ISRO ने सुबह 5.59 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पोलर सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल (PSLV-C61) के जरिए अपने 101वें सैटेलाइट, अर्थ ऑब्जर्वेटरी सैटेलाइट EOS-09 को लॉन्च किया, जो असफल रहा। यह लॉन्चिंग नहीं हो पाई। पहले और दूसरे फेज में यह सफल रहा लेकिन तीसरे फेज में EOS-09 में खामी आ गई। ISRO प्रमुख वी नारायणन ने कहा है कि 10वें प्रक्षेपण की कोशिश हुई, दूसरे चरण तक स्थितियां अनुकूल थीं लेकिन तीसरे चरण में ऑब्जरवेशन की वजह से मिशन पूरा नहीं हो सका। 

इसरो के मुताबिक यह PSLV की  63वीं उड़ान थी। PSLV में XL कन्फिगरेसन का इस्तेमाल किया गया है। इसरो EOS-09 से पहले RISAT-1 का प्रक्षेपण कर चुका है। EOS-09 सैटेलाइट 1,696 किलो का था और खराब मौसम में भी C-बैंड रडार से तस्वीरें लेने के लिए बनाया गया था। यह अपने निर्धारित 524 किलोमीटर की कक्षा में नहीं पहुंच सका। 

यह भी पढ़ें: खाड़ी की जंग से सबक, असुरक्षित सीमा, ब्रह्मोस के भारत आने की कहानी

 

क्यों फेल हुआ ISRO का यह मिशन?
लॉन्च के दौरान रॉकेट के तीसरे चरण के इंजन में खामियां आईं। यहां HTPB फ्यूल का इस्तेमाल किया जाता है। यह 203 सेकेंड बाद ठीक से काम नहीं कर सका। यह PSLV रॉकेट की 63 लॉन्च में तीसरी असफलता है और 2017 के बाद पहली। इसरो के लिए यह बड़े झटके की तरह ही।



कैसे पता चला कि फेल हुआ है मिशन?
ISRO प्रमुख वी नारायणन ने लॉन्च के बाद लाइव स्ट्रीम में मिशन की असफलता के बारे में जानकारी दी। अब वैज्ञानिक यह पता लगाने की कोशिशों में जुटे हैं कि तकनीकी खामी ईंधन के प्रवाह, नोजल, या संरचना में खराबी, किस वजह से हुई है। इसके लिए एक जांच समिति बनाई गई है, जो तीसरे चरण के निर्माण और परीक्षण रिकॉर्ड की समीक्षा करेगी।

यह भी पढ़ें: ISRO के 100वें मिशन को झटका, NVS-02 के थ्रस्टर्स कैसे हुए फेल?

ISRO का महत्वाकांक्षी मिशन फेल हुआ। (Photo Credit: ISRO/X)

 

भारत के लिए झटका क्यों है?
इस असफलता से भारत के सीमा निगरानी और आपदा प्रबंधन के लिए SAR इमेजिंग प्लान में देरी होगी। PSLV-C61 मिशन ISRO का 101वां लॉन्च था। साल 2017 से 58 सफल लॉन्च के बाद यह बेहद खास था लेकिन अब यह मिशन फेल हो गया है।

यह भी पढ़ें: 10 सैटलाइट 24 घंटे करते हैं बॉर्डर की निगरानी, ISRO चीफ का बयान

 

अब क्या होगा?
रॉकेट के चौथा चरण और सैटेलाइट को नष्ट कर दिया गया है, मलबा सुरक्षित जगह गिरेगा। भारत की यह निगरानी सैटेलाइट फेल साबित हुई। 2025 में चार और PSLV लॉन्च होने वाले हैं। ISRO पहले भी कई असफलताओं का सामना कर चुका है लेकिन वैज्ञानिकों के पास हर असफलता का एक विकल्प भी है।