धुंध, पराली, पटाखे, अंधाधुंध निर्माण, प्रदूषण और बेहिसाब गाड़ियां। दिल्ली में आपके फेफड़ों के असली गुनहगार यही हैं। अक्तूबर से नवंबर का महीना, दिल्ली में सांस के मरीजों के लिए सबसे बुरा साबित होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौरान, दिल्ली के अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। सर्दियों की आमद के साथ ही लोगों का सड़कों पर निकलना मुहाल हो जाता है। दिल्ली की जहरीले धुंध से बचने के लिए लोग मास्क का इस्तेमाल करते हैं, जिससे कमरे के बाहर सांस ले सकें। दिल्ली को इससे बचाने के तरीके क्या हैं, कभी सोचा है? कुछ काम ऐसे हैं जो हो जाएं तो दिल्ली के एयर क्वालिटी इंडेक्स में सुधार किया जा सकता है।
सामान्य दिनों में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 से 300 से के बीच में रहता है लेकिन अक्तूबर से नवंबर के बीच अचानक बेहद तेजी से बढ़ जाता है। पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़े, इसी ओर इशारा करते हैं। साल 2018 के अगस्त महीने में दिल्ली का औसत AQI 111 रहा लेकिन जब नवंबर आया तब 335 तक ये आंकड़ा पहुंच गया। साल 2019 के अगस्त में AQI 86 रहा, नवंबर में 312 रहा। साल 2023 के अगस्त महीने में दिल्ली का AQI 116 रहा लेकिन नवंबर आते-आते यह आंकड़ा 373 तक पहुंच गया। त्योहार और त्योहारों के पहले ये आंकड़े डराते हैं। आइए जानते हैं दिल्ली के प्रदूषण को किन उपायों से रोक सकते हैं।
कृत्रिम बारिश
दिल्ली में अगर बड़े पैमाने पर कृत्रिम बारिश कराई जाए तो धुंध से कुछ राहत मिले है और हवा साफ हो। दिल्ली का क्षेत्रफल 1,483 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इतने बड़े पैमाने पर बारिश करा पाना, बेहद मुश्किल काम है। दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय कई बार कह चुके हैं कि 1 नवंबर से 15 नवंबर तक दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराई जानी चाहिए। कृत्रिम बारिश के लिए आसमान में क्लाउड सीडिंग की जाती है। बारिश कराने के लिए बादलों में हेलीकॉप्टर के जरिए सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड के कंपाउड का इस्तेमाल करते हैं और बादलों पर छिड़कते हैं। ये बूंदों को जमा देते हैं और इनके जुड़े गुच्छे जमीन पर गिरने लगते हैं। इस तकनीक की वजह से बारिश होने लगती है। बारिश की वजह से हवा में मौजूद प्रदूषक, बूंदों के साथ मिलकर नीचे गिर जाते हैं और हवा साफ हो जाती है।
पराली और पटाखे पर रोक
दिल्ली में प्रदूषण से बचना है तो त्योहारों पर बेहिसाब पटाखे को प्रभावी तौर पर रोकना होगा। सरकार की ओर से पटाखों को हर साल प्रतिबंधित किया जाता है, लोग दशहरा और दीपावली पर इसे फोड़ने से बाज नहीं आते हैं। इस पर प्रभावी तरीके से रोक लगानी होगी। दिल्ली में अगर एयर क्वालिटी इडेंडेक्स 200 पार करे तो तत्काल कड़े फैसले सरकार ले। यह खराब श्रेणी में आता है। आइए जानते हैं कि AQI का खेल क्या है।
अगर AQI O से 50 के बीच हो तो इसे अच्छा माना जाता है। 51 से 100 के बीच में हो असंतोषजनक, 101 से 200 के बीच मीडियम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खऱाब, 401 से 500 के बीच में गंभीर माना जाता है। दुर्भाग्य से दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स सालभर में कई बार इस स्थिति में पहुंचता है।
सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल
दफ्तर जाने के लिए सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करें। दिल्ली में मेट्रो है, बसें हैं, ई रिक्शा हैं। यहां जनसेवाओं की किल्लत नहीं है। उन दिनों में जब प्रदूषण अपने चरम पर हो, निजी गाड़ियों का इस्तेमाल कम करना चाहिए। अगर सड़कों पर गाड़ियां कम रहेंगी, कम प्रदूषण फैलेगा। अब तो कई कार पूलिंग ऐप भी प्रचलन में हैं, जिनके सहारे एक जगह जाने वाले कई लोग एक ही गाड़ी से जा सकते हैं।
साइकिल चलाओ, पर्यावरण बचाओ
छोटी दूरी के लिए साइकिल का इस्तेमाल करें। ई साइकिल भी अब बाजार में आ गए हैं, जिनकी रेंज 100-100 किलोमीटर की होती है। सामान्य साइकिल से भी 10 से 12 किलोमीटर की दूरी, आसानी से तय की जा सकती है। साइकिल चलाने से आप अपने हिस्से का प्रदूषण फैलने से रोक सकते हैं। अगर साइकिलिंग का फैशन आया तो यह पर्यावरण के हित में होगा।
सीएनजी-इलेक्ट्रिक गाड़ियों का करें इस्तेमाल
सीएनजी गाड़ियां भी कम प्रदूषण फैलाती हैं। पेट्रोल और डीजल की तुलना में तो बेइंतहा कम। ऐसी कारों को प्रमोट कर सरकारें, डीजल-पेट्रोल पर निर्भरता कम कर सकती हैं। सरकार बैटरी से चलने वाली गाड़ियों पर टैक्स कम करे, जिससे कम कीमत पर लोग खरीद सकें। अभी ईवी देश में बहुत महंगी है, जिसे एक बड़ी आबादी अफोर्ड नहीं कर सकती है।
जलाना छोड़िए, गलाना सीखिए
दिल्ली में कचरे को निपटारा बहुत बुरी तरह से होता है। लोग कचरे को जला देते हैं, उसे गलाते नहीं है। दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों में आए दिन आग लगती है। इसकी वजह से भी प्रदूषण बेहद तेजी से बढ़ता है। कचरे को जलाना नहीं, गलाना सही विकल्प है।
कोयला से नहीं, सौर ऊर्जा का तैयार करें बिजली
दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर अगर बेहिसाब बढ़ने लगे तो सबसे पहले कोयले से उत्पादित होने वाले बिजली प्लांट पर रोक लगा देनी चाहिए। सौर ऊर्जा को उन्नत करने की दिशा में सरकार को काम करना चाहिए। अगर सरकार सही समय पर ये उपाय अपना ले तो दिल्ली के लोग प्रदूषण से बच जाएंगे।