देश की राजधानी दिल्ली के लगभग हर कोने में झुग्गी-झोपड़ी मिल जाएगी। कहीं रेलवे की पटरियों के किनारे झुग्गियां बनी हैं तो कहीं किसी फ्लाइओवर के नीचे, कहीं नाले के बगल में लोग बुरे हाल में रहने को मजबूर हैं तो कहीं किसी खाली पड़ी जमीन पर लोग झुग्गी बना लेते हैं। समय-समय पर खबरें आती हैं कि कहीं इन झुग्गी वालों को हटा दिया गया तो कहीं उनके पुनर्वास को लेकर योजना बन रही है। कई बार सरकारों ने 'जहां झुग्गी वहीं घर' जैसी अलग-अलग योजनाएं भी शुरू की हैं जिसके तहत लोगों को सस्ते दाम पर फ्लैट भी दिए गए हैं। ऐसा ही आज पीएम नरेंद्र मोदी ने किया है। पीएम मोदी ने दिल्ली के अशोक विहार फेज 2 इलाके में बने आवासीय परिसर में हजारों लोगों को उनके फ्लैट की चाबियां सौंपी हैं। ये फ्लैट दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की ओर से बनाए गए हैं।

 

बीते कुछ सालों में दिल्ली सरकार, डीडीए और अन्य एजेंसियों की ओर से हजारों फ्लैट दिए गए हैं। इनमें से कई फ्लैट गरीब परिवारों, SC-ST समुदाय के लोगों, EWS कैटगरी के लोगों और झुग्गी-बस्ती के निवासियों को दिए गए हैं। समय-समय पर डीडीए या DUSIB की तरफ झुग्गी-बस्ती में रहने वालों का पुनर्वास होता रहता है और लोगों को घर दिए जाते रहते हैं। आइए समझते हैं कि लोगों को इस तरह से घर दिए जाने की वजह क्या है?

क्यों दिए जाते हैं फ्लैट?

 

दिल्ली में इन झुग्गियों को झुग्गी झोपड़ी क्लस्टर (JJC) कहा जाता है। इन झुग्गी झोपड़ियों का मैनेजमेंट दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड (DUSIB) के जिम्मे है जो कि दिल्ली सरकार की एजेंसी है। इस एजेंसी के साल 2019 में आए डेटा के मुताबिक, दिल्ली में कुल 675 झुग्गी-बस्तियां मौजूद थीं। इन झुग्गी बस्तियों में लगभग 4 लाख लोग रहे हैं। इनमें से बहुत कम बस्तियां ही ऐसी हैं जो DUSIB की जमीन पर हैं। ज्यादातर बस्तियां जिस जमीन पर बसी हैं वे DDA के अधीन आती हैं।

 

नियमों के मुताबिक, अगर किसी भी झुग्गी को हटाया जाता है तो उनमें रह रहे लोगों के पुनर्वास का इंतजाम करना सरकार की जिम्मेदारी है। दिल्ली और केंद्र सरकार अलग-अलग योजनाओं के तहत इन लोगों को आवास उपलब्ध करा सकती हैं। केंद्र सरकार पिछले कुछ सालों से इन लोगों को 'जहां झुग्गी वहीं मकान' योजना के तहत लोगों को फ्लैट देती रही है। भूमि अधिग्रहण करने के बाद डीडीए आवासीय फ्लैट बनाता है। इसमें अलग-अलग साइज और कैटगरी के फ्लैट बनाए जाते हैं। डीडीए इन फ्लैट्स को बेचता है। कुछ फ्लैट्स अलग-अलग कैटगरी के लिए सुरक्षित रखे जाते हैं और बाकियों को कोई भी शख्स खरीद सकता हैं। पहले इन फ्लैट्स को खरीदने के लिए भीड़ काफी ज्यादा होती थी। बीते कुछ सालों में देखा गया है कि डीडीए के फ्लैट्स बनकर तैयार हो भी गए लेकिन लोगों ने पहले जितना रुचि नहीं दिखाई।

 

DDA की ओर से संचालित मास्टर प्लान फॉर दिल्ली- 2021 के अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में 24 लाख नए फ्लैट/मकान बनाए जाने की जरूरत है। इसमें से भी 54 पर्सेंट मकान आर्थिक रूप से पिछड़े हुए लोगों के बनाए जाने चाहिए। हालांकि, इस संख्या की तुलना में फ्लैट बनाकर लोगों को बसाने की रफ्तार काफी धीमी है।

क्या फ्री में मिल जाते हैं फ्लैट?

 

इसका जवाब है- नहीं। हां, सरकार की ओर से अच्छी-खासी सब्सिडी जरूर दी जाती है लेकिन ये आवास पूरी तरह से फ्री नहीं होते। DDA की ओर से कुछ शर्ते हैं जिन्हें पूरा करने वाले परिवार को कुल 171000 रुपये चुकाने होते हैं। इसमें 1,41,000 लाभार्थी की ओर से दी जाने वाली राशि और 30 हजार रुपये 5  साल का मेंटेनेंस होता है। सरकार हर फ्लैट के लिए लगभग 24 लाख रुपये सब्सिडी देती है।

 

मार्च 2024 में डीडीए के प्रवक्ता ने बताया था, 'एक फ्लैट को बनाने में लगभग 25 लाख रुपये की लागत आई है और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को ये फ्लैट कुल 1.71 लाख रुपये में दिए जा रहे हैं।' बता दें कि DDA जो भी प्रोजेक्ट बनाता है उसके कुछ फ्लैट इन गरीब परिवारों को दिए जाते हैं। बाकी के फ्लैट डीडीए ड्रॉ निकालकर बेचता है। उदाहरण के लिए, 2019 में निकले डीडीए के प्रोजेक्ट में, 15 पर्सेंट फ्लैट SC के लिए और 7.5 पर्सेंट फ्लैट ST के लिए आरक्षित थे। इसके अलावा, 1 पर्सेंट शहीदों की विधवाओं के लिए, 5 पर्सेंट दिव्यांगों के लिए और 1 पर्सेंट पूर्व सैनिकों के लिए भी आरक्षित थे।

क्या है DUSIB की नीति?

 

अगर किसी झुग्गी में लोग 31 जनवरी 1990 के पहले से रह रहे हैं और उस जमीन की मालिक एजेंसी वहां कोई सार्वजनिक प्रोजेक्ट बनाना चाहती तो उसे उन लोगों के पुनर्वास का इंतजाम करना होगा। बाद में इसमें थोड़ा संशोधन भी किया गया। संशोधन के मुताबिक, जिन परिवारों के पास 31 जनवरी 1990 के पहले का राशन कार्ड है उन्हें 18 वर्ग मीटर का प्लॉट और जिनके पास 1998 तक का राशन कार्ड है उन्हें 12.5 वर्ग मीटर का प्लॉट दिया जा सकता है। जब जमीन की मालिक एजेंसी को उस जमीन की जरूरत नहीं होती तो इन-सीटू का तरीका अपनाया जाता है यानी उसी जगह पर लोगों के रहने के लिए घर बना दिए जाते हैं। नियमों के मुताबिक, झुग्गी-बस्ती में रहने वाले लोगों के लिए बिना रहने का इंतजाम किए उन्हें हटाया नहीं जा सकता है।

DDA की नीति क्या है?

 

साल 2022 में दिल्ली को झुग्गी मुक्त बनाने का अभियान शुरू किया गया। इसके तहत PMAY (शहरी) के तहत लोगों के लिए घरों का निर्माण किया जा रहा है। DDA ने भी DUSIB की पॉलिसी को ही अडॉप्ट किया है, जिसके तहत 25 वर्ग मीटर वाले घर के लिए कम से कम 1,12,000 रुपये लाभार्थी से लिए जाते हैं। हालांकि, यह राशि फ्लैट के आकार के हिसाब से कम-ज्यादा भी हो सकती है। साथ ही, अलॉटमेंट के समय पर 30 हजार रुपये मेंटेनेंस के लिए भी होते हैं।