताल से खोज निकालेगी। सीएम योगी के इस बयान पर पलटवार करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि आप उद्घाटन करने गए थे, तब सब सही था? तब आपको अंसल ग्रुप की खबर नहीं थी। सीएम योगी ने विधानसभा में कहा कि अगर किसी ने भी खरीदारों के साथ धोखाधड़ी की है तो सारी संपत्तियां जब्त कर ली जाएंगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा- अंसल ग्रुप ने होम बायर्स के साथ धोखा किया। यह सब समाजवादी पार्टी की सरकार में हुआ। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा- अगर अंसल ने किसी भी बायर्स के साथ धोखाधड़ी की है तो उसकी सारी संपत्ति जब्त की जाएगी। सीएम योगी ने कहा कि सपा सरकार के समय अंसल की अवैध मांगों को पूरा किया गया। भाजपा सरकार अब इस पर शिकंजा कस रही है।

कैसे मुश्किलों में फंसा अंसल ग्रुप?
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल (NCLT) ने अंसल प्रॉपर्टीज को कॉर्पोरेट इनसॉल्वेंसी रिजोल्युशन प्रॉसेस (CIRP) में डाल दिया है। यह सेक्शन इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड कोड 2016 के तहत हुआ है। IL&FS फाइनेंशियल सर्विस लिमिटेज ने एक याचिका NCLT में दायर की थी। लोन का कुल अमाउंट 257 करोड़ रुपये था, जिसे चुकाया नहीं गया था। साल 2022 में समझौते के बाद भी पैसे नहीं दिए गए।
रडार पर क्यों आया अंसल ग्रुप?
प्राधीकरण ने साल 2005 में 1765 एकड़ की हाइटेक टाउनशिप विकसित करने के लिए लिस्ट की थी। इसकी डीपीआर पर मंजूरी साल 2006 में मिली। टाउनशिप विकसित करने का काम शुरू किया। टाउशिप में कंपनी ने ग्राम समाज, सीलिंग, तालाब, राज्य सरकार की संपत्तियों को भी अपने में शामिल कर लिया। इसकी जानकारी भी अधिकारियों को नहीं दी गई, यहां खूब खरीद-बिक्री हुई।
7 हजार निवेशकों का पैसा फंसा
अंसल API में करीब 7 हजार निवेशकों ने निवेश किया है। उनका पैसा फंस गया है। सीएम ने धांधली को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने लखनऊ किवा प्राधिकरण को जांच के आदेश दिए हैं। सीएम होगी ने विका प्राधिकरण को एक सप्ताह के अंदर FIR करने और जांच के आदेश दिए थे।
दिवालिया हो गया है अंसल ग्रुप
NCLT दिल्ली ने 25 फरवरी को अंसल ग्रुप को दिवालिया घोषित किया गया था। NCLT ने अंसल कंपनी के बोर्ड को भंग कर दिया है। यही संस्था संपत्तियों के लिए रिसीवर नियुक्त किया है।
क्या है अंसल ग्रुप?
अंसल ग्रुप की शुरुआत साल 1967 में हुई। यह एक रियल स्टेट कंपनी है, साल 2025 तक 7 हजार से ज्यादा लोगों ने इसमें निवेशकों ने इसमें पैसे लगाए हैं। दिल्ली, लखनऊ समेत 5 राज्यों में अंसल API ने टाउनशिप बनाई है। अंसल ग्रुप के खिलाफ CBI और ED भी छानबीन कर रही है। कई जगहों पर इस ग्रुप के खिलाफ केस दर्ज हैं।
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किन राज्यों में हैं इस ग्रुप के प्रोजेक्ट?
यूपी, दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर भारत के कई प्रमुख शहरों में अंसल ग्रुप सक्रिय है। आगरा, मेरठ, झांसी और कई जिलों में इसके प्रोजेक्ट चल रहे है।

दिवालिया होने की वजह से असर क्या होगा?
अंसल ग्रुप के दिवालिया होने की वजह से खरीदारों की टेंशन बढ़ गई। कई लोगों को प्रॉपर्टी मिलने का झांसा मिल रहा था। निवेशको के पैसे डूबे हैं। सुशांत गोल्फ सिटी में पैसे लगाने वाले लोग ज्यादा बेचैन हैं। यहां करीब 3000 निवेशकों ने प्लॉट, विला, फ्लैट खरीदे हैं।
कुछ खरीदार ऐसे हैं, जिन्हें साल 2009 में ही फ्लैट देने का वादा किया गया था। 2 दशक बाद भी उन्हें घर नहीं मिल पाया। दिवालिया होने केबाद लोगों ने प्रदर्शन करना भी शुरू किया। लोगों का कहना है कि सरकार को इसमें दखल देना चाहिए। सरकार ने कहा है कि निवेशकों के साथ किसी भी कीमत पर धोखाधड़ी नहीं बर्दाश्त की जाएगी।