भारत सेना ने बुधवार को तीन 'संयुक्त सैन्य सिद्धांत' जारी किए हैं। युद्ध रणनीतियों से लेकर इंटरऑपरेबिलिटी तक, भारतीय सेना अपनी युद्ध रणनीतियों में बड़े बदलाव करने जा रही है। इन बदलावों से सशस्त्र बलों के एकीकरण और थिएटर कमांड की दिशा में सकारात्मक सुधार की उम्मीद है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने 'रण संवाद 2025 सम्मेलन' में विशेष बलों के लिए इस सिद्धांत को जारी किया, जिसका मकसद सेना, नौसेना और वायुसेना के कमांडो पैरा-एसएफ, मार्कोस और गरुड़ के बीच बेहतर तालमेल को बढ़ाना है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने हवाई और हेलिकॉप्टर से होने वाले ऑपरेशंस के लिए एक और सिद्धांत जारी किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस के लिए अलग सिद्धांतों को जारी किया है। इन सिद्धातों का मकसद एक है कि युद्ध और आपातकालीन परिस्थितियों में तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल हो।
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स्पेशल फोर्सेज के लिए लिए क्या हैं 3 सिद्धांत?
- संयुक्त प्रशिक्षण: विशेष बलों को एक साथ एडवांस ट्रेनिंग दी जाएगी। तीनों सेनाओं के मौजूदा ट्रेनिंग स्कूलों को संयुक्त सेवा प्रशिक्षण संस्थानों (JSTIs) में अपग्रेड किया जाएगा।
- टेक्नोलॉजी और हथियार: अगले दशक में नई तकनीकों और हथियारों के इस्तेमाल से विशेष ऑपरेशंस का तरीका बदलेगा। खराब मौसम में बेहतर नतीजों के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। नाइट विजन के इस्तेमाल से सैन्य ऑपरेशंस किए जाएंगे।
- इंटरऑपरेबिलिटी: तीनों दल, एक प्रक्रिया के जरिए ट्रेनिंग लेंगे, कम्युनिकेशन के संसाधनों को सुधारा जाएगा, बेहतर तालमेल के साथ काम करेंगे।
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और किन सिद्धांतों पर काम करेगी सेना?
- हवाई और हेलिबॉर्न ऑपरेशन: सेना हेलिबॉर्न ऑपरेशन के जरिए बेहतर ट्रेनिंग हासिल करेगी। यह एक ऐसा सैन्य युद्धाभ्यास है जिसमें हेलीकॉप्टरों की मदद से सैनिकों को युद्ध के मैदान में उतारा जाता है। मकसद होता है कि सैनिक इस बात के लिए प्रशिक्षित हों कि वे दुश्मनों को खत्म करके तत्काल लौट सकें।
- मल्टी-डोमेन ऑपरेशन: मौजूदा दौर में जंग कई मोर्चे पर लड़ी जाती है। समुद्र, हवा, अंतरिक्ष और साइबर वॉर जैसे क्षेत्रों में सशस्त्र बलों को बेहतर ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे वे आने वाले खतरों से निपट सकें।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि ये सिद्धांत 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए स्पेशल फोर्सेज के लिए हवाई ऑपरेशंस और मल्टी-डोमेन रणनीतियों को मजबूत करने का आधार तैयार करेंगे। ये दस्तावेज सेना को भविष्य की जटिल सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करेंगे।