इस महीने की शुरुआत में इंडिगो उड़ान संकट ने पूरे देश के एविएशन सेक्टर को हिलाकर रख दिया था। इस मामले की जांच करने वाली समिति ने शुक्रवार शाम को नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) को रिपोर्ट सौंप दी। जांच करने वाली समिति में चार सदस्य हैं। डीजीसीए के संयुक्त महानिदेशक संजय के. ब्रम्हाणे की अध्यक्षता में इस समिति का गठन पांच दिसंबर को किया गया था। समिति को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वह उन परिस्थितियों की हर तरीके से समीक्षा करे, जिनकी वजह से इंडिगो की सैकड़ों उड़ानें कई दिनों तक रद्द हुई थीं।
एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए रिपोर्ट की प्रतियां नागर विमानन मंत्री राममोहन नायडू और नागर विमानन सचिव समीर कुमार सिन्हा के कार्यालय को भी भेजी गई हैं। हालांकि, सरकार ने रिपोर्ट के निष्कर्षों का ब्योरा अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
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समिति में कौन-कौन हैं?
इस समिति में संजय ब्रम्हाणे के अलावा डीजीसीए के उप महानिदेशक अमित गुप्ता, वरिष्ठ उड़ान संचालन निरीक्षक कैप्टन कपिल मांगलिक और उड़ान संचालन निरीक्षक कैप्टन रामपाल शामिल हैं। इस महीने के शुरुआती सप्ताह में इंडिगो की उड़ानें बड़े पैमाने पर रद्द हुई थीं। इस दौरान एक दिन 1,600 से अधिक उड़ानें भी रद्द करनी पड़ी थीं। इसके अलावा बड़ी संख्या में उड़ानें कई घंटों की देरी से भी रवाना हुईं जिससे देशभर के हवाई अड्डों पर यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी थी।
क्यों हुई थी अव्यवस्था?
चालक दल के सदस्यों की तैनाती और आराम से संबंधित नए मानकों को लागू करने के लिए इंडिगो ने समय पर तैयारी नहीं की थी जिसकी वजह से यह व्यापक गतिरोध पैदा हुआ। उड़ान बाधाओं के बाद डीजीसीए ने इंडिगो को अपना शीतकालीन उड़ानों की संख्या में 10 प्रतिशत तक कटौती करने का निर्देश दिया था। साथ ही, एयरलाइन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पीटर एल्बर्स और मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) इसिड्रे पोर्केरास को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए।
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योजना में गंभीर खामियां
नियामक ने समिति के गठन से जुड़े आदेश में कहा था कि प्रथम दृष्टया यह स्थिति आंतरिक निगरानी, परिचालन तैयारी और नियामकीय अनुपालन की योजना में गंभीर खामियों की तरफ इशारा करती है, जिसके चलते स्वतंत्र जांच जरूरी हो गई। डीजीसीए ने कहा था कि उसने इंडिगो को चालक दल तैनाती संबंधी नियमों को लागू करने की तैयारी को लेकर समय-समय पर निर्देश दिए थे। लेकिन एयरलाइन चालक दल की उपलब्धता का सही आकलन, समय पर प्रशिक्षण एवं ड्यूटी रोस्टर में बदलाव करने में विफल रही।
संशोधित नियमों को दो चरणों में लागू किया गया था। इसका पहला चरण एक जुलाई से और दूसरा चरण एक नवंबर से प्रभावी हुआ था। डीजीसीए का कहना है कि दूसरे चरण के क्रियान्वयन में कमी के चलते प्रतिदिन 170 से 200 उड़ानें रद्द हुईं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।
