भारत की दिग्गज निर्माण कंपनी लार्सन एंड टूब्रो के चेयरमैन के एक बयान के बाद विवाद हो गया है। कंपनी के मालिक ने कर्मचारियों के अधिकारों के विपरित बयान दिया है, जिसके बाद उनकी आलोचना हो रही है। दरअसल, लार्सन एंड टूब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने कहा, 'उन्हें 'रविवार' को अपने कर्मचारियों से काम नहीं करा पाने का अफसोस है।' 

 

विवाद बढ़ते के बाद लार्सन एंड टूब्रो ने अपने मालिक के बयान का बचाव किया है। कंपनी ने सफाई देते हुए एक बयान जारी कर कहा है कि सुब्रह्मण्यन की टिप्पणी में इस बात पर जोर दिया गया था कि 'असाधारण परिणामों' के लिए 'असाधारण प्रयास' की जरूरत होती है। यानी कि ज़िदगी में ज्यादा पाने के लिए अधिक काम करना चाहिए। 

 

एसएन सुब्रह्मण्यन ने कहा है कि कर्मचारियों को हफ्ते में 90 घंटे काम करना चाहिए। उनके मुताबिक कर्मचारी हफ्ते में सातों दिन 12 घंटे काम करे तब जाकर इंसान कुछ पा सकेगा। सुब्रह्मण्यन कर्मचारियों से बात कर रहे थे। इस दौरान उनसे पूछा गया कि अरबों डॉलर की उनकी कंपनी अपने कर्मचारियों से शनिवार को भी काम क्यों करवा रही है? 

 

'रविवार को काम करवा पाऊं तो ज्यादा खुशी होगी'

 

इसपर उन्होंने जवाब देते हुए कहा, 'मुझे अफसोस है कि मैं आपको रविवार को काम नहीं करवा पा रहा हूं। अगर मैं आपको रविवार को काम करवा पाऊं तो मुझे ज्यादा खुशी होगी, क्योंकि मैं रविवार को भी काम करता हूं।' 

 

पत्नी को कितनी देर तक घूरोगे?

 

अरबपति एसएन सुब्रह्मण्यन यही नहीं रूके। उन्होंने दो कदम आगे बढ़ते हुए सवाल पूछा कि कर्मचारी काम नहीं कर रहे होते हैं तो वे घर पर क्या करते हैं? इसपर उन्होंने कहा, 'आप घर पर बैठकर क्या करते हैं? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक घूरोगे? चलो, ऑफिस जाओ और काम करना शुरू करो।'

 

अपने मालिक की बात को सही ठहराने के लिए लार्सन एंड टूब्रो ने इसी बात को दूसरे तरीके से कहा। कंपनी ने यह कहते हुए सुब्रह्मण्यन की टिप्पणी को दोहराया है कि भारत में विकास को गति देने के लिए 'सामूहिक समर्पण और कोशिश की मांग करने वाला समय' चाहिए।

 

दीपिका पादुकोण ने दी प्रतिक्रिया

 

मशहूर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने सोशल मीडिया पर सुब्रह्मण्यन के बयान की निंदा की है। दीपिका ने इसे हैरान कर देने वाला बयान बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करके कामकाजी जीवन में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने लिखा, 'यह देखना काफी हैरानी भरा है कि इतने वरिष्ठ पदों पर बैठे लोग ऐसे बयान देते हैं।'

 

बता दें कि इससे पहले इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति ने कहा था कि कर्माचरियों को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए। नारायण मूर्ति के इस बयान पर पूरे देश में उनकी आलोचना हुई थी। 

 

भारत में काम करने का क्या है कानून?

 

भारत में लेबर लॉ के मुताबिक काम करने के घंटे और समय निर्धारित है। श्रम कानून 'फैक्ट्री एक्ट, 1948' और 'शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट एक्ट' के तहत काम के घंटे और ओवरटाइम के नियम निर्धारित किए जाते हैं। कानून के मुताबिक, सामान्य काम के घंटे एक हफ्ते में अधिकतम 48 घंटे काम करने की अनुमति है। इसका मतलब है कि दिन में अधिकतम 8 घंटे और हफ्ते में 6 दिन काम किया जा सकता है।

 

इसके अलावा हर दिन के काम के बीच 30 मिनट का आराम अनिवार्य है। अगर कर्मचारियों का काम 5 घंटे से ज्यादा है तो हर कर्मचारी को 6 दिन काम करने के बाद एक दिन का साप्ताहिक अवकाश देना अनिवार्य है।

 

क्या हैं अंतरराष्ट्रीय मानक?

 

वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने हफ्ते में 40 घंटे काम करने की सिफारिश करता है। हालांकि, भारत में अभी तक यह 48 घंटे है। यानी कि लार्सन एंड टूब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने कानूनी तौर पर गलत बयान दिया है।