1959 में भारत ने आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को शरण दी और उधर चीन भड़क उठा। दो साल बाद 20 अक्टूबर, 1962 को चीन ने भारत पर अचानक से हमला कर दिया, जिसे आज चीन-भारत युद्ध के नाम से जाना जाता है। कभी हमला न किए जाने के विश्वास ने भारतीय सेना को तैयारी करने का मौका नहीं दिया और इसका नतीजा यह हुआ कि 10 हजार भारतीय सैनिकों और 80 हजार चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध पैदा हो गया।

 

भारत को हुआ था भारी नुकसान

लगभग 1 महीने तक चले इस युद्ध का अंत 21 नवंबर को चीन के युद्धविराम की घोषणा के बाद खत्म हुआ। भारत को भरोसा था कि युद्ध शुरू नहीं होगा जिसके कारण बहुत कम तैयारियां की गईं। ये सोचकर भारत ने संघर्ष वाले क्षेत्र में सैनिकों की केवल दो डिवीजनें तैनात कीं, जबकि चीनी सैनिकों की तीन रेजिमेंटें तैनात थीं। शुरुआती समय में चीनी सैनिकों ने भारतीय टेलीफोन लाइनें काट दी थी, जिससे वह हेडक्वाटर संपर्क न कर सके। युद्ध के पहले ही दिन चीनी सेनाओं ने भारतीय सेनाओं पर बिल्कुल सामने से अटैक कर दिया। लगातार हो रहे नुकसान के कारण भारतीय सैनिकों को भूटान भागना पड़ा।

 

1 महीने तक चला था युद्ध

22 अक्टूबर को चीनी सैनिकों ने भारतीय सेनाओं में भ्रम की स्थिति पैदा करने के लिए एक झाड़ी में आग लगा दी। इसके कारण लगभग 400 चीनी सैनिकों ने भारतीय ठिकाने पर हमला बोल दिया। भारतीय सेनाओं ने भी मौका का फायदा उठाते हुए मोर्टार और मशीनगनों से गोलीबारी शुरू कर दी जिससे लगभग 200 चीनी सैनिकों की मौत हो गई। एक महीने चले इस युद्ध में भारत के 10 से 11 हजार सैनिक चीन के 80 हजार सैनिकों से मुकाबला कर रहे थे। भारतीय इलाकों पर कब्जों के दावे के बाद दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सामने आ गई थी। पूरे एक महीने बाद यानी 20 नवंबर को चीन ने युद्धविराम की घोषणा की और विवादित क्षेत्र से हटने के लिए भी राजी हो गया।  21 नवंबर, 1962  को समाप्त हुए इस युद्ध में भारत के 1 हजार 383 जवान शहीद हो गए थे। वहीं, चीन के 722 सैनिक मारे गए थे। 

 

क्या थी युद्ध की वजह?

करीब 4 महीने पहले यानी 4 जुलाई, 1962 को भारतीय गोरखा सैनिकों ने घाटी में पहुंचने के लिए एक पोस्ट तैयार की थी। इस पोस्ट ने समांगलिंग के एक चीनी पोस्ट के कम्युनिकेशन नेटवर्क को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था। इसके बाद चीन काफी नाराज हुआ और गोरखा पोस्ट को 100 गज की दूरी पर घेर लिया। भारत ने चीन को धमकी दी की वह इस जगह को किसी भी कीमत पर खाली करके ही दम लेगा। लगभग 4 महीने तक भारत ने गोरखा पोस्ट पर हेलिकॉप्टर के जरिए सैन्य सप्लाई जारी रखी। बौखलाए चीनी सैनिक अरूणाचल के तवांग और जम्मू-कश्मीर के चुशूल में भारतीय सीमा के अंदर घुस आए और यहीं से चला एक महीने खूनी युद्ध का संघर्ष।