दुनिया रहस्यों से भरी है। इसी रहस्यमयी संसार में कई रोचक धर्म और समुदाय हैं। इनके अनुयायियों की संख्या हजारों से कुछ लाखों तक है। किसी विशेष घटना पर इनका जिक्र होता है। हाल ही में इजरायल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में हवाई हमला किया तो ड्रुज धार्मिक समुदाय की चर्चा होने लगी। 11वीं शताब्दी में इस्माइली शिया इस्लाम से यह समुदाय निकला। लेबनान, सीरिया, इजरायल और जॉर्डन में ड्रुज समुदाय फैला है। 

 

हिंदू धर्म की तरह यह समुदाय भी पुनर्जन्म में विश्वास रखता है। इस धर्म में यहूदी, ईसाई और इस्लाम की भी मान्यताएं देखने को मिलती हैं। कोई भी व्यक्ति ड्रुज समुदाय का हिस्सा नहीं बन सकता है। मतलब यह धर्म जन्म से ही हासिल होता है। अधिकांश लोग अपने धर्म में ही पूजा करते हैं। आज बात दुनिया के ऐसे ही पांच रहस्यमयी धर्मों की, जिनके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। 

 

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रास्ताफेरियनिज्म

रास्ताफेरियनिज्म धर्म की शुरुआत 1930 में जमैका में हुई थी। यह एक नया धर्म है। इसके अनुयायी बाइबिल के कुछ अंशों को अफ्रीकी मान्यताओं के साथ मानते हैं। वह अपने आपको इजरायल के 12 कबीले में से एक का हिस्सा भी मानते हैं। उनका यह भी मानना है कि इथियोपिया उनका मूल देश है। जैसे यहूदी इजरायल लौटे थे। एक दिन वह भी इथियोपिया लौटेंगे। दुनियाभर में इस संप्रदाय के मानने वालों की संख्या 10 लाख से कम है। इसके मानने वालों की मान्यता है कि ईश्वर हम सभी में है। यह समुदाय शाकाहारी है और प्रकृति प्रेमी है। अनुयायी अपने बालों को न तो काटते हैं और न ही कंघी करते हैं। इस धर्म के लोग गांजा को पवित्र जड़ी-बूटी और आध्यात्म का मार्ग मानते हैं।  

 

टेंग्रिज्म

 

टेंग्रिज्म धर्म तुर्की से मंगोलिया तक मध्य एशिया में फैला है। दुनियाभर में इनकी आबादी लगभग 5 लाख की है। यह धर्म एक ईश्वर पर विश्वास करता है। धर्म के प्रमुख देवता को तेंगरी (आकाश) कहते हैं। अनुयायियों का मानना है कि तेंगरी देवता अज्ञेय और काल से परे हैं। चंगेज खान भी इसी धर्म को मानता था। उसका यह राजकीय धर्म भी रहा है। इस धर्म में आत्माओं से कनेक्शन, आत्मा का भटकना और बलिदान जैसी मान्यताएं शामिल हैं। आज यह धर्म लुप्तप्राय स्थिति में है।

 

काओ दाई धर्म

वियतनाम में जन्मा यह धर्म महज 99 साल पुराना है। इस धर्म में इस्लाम, ईसाई, बुद्ध और कन्फ्यूशियस धर्म की मान्यताएं शामिल हैं। इस धर्म में गौतम बुद्ध , कन्फ्यूशियस, ईसा मसीह, मुहम्मद, लाओ त्से, जूलियस सीजर, जोन ऑफ आर्क और फ्रेंच लेखक विक्टर ह्यूगो को पवित्र आत्मा माना जाता है। इसके अनुयायी की संख्या लगभग 4 से 6 मिलियन तक है। त्रिकोण में एक आंख को भगवान के तौर पर पूजा जाता है। रोमन कैथोलिक की तरह ही इस धर्म में भी पोप,कार्डिनल और आर्कबिशप होते हैं। 1926 में औपचारिक तौर पर न्गो वान चियू ने इसकी शुरुआत की थी। वह इस धर्म के पैगंबर बने। इसका मुख्यालय हो ची मिन्ह सिटी के नजदीक तय निन्ह में है।

 

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अफ्रीकी वोदुन धर्म

माना जाता है कि यह धर्म लगभग 6 हजार वर्ष पहले अस्तित्व में आया था। मगर 17 से 20वीं शताब्दी के बीच दाहोमी साम्राज्य ने पश्चिम अफ्रीका में अफ्रीकी वोदुन धर्म को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई। इस धर्म को काले जादू और टोने से भी जोड़ा जाता है। आत्माओं और पूर्वजों से जुड़ने की रस्में इसे रहस्यमयी बनाती हैं। दुनियाभर में लगभग 1 करोड़ लोग इस धर्म को मानते हैं। नाइजीरिया, घाना, टोगो और बेनिन में यह फैला है। इस धर्म के लोग बीमारी, खराब मौसम और आत्माओं को खुश करने की खातिर मूर्तियों को प्रसाद चढ़ाते हैं। वोदुन शब्द का मतलब आत्मा होता है। इसके सर्वोच्च देवता को 'मावु' नाम से जाना जाता है। यह विश्वास है कि मावु देवता का पूरे ब्रह्मांड में नियंत्रण है।

यजीदी धर्म

यह धर्म मुख्य तौर पर ईराक में फैला है। इस्लामिक स्टेट के उदय के बाद यजीदी लोगों को कत्लेआम का सामना करना पड़ा। हजारों लोगों को सिंजर पर्वतों में भागना पड़ा। यह इराक का सबसे पुराना अल्पसंख्यक समुदाय है। दुनियाभर में यजीदी धर्म के लोगों को आबादी लगभग 7 लाख है। माना जाता है कि इस धर्म की स्थापना उमय्यद शेख ने 11वीं शताब्दी में की थी। धर्म के अनुयायी मोर पक्षी को ईश्वर का दूत मानते हैं। इसमें पारसी धर्म की तरह अग्निपूजा, हिंदू धर्म की तर्ज पर पुनर्जन्म में विश्वास जैसी मान्यताएं शामिल हैं। आईएस जैसे आतंकी संगठन यजीदियों को काफिर मानते हैं।