अब तक अग्निपथ स्कीम के तहत हर साल जो 40-50 हजार अग्निवीरों की भर्ती की जाती थी। उसे अब बढ़ाकर 1 लाख तक किया जा सकता है। ऐसा इसिलए क्योंकि भारतीय सेना में सैनिकों की संख्या घट रही है। जितनी भर्ती नहीं हो रही है, उससे ज्यादा तो रिटायर हो जा रहे हैं। सैनिकों की कमी को पूरा करने के लिए भारतीय सेना अब अग्निपथ स्कीम के तहत 1 लाख अग्निवीरों की भर्ती करेगी।
हालांकि, अभी इसे लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई। मगर इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि हर साल अब 40 से 50 हजार अग्निवीरों की बजाय 1 लाख अग्निवीरों को भर्ती करने की योजना बनाई जा रही है।
भारतीय सेना इस तरह की योजना ऐसे समय बना रही है, जब अग्निवीरों को पहला बैच दिसंबर 2026 से पहले रिटायर हो जाएगा। दिसंबर 2026 आने तक पहले बैच के 75% अग्निवीर रिटायर हो जाएंगे। सिर्फ 25% को ही आगे सर्विस करने का मौका मिलेगा।
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जितनी भर्ती नहीं, उससे ज्यादा रिटायर
जून 2022 में सरकार ने अग्निपथ स्कीम शुरू की थी। इसके तहत, तीनों सेनाओं में सालाना 50 हजार अग्निवीरों को भर्ती किया जाता है। इस योजना के भर्ती किए गए 75% अग्निवीर 4 साल बाद रिटायर हो जाते हैं। बाकी बचे 25% अग्निवीर को ही आगे सर्विस में रखा जाता है।
2022 में जब अग्निपथ स्कीम शुरू हुई थी, तब 46 हजार अग्निवीरों को भर्ती किया गया था। इसमें 40 हजार अग्निवीर सेना के लिए थे। बाकी 6 हजार नौसेना और वायुसेना में थे।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्लान था कि हर साल अग्निवीरों की भर्ती बढ़ाई जाएगी। धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 1.75 लाख तक ले जाया जाएगा। हालांकि, भर्ती की तुलना में रिटायर होने वाले सैनिकों की संख्या ज्यादा थी। इससे भारतीय सेना में हर साल 20 से 25 हजार सैनिकों की कमी बढ़ती गई।
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अब क्या है प्लान?
अग्निवीरों का पहला जून से दिसंबर 2022 के बीच आया था। अब दिसंबर 2026 से पहले तक इस बैच में भर्ती किए गए 46 हजार अग्निवीरों में से 75% रिटायर हो जाएंगे। सिर्फ 25% ही सर्विस में रहेंगे।
अब यह एक तरह से बड़ी चुनौती है। क्योंकि 2026 में न सिर्फ 75% अग्निवीर रिटायर होंगे, बल्कि लगभग 60 हजार सैनिक भी रिटायर होंगे। इससे सेना में 20 से 25 हजार सैनिकों की और कमी हो जाएगी।
इंडियन एक्सप्रेस ने भारतीय सेना के हवाले से बताया है कि अग्निपथ स्कीम शुरू होने के बाद से लेकर जून 2025 तक 1.75 लाख अग्निवीरों को भर्ती किया गया है।
बताया जा रहा है कि अब 2026 से हर साल 1 लाख अग्निवीरों को भर्ती किया जाएगा, ताकि सैनिकों की कमी को पूरा किया जा सके। सेना ने बताया है कि अभी 1 लाख से ज्यादा सैनिकों की कमी है।
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आखिर इतनी कमी क्यों है?
अग्निपथ स्कीम आने से पहले भर्ती के लिए सेना रैलियां करती थी। इन रैलियों में युवा हिस्सा लेते थे और इसके बाद कॉमन एंट्रेंस टेस्ट होता था। मगर कुछ साल से ये सब बंद है। कोविड के दो साल में तो एक भी भर्ती नहीं हुई थी।
केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि 2020-21 में 97 रैलियां होनी थीं लेकिन 47 ही हुईं और इनमें से सिर्फ 4 के लिए एंट्रेंस टेस्ट हुआ। इसके बाद 2021-22 में भी 47 रैलियां करने की योजना थी लेकिन 4 ही हो सकीं और एंट्रेंस टेस्ट तो हुआ ही नहीं। सरकार का कहना था कि रैलियों में हजारों की संख्या में युवा आते हैं, जिससे कोविड फैल सकता है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2013-14 से लेकर 2019-20 तक हर साल औसतन 60 से 70 हजार सैनिकों की भर्ती हुई थी। 2020-21 और 2021-22 में कोविड के कारण एक भी भर्ती नहीं हुई। 2022-23 के बाद से कोई आंकड़े मौजूद नहीं हैं। क्योंकि अब सेना में अग्निपथ के जरिए ही भर्ती हो रही है।
इसी साल अप्रैल में केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि भारतीय सेना में अक्टूबर 2024 तक 11,97,520 पद सैनिकों के थे लेकिन इनमें से 11,05,110 ही भरे थे। इसका मतलब हुआ कि 92,410 सैनिकों की कमी थी। इसी तरह आर्मी में अफसरों के लिए 50,538 पद थे जिनमें से 42,095 ही भरे थे। इसका मतलब हुआ कि सेना में 1 लाख से ज्यादा पद खाली पड़े थे।
