भारत में बांग्लादेश से आकर रहने वाले अवैध लोगों की समस्या पिछले कुछ सालों में खूब चर्चा में रही है। कुछ दिन पहले ही दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने निर्देश दिए थे कि राजधानी में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों की पहचान की जाए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। इसी अभियान के तहत एक बांग्लादेशी महिला को भारत से निकाला गया है। यह बांग्लादेशी महिला पिछले 6 साल से भारत में अवैध तरीके से रह रही थी। महाराष्ट्र में भी कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है जो बांग्लादेश के निवासी हैं लेकिन भारत में अवैध तरीके से रह रहे हैं। दिल्ली में जिन लोगों की पहचान हो रही है उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी है। जैसा कि एलजी का आदेश है इन लोगों को वापस बांग्लादेश भेजा जा सकता है।

 

झारखंड का विधानसभा चुनाव, झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले लोगों का मामला हो या फिर रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या हो। भारत में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के अवैध रूप से घुस आने और यहीं बस जाने की समस्या पुरानी है। इसे रोकने के लिए किए जा रहे तमाम प्रयासों के बीच दिल्ली में विशेष अभियान शुरू किया गया है। दरअसल, दिल्ली की कई झुग्गी-बस्तियों को लेकर आरोप लगे थे कि इन इलाकों में अवैध बांग्लादेशी नागरिक रह रहे हैं। कई जगहों पर तो इन लोगों ने जैसे-तैसे करके वोटर कार्ड और आधार कार्ड भी बनवा लिए हैं। अब इन सबकी जांच की जा रही है।


दिल्ली में जारी है अभियान

 

इस केस में दिल्ली पुलिस के डीसीपी (साउथ वेस्ट) सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि 28 साल की यह महिला बांग्लादेशी नागरिक है औऱ लंबे समय से भारत में रह रही थी। उन्होंने कहा, 'महिला बांग्लादेश के नरैल सदर उपजिला के सिंगशोलापुर गांव की निवासी है और भारत में बिना जरूरी दस्तावेज के ही रह रही थी।' महिला के खिलाफ यह कार्रवाई दिल्ली पुलिस की एंटी नारकोटिक्स यूनिट ने की है। बता दें कि अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान के अभियान के तहत अब तक 1500 से ज्यादा लोग पकड़े जा चुके हैं। इसके लिए दिल्ली पुलिस की टीम दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में जाकर लोगों के वोटर आईडी और आधार कार्ड जैसे दस्तावेज चेक कर रही है। 

 

2016 में संसद में दिए गए एक जवाब में भारत सरकार ने बताया था कि लगभग 2 करोड़ बांग्लादेशी भारत में अवैध तरीके से रह रहे हैं। हालांकि, इसके लिए सरकार ने कोई स्रोत नहीं दिया था। पिछले कुछ समय में कर्नाटक, झारखंड, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर से अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के पकड़े जाने के मामले सामने आते रहे हैं। 

कैसे निकाले जा सकते हैं विदेशी नागरिक?

 

किसी भी देश के पास अधिकार होता है कि वह अपनी सीमा में प्रवेश करने वाले लोगों के आने, जाने, रहने और बसने के नियम तय कर सके। ऐसा ही एक नियम भारत के पास भी है। विदेशी अधिनियम, 1946 के मुताबिक, भारत की संसद विदेशी नागरिकों के प्रवेश, उनके रहने और उनके बाहर जाने के नियमों को तय करती है। इसी के तहत यह तय होता है कि विदेशी नागरिक भारत में कहां और कैसे घूम सकते हैं और किस तरह उन्हें भारत से निकाला जा सकता है। केंद्र सरकार इन्हीं नियमों के तहत किसी देश के नागरिकों के भारत आने पर प्रतिबंध लगा सकती है या फिर कुछ शर्तें भी तय कर सकती है।

 

इसी कानून के तहत अगर कोई विदेशी शख्स तय सीमा से अधिक समय तक भारत में रहता है तो उसे अवैध माना जाएगा। इसमें वीजा पर लिखी तारीख से ज्यादा समय तक रहने को भी कानून का उल्लंघन माना जाता है। इस स्थिति में भारतीय कानून के तहत 2 साल से लेकर 8 साल तक की सजा भी हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इन नियमों के अलावा भारत में गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने पर भी विदेशी नागरिकों को भारत से निकाला जा सकता है। इस तरह के मामलों में भारत उस नागरिक के मूल देश से संपर्क करके संबंधित व्यक्ति को उसी के हवाले कर सकता है।