महाराष्ट्र में कई जगहों पर 15 और 20 अगस्त को मीट की दुकानें बंद रहेंगी। महाराष्ट्र के कई नगर निगमों ने मीट की दुकानें बंद रखने का आदेश जारी कर दिया है। इस पर सियासत भी शुरू हो गई है। विपक्ष तो सरकार को घेर ही रहा है लेकिन अब सरकार में भी इसे लेकर मतभेद मतभेद बढ़ता दिख रहा है। फडणवीस की सरकार में डिप्टी सीएम ने मीट की दुकानें बंद करे के फैसले को 'गलत' बताया है।

 

सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि तेलंगाना में भी कुछ जगहों पर मीट की दुकानों को बंद रखने का आदेश दिया गया है। इस फैसले को हैदराबाद से सांसद और AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने 'असंवैधानिक' और 'कठोर' भरा बताया है।

महाराष्ट्र में कई जगह मीट बैन

महाराष्ट्र की कई नगर निगमों ने 15 और 20 अगस्त को मीट की दुकानें बंद करने का आदेश दिया है। 15 अगस्त को 'जन्माष्टमी' और 20 अगस्त को जैन धर्म के 'पर्यूषण पर्व' के चलते यह आदेश दिया गया है।

 

इसे लेकर महाराष्ट्र की छत्रपति संभाजीनगर, कल्याण-डोंबीवली, मालेगांव और नागपुर नगर निगम ने आदेश जारी किया है। सबसे पहले कल्याण-डोंबीवली नगर निगम ने 15 अगस्त को मीट की दुकानें बंद रखने का आदेश जारी किया था। इसके बाद छत्रपति संभाजीनगर नगर निगम ने भी ऐसा ही आदेश दिया।

 

आदेश के मुताबिक, 15 और 20 अगस्त को इन शहरों में न सिर्फ मीट बेचने की दुकानें बंद रहेंगी, बल्कि सभी बूचड़खाने भी बंद रहेंगे।

 

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सरकार में ही शुरू हुआ विरोध

महाराष्ट्र में कई नगर निगमों की ओर से जारी किए गए ऐसे आदेश के बाद सियासत शुरू हो गई है। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं।

 

अजित पवार ने कहा, 'इस तरह का प्रतिबंध लगाना गलत है। बड़े शहरों में कई जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं। अगर भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है तो लोग इस प्रतिबंध को एक दिन के लिए मान लेते हैं। लेकिन अगर आप महाराष्ट्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर भी ऐसे आदेश लागू करते हैं तो यह मुश्किल है'

 

उन्होंने कहा, 'अगर यह प्रतिबंध आषाढ़ी एकादशी या महावीर जयंती पर होता तो समझ में आता है लेकिन जब ऐसा कोई अवसर ही नहीं है तो मीट की दुकानों को बंद रखने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है?' उन्होंने कहा, 'यह हर व्यक्ति की अपनी पसंद है कि उसे क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? किसी को भी यह फैसला थोपने का हक नहीं है। कुछ लोग शाकाहारी होते हैं और कुछ मांसाहारी। यह व्यक्ति की आदत, संस्कृति और भौगोलिक परिस्थितियों का हिस्सा होता है'

 

 

इस फैसले पर शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, 'स्वतंत्रता दिवस पर हम क्या खाते हैं, यह हमारा अधिकार है, हमारी आजादी है। वे हमें यह नहीं बता सकते कि हमें क्या खाना चाहिए। हमारे घर में, नवरात्रि के दौरान भी, प्रसाद में झींगा और मछली होती है, क्योंकि यह हमारी परंपरा है। यह हमारा हिंदुत्व है। आप हमारे घरों में क्यों घुस रहे हैं?'

 

इससे पहले एनसीपी (एसपी) विधायक जितेंद्र अव्हाड ने कहा था कि वह 15 अगस्त को अपने घर पर 'मटन पार्टी' का आयोजन करेंगे।

 

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बीजेपी ने क्या कहा?

एक ओर मीट बैन को लेकर बीजेपी सरकार को निशाना बनाया जा रहा है। वहीं, बीजेपी ने इस फैसले का बचाव करते हुए 1988 के एक आदेश का हवाला दिया है।

 

बीजेपी का कहना है कि यह फैसला पहली बार नहीं लिया गया है। बीजेपी ने अपने बयान में कहा, 'महाराष्ट्र में कुछ नगर निगमों ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने क्षेत्र में बूचड़खानों और मीट की दुकानों को 24 घंटे के लिए बंद करने का आदेश दिया है। यह कोई नया फैसला नहीं है। यह 12 मई 1988 को लिया गया था। तब से यह चलन में है। हर साल कोई न कोई नगर निगम ऐसा फैसला लेता है'

 

 

महाराष्ट्र बीजेपी के मीडिया सेल प्रभारी नवनाथ बान ने कहा, 'स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती, महावीर जयंती और रामनवमी जैसे त्योहारों पर बूचड़खानों और मीट की दुकानों को बंद रखने का फैसला 1988 में तत्कालीन सरकार ने लिया था। तब से कुछ नगर निगम इसका पालन करते आ रहे हैं' उन्होंने दावा किया कि जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब भी ऐसा फैसला लागू किया गया था। नागपुर नगर निगम ने 2021 और 2022 में मीट की दुकानों को बंद करने का आदेश दिया था।

 

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तेलंगाना में भी लगाया गया प्रतिबंध

सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि तेलंगाना में कुछ जगहों पर 15 और 16 अगस्त को मीट की दुकानें बंद करने का आदेश दिया गया है।

 

हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'ऐसा लगता है कि देशभर के कई नगर निगमों ने 15 अगस्त को बूचड़खाने और मीट की दुकानें बंद रखने का आदेश दिया है। दुर्भाग्य से हैदराबाद नगर निगम ने भी ऐसा ही आदेश दिया है। यह कठोर और असंवैधानिक है'

 

 

उन्होंने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'मांस खाने और स्वतंत्रता दिवस मनाने के बीच क्या संबंध हैं? तेलंगाना के 99% लोग मांस खाते हैं। मांस खाने पर प्रतिबंध लगाने लोगों की स्वतंत्रतता, निजता, संस्कृति और धर्म के अधिकार का उल्लंघन है'