मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने 2013-14 की तुलना में 2023-24 में नौकरी करने वालों की संख्या 36 फीसदी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि 2013-14 में देश में नौकरी करने वालों की संख्या 47.15 करोड़ थी। 2023-24 तक नौकरीपेशा करने वालों की संख्या 64.33 करोड़ हो गई। 


मंडाविया ने दावा किया कि यूपीए सरकार में 2004 से 2014 के बीच लगभग 7 फीसदी रोजगार बढ़े थे। 2004 से 2014 के बीच 2.9 करोड़ नौकरियां ही बढ़ी थीं। जबकि, मोदी सरकार में 2014 से 2024 के बीच 17.19 करोड़ नौकरियां बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि 2023-24 में ही 4.6 करोड़ से ज्याद लोगों को नौकरियां मिली हैं।

कहां कितनी बढ़ी नौकरियां?

- खेती-बाड़ी मेंः मंडाविया के मुताबिक, 2004 से 2014 के बीच खेती-बाड़ी और इससे जुड़े सेक्टर्स में काम करने वालों की संख्या 16 फीसदी बढ़ी थी। जबकि, मोदी सरकार में ये 19 फीसदी बढ़ी है।


- मैन्युफैक्चरिंग मेंः उन्होंने बताया कि 2004 से 2014 के बीच यूपीए सरकार में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सिर्फ 6 फीसदी रोजगार बढ़े थे। जबकि, 2014 से 2023 के बीच 15 फीसदी रोजगार बढ़े।


- सर्विस सेक्टर मेंः केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यूपीए सरकार के 10 साल में सर्विस सेक्टर में 25 फीसदी नौकरियां बढ़ी थीं। वहीं, मोदी सरकार में 2014 से 2023 के बीच सर्विस सेक्टर में 36 फीसदी नई नौकरियां आई हैं।

कितना सही है ये दावा?

याद होगा कि पिछले साल लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी नेताओं ने उनकी सरकार में 4 साल में 8 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलने का दावा किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोजगार को लेकर विपक्ष पर फेक नैरेटिव फैलाने का आरोप लगाया था।


भारत में कितने लोगों के पास रोजगार है? इसे लेकर हर साल रिजर्व बैंक एक रिपोर्ट जारी करता है। इसे KLEMS डेटाबेस कहा जाता है। इसमें खेती-किसानी, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेस से जुड़ी 27 इंडस्ट्रियों में काम करने वालों का आंकड़ा बताया जाता है। आखिरी रिपोर्ट जुलाई 2024 में आई थी। इसके मुताबिक, मार्च 2024 तक देशभर में 64.33 करोड़ लोगों के पास नौकरियां थीं। इससे पहले मार्च 2023 तक 59.66 करोड़ लोगों के पास रोजगार था।


आरबीआई के डेटा के मुताबिक, 2013-14 में देश में नौकरी करने वालों की संख्या 47.15 करोड़ थी। 2020-21 में 56.56 करोड़ लोग ऐसे थे, जिनके पास रोजगार थे। इस हिसाब से देखा जाए तो 2020-21 से 2023-24 के बीच 4 साल में 8 करोड़ नई नौकरियां बढ़ी हैं।


इन आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि 1983-84 में सिर्फ 30 करोड़ लोग ही ऐसे थे, जिनके पास नौकरी थी। 1993-94 तक नौकरी करने वालों की संख्या 37.31 करोड़ से ज्यादा हो गई। 2003-04 में 44.23 करोड़ लोगों के पास रोजगार था, जिनकी संख्या 2013-14 तक बढ़कर 47.15 करोड़ हो गई। 

कितनी है बेरोजगारी?

पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) की जुलाई से सितंबर 2024 की रिपोर्ट बताती है कि देश में बेरोजगारी दर 6.4 फीसदी है। इससे पहले अप्रैल से जून तिमाही में बेरोजगारी दर 6.6 फीसदी थी। बेरोजगारी दर से पता चलता है कि लेबर फोर्स में शामिल कितनों के पास रोजगार नहीं है। लेबर फोर्स में वो लोग होते हैं जो नौकरी की तलाश में रहते हैं या नौकरी के लिए उपलब्ध होते हैं। 


सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि बेरोजगारी दर घट रही है। 2017-18 में बेरोजगारी दर 6 फीसदी थी, जो 2023-24 तक घटकर 3.2 फीसदी पर आ गई। 


हालांकि, चिंता बढ़ाने वाली बात ये है कि पढ़ी-लिखी आबादी में बेरोजगारी दर बढ़ रही है। PLFS के नतीजों से पता चलता है कि 2023-24 में निरक्षर या 12वीं तक पढ़ाई करने वालों में बेरोजगारी दर 4.6 फीसदी थी। जबकि, ग्रेजुएशन या पीजी करने वालों में बेरोजगारी दर 12 से 13 फीसदी तक थी।