केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने भारत के सबसे बड़े मेडिकल शिक्षा घोटालों में से एक का खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक यह घोटाला कई राज्यों में फैला हुआ है और इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बड़े अधिकारी, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC), बिचौलिये, निजी कॉलेजों के प्रतिनिधि, मशहूर शिक्षाविद और एक ‘बाबा’ शामिल हैं।

 

CBI ने अपनी FIR में 34 लोगों के नाम दर्ज किए हैं। इनमें स्वास्थ्य मंत्रालय के 8 अधिकारी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण का एक अधिकारी और NMC की निरीक्षण टीम के 5 डॉक्टर शामिल हैं। कुछ बड़े नाम इस प्रकार हैं: 

- डीपी सिंह: पूर्व UGC चेयरमैन और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के वर्तमान चांसलर।  

- रवि शंकर महाराज (रावतपुरा सरकार): स्वयंभू बाबा और रावतपुरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के चेयरमैन।

- सुरेश सिंह भदौरिया: इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन।  

- मयूर रावल: गीतांजलि यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार।

इन चारों लोगों पर अधिकारियों को रिश्वत देने और जांच को प्रभावित करने का आरोप है।

क्या है घोटाला?

CBI के अनुसार, रावतपुरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नया रायपुर को अच्छी निरीक्षण रिपोर्ट देने के लिए NMC के तीन डॉक्टरों ने 55 लाख रुपये की रिश्वत ली। रवि शंकर ने निरीक्षण की पहले से जानकारी हासिल करने की कोशिश की। इसके लिए उनके इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर अतुल कुमार तिवारी ने मयूर रावल से संपर्क किया, जिन्होंने 25-30 लाख रुपये मांगे और निरीक्षण की तारीख व निरीक्षकों के नाम बताए। CBI का कहना है कि डीपी सिंह ने भी रवि शंकर की मदद की और एक सुरेश नाम के व्यक्ति को अच्छी रिपोर्ट दिलाने का जिम्मा सौंपा।

स्वास्थ्य मंत्रालय में भी गड़बड़ी

स्वास्थ्य मंत्रालय के 8 अधिकारियों ने गोपनीय फाइलों की जानकारी बिचौलियों और कॉलेज प्रतिनिधियों को दी। इन अधिकारियों ने फाइलों की तस्वीरें खींचकर रिश्वत के बदले साझा कीं। इनका नाम है: पूनम मीणा, धर्मवीर, पीयूष माल्याण, अनूप जायसवाल, राहुल श्रीवास्तव, दीपक, मनीषा और चंदन कुमार। इस जानकारी की मदद से मेडिकल कॉलेज पहले से तैयारी कर लेते थे। वे नकली मरीज भर्ती करते, फर्जी शिक्षकों (घोस्ट फैकल्टी) को दिखाते और बायोमेट्रिक सिस्टम में छेड़छाड़ करते।

नकली बायोमेट्रिक और फर्जी मरीज  

इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया ने नकली बायोमेट्रिक अटेंडेंस के लिए आर्टिफिशियल उंगलियों का इस्तेमाल किया। मेडिकल कॉलेजों ने निरीक्षण के दौरान फर्जी मरीज और शिक्षकों को दिखाकर नियमों का पालन करने का ढोंग किया। CBI के मुताबिक, लाखों रुपये की रिश्वत NMC टीमों, बिचौलियों और निजी कॉलेजों के बीच हवाला के जरिए दी गई। इस पैसे का इस्तेमाल मंदिर बनाने जैसे कामों में भी किया गया।

दक्षिण भारत में भी घोटाला

यह घोटाला आंध्र प्रदेश और तेलंगाना तक फैला है। अनंतपुर में हरि प्रसाद नाम के व्यक्ति ने कई कॉलेजों के लिए फर्जी शिक्षकों की व्यवस्था की। उनके साथी कृष्णा किशोर और अंकम रमबाबू ने विशाखापट्टनम के गायत्री मेडिकल कॉलेज और वारंगल के फादर कोलंबो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से रिश्वत ली।

CBI की कार्रवाई  

CBI ने अब तक 8 लोगों को गिरफ्तार किया है और जांच जारी है। यह घोटाला मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर बड़ा सवाल उठाता है।