नीतीश कुमार ने मणिपुर में पार्टी अध्यक्ष को हटाने का फैसला लिया है। यह फैसला उनके द्वारा राज्यपाल को लिखे एक पत्र के बाद आया है। दरअसल, उन्होंने मणिपुर के जेडीयू प्रदेश प्रमुख वीरेंद्र सिंह ने एक पत्र लिखकर राज्यपाल को बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने की सूचना दी थी।
इस बारे में जानकारी देते हुए जेडीयू ने कहा कि अनुशासनहीनता के आरोप में वीरेंद्र सिंह को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया है।
बीजेपी के समर्थन में है जेडीयू
जेडीयू ने इस बारे में अपना मत स्पष्ट करते हुए कहा कि वह मणिपुर में बीजेपी सरकार को समर्थन जारी रखेगी। पार्टी ने कहा कि न सिर्फ मणिपुर में बल्कि बिहार और केंद्र में भी पूरी मजबूती के साथ बीजेपी के पक्ष में खड़ी है।
क्या था पूरा मामला
बता दें कि इस कार्रवाई के पहले वीरेंद्र सिंह ने राज्यपाल को पत्र लिखकर बीजेपी से समर्थन लेने का ऐलान किया था। इस पत्र में उन्होंने कहा था कि पार्टी ने शुरुआत में 6 विधायक जीते थे लेकिन बाद में 5 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए, जिससे सत्तारूढ़ दल की संख्या मजबूत हो गई. उन्होंने लिखा कि पांचों विधायकों का भारत के संविधान की दसवीं सूची के तहत मुकदमा स्पीकर ट्रिब्यूनल के समक्ष लंबित है। इस पत्र में इंडिया ब्लॉक के साथ जेडीयू के गठबंधन का हवाला देते हुए समर्थन लेने की बात कही गई थी।
'खुद से लिया फैसला'
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने इसे भ्राम क और आधारहीन बताया। उन्होंने कहा कि पार्टी की सेंट्रल लीडरशिप ने इस कदम पर सहमति नहीं दी थी और राज्य इकाई ने खुद से ही यह फैसला लिया।
उन्होंने आगे कहा, 'पार्टी ने इसका संज्ञान लेते हुए मणिपुर की राज्य इकाई के प्रमुख को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया है। हमने एनडीए को समर्थन दिया है और मणिपुर में इसे हमारा समर्थन जारी रहेगा।'
उन्होंने कहा, 'मणिपुर यूनिट ने सेंट्रल लीडरशिप के साथ किसी भी तरह की बातचीत नहीं की, उन्हें विश्वास में भी नहीं लिया गया। उन्होंने पत्र भी खुद से लिखा। इसे अनुशासनहीनता मानते हए उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है और उन्हें उनके पद से हटा दिया गया है।'