पहलगाम आतंकी हमले के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रेसिडिंट मौलाना अरशद मदनी ने बुधवार को इस घटना की निंदा की और अपराधियों को 'क्रूर' बताते हुए कहा कि उनका किसी भी धर्म से कोई संबंध नहीं है।

 

मौलाना मदनी ने कहा कि ऐसी घटना काफी समय बाद हुई है। वे लोग अपने बच्चों के साथ सैर-सपाटा और मौज-मस्ती के लिए वहां गए थे और उनके साथ ऐसा कुछ किया गया, वह भी धर्म के नाम पर- ये लोग वाकई क्रूर हैं और इनका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।

 

मजहब से कोई ताल्लुक नहीं
उन्होंने कहा, 'बेकसूरों के साथ ऐसा अंधा काम मजहब के नाम पर करना...मैं समझता हूं कि वे बड़े अंधे लोग हैं जिनका मजहब के साथ कोई ताल्लुक नहीं है। किसी का अगर विरोध है तो सरकार से हो सकता है। ये सारे लोग जो वहां घूमने के लिए जाते हैं तो यह मानकर जाते हैं कि कश्मीर में अमन है। उनके साथ ऐसा करना और करके निकल जाना। किसी की अभी तक धरपकड़ नहीं हुई। लेकिन कश्मीर के अंदर उनका इस बदनीयती के साथ  आना काबिल-ए-नफरत है लेकिन उनका यह काम करके निकल जाना बहुत बड़ा चैलेंज है।'

 

 

इस दूसरा रुख भी है कि इसमें तीन मुसलमान भी मरे हैं। यह मुसलमान वही हैं जो वहां जाने वाले लोगों को घोड़ों पर वहां लेकर जाते हैं। इनकी रोजी रोटी उनसे जुड़ी है। मुसलमानों ने आम तरीके से मस्जिदों से ऐलान किया कि हमारा इससे कोई ताल्लुक नहीं है और हम इसकी मजम्मत करते हैं। तीसरा लोग सड़कों पर इसके खिलाफ निकले औऱ इसका विरोध किया।

 

 

शांति कायम करना सरकार का काम

मुल्क के अंदर शांति कायम करना सरकार का फर्ज है।  उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने देश की शांति को भंग करने की कोशिश की है वे बहुत बड़े मुजरिम हैं। शांति बहुत बड़ी चीज है इस बिना कोई देश चल नहीं सकता तो जो लोग शांत भंग करना चाहते उनके साथ क्या हमदर्दी हो सकती है। शांति को बनाए रखने के लिए जो लोग इसे भंग करना चाहते हैं उनकी उंगलियों को काटने के लिए बहरहाल जो  किया जा सकता है उसे करना चाहिए।