दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन 'महाकुंभ' की प्रयागराज में आज से शुरू हो गया है।। पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ श्रद्धालुओं ने 'कल्पवास' शुरू किया। 26 फरवरी को अंतिम स्नान के साथ महाकुंभ का समापन होगा। इस साल महाकुंभ में 45 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया गया है।
क्या है कुंभ?
कुंभ मेला तीन तरह का होता है- महाकुंभ, पूर्णकुंभ और अर्धकुंभ। इसका आयोजन हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज और नासिक में होता है। महाकुंभ का आयोजन केवल प्रयागराज में होता है। माना जाता है कि कुंभ में स्नान करने से मोक्ष मिलता है। प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम के कारण इसका अलग ही धार्मिक महत्व है।
कुंभ की कहानी क्या है?
कुंभ के पीछे पौराणिक कहानियां हैं। पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान राक्षसों और देवताओं के बीच अमृत को लेकर संघर्ष हुआ था। इस संघर्ष के दौरान अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरीं। यही कारण है कि कुंभ का आयोजन इन्हीं 4 जगहों पर होता है। एक मान्यता ये भी है कि अमृत से भरे कलश को स्वर्ग पहुंचने में 12 दिन लगे थे। देवताओं का एक दिन पृथ्वी के एक साल के बराबर होता है। इस कारण हर 12 साल में पूर्ण कुंभ का आयोजन होता है।
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शाही स्नान क्या होता है?
कुंभ में शाही स्नान का अपना खास महत्व है। इस साल महाकुंभ में 3 शाही स्नान होंगे। पहला शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर होगा। दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर और तीसरा शाही स्नान 3 फरवरी को बसंत पंचमी पर होगा। इनके अलावा बाकी दिनों में भी स्नान होगा।
कुंभ में कैसी है व्यवस्था?
- एरियाः इस बार कुंभ मेला 4 हजार हेक्टेयर में लगाया गया है। पिछली बार से ये 25 फीसदी बढ़ाया गया है। पिछली बार कुंभ मेले का एरिया 3,200 हेक्टेयर था। यूपी के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि मेला क्षेत्र 25 सेक्टरों में बांटा गया है। घाटों की लंबाई 12 किलोमीटर की गई है। पार्किंग का क्षेत्र भी 1,850 हेक्टेयर किया गया है।
- खर्च कितनाः महाकुंभ के लिए इस बार खास तैयारियां की गई हैं। लिहाजा खर्चा भी काफी बढ़ा है। 2019 में कुंभ पर लगभग 3,500 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इस बार महाकुंभ में 7 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
- सुरक्षाः मेले की सुरक्षा के लिए 45 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। सुरक्षा के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है। सोशल मीडिया पर भी निगरानी की जा रही है। इसके साथ ही मेले की चप्पे-चप्पे की निगरानी के लिए 3 हजार से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
- रुकने की व्यवस्थाः महाकुंभ में श्रद्धालुओं के रुकने के लिए टेंटसिटी बनाई गई है। ये टेंटसिटी संगम से मात्र 3.5 किलोमीटर दूर है। टेंट सिटी में विला का किराया 35 हजार रुपये प्रति दिन, महाराजा का किराया 24 हजार रुपये प्रति दिन, सुपर डीलक्स 12 हजार रुपये प्रति दिन रहेगा। वहीं, डॉरमेट्री का एक दिन का किराया 1,500 रुपये है। टेंट सिटी में 1.60 लाख टेंट लगाए गए हैं।
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इस बार डिजिटल महाकुंभ
इस बार महाकुंभ को डिजिटल भी किया गया है। यूपी सरकार ने महाकुंभ मेला ऐप, AI चैटबॉट, QR कोड से जानकारी और डिजिटल खोया-पाया केंद्र बनाया है। ऐप पर कुंभ से जुड़ी हर जानकारी मिल जाएगी। महाकुंभ में 10 डिजिटल खोया-पाया केंद्र बनाए गए हैं। ये केंद्र महाकुंभ में परिवार से बिछड़ने वाले लोगों को खोजने में मदद करेंगे। महाकुंभ में परिवार से बिछड़ने वालों से जुड़ी जानकारी वहां पर मौजूद सभी LCD पर दिखाई जाएगी।
कैसे पहुंच सकते हैं प्रयागराज?
प्रयागराज में रेल, बस और फ्लाइट के जरिए पहुंचा जा सकता है। महाकुंभ के दौरान 13 हजार से ज्यादा ट्रेनें चलाई जाएंगी। इसके लिए 4,500 करोड़ का बजट रखा गया है। महाकुंभ के लिए रेलवे ने 3 हजार स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा की है। मौनी अमावस्या के दिन अलग से 300 ट्रेनें चलाई जाएंगी। यूपी रोडवेज भी लगभग 7000 बसों की सुविधा उपलब्ध कराने जा रहा है। महाकुंभ मेला सिटी से सबसे पास प्रयागराज बमरौली एयरपोर्ट है, जो कि महाकुंभ मेला सिटी से 22 किलोमीटर की दूरी पर है।