भारत में 2021 में 21 लाख ज्यादा मौतें हुई हैं। 2020 में तकरीबन 81 लाख लोगों की मौत हुई थी जबकि 2021 में 1 करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए। यह जानकारी रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) की रिपोर्ट में सामने आई है। यह गृह मंत्रालय के अधीन आता है।
RGI ने हाल ही में 2021 की सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) की रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में सामने आया है कि 2020 में 81.15 लाख लोगों की मौतें रजिस्टर हुई थीं। 2021 में 1.02 करोड़ मौतें दर्ज हुईं। इस हिसाब से देखा जाए तो 2020 की तुलना में 2021 में 21.08 लाख ज्यादा मौतें हुईं।
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क्या कोविड थी इसकी वजह?
2021 वह साल था जब देश में कोविड की सबसे खतरनाक दूसरी लहर थी। इस दौरान ऑक्सीजन की भी जबरदस्त कमी देखने को मिली थी। यह वह दौर था जब जरूरी दवाओं की किल्लत भी हो रही थी और अस्पतालों में बेड भी नहीं मिल रहे थे। हालांकि, पूरी तरह से यह नहीं कहा जा सकता कि कोविड की वजह से ही 21 लाख ज्यादा मौतें हुई हैं।
लेकिन, यह भी साफ है कि सरकारों ने मौत का जितना आंकड़ा दिया था, उससे 81 हजार ज्यादा मौतें कोविड से हुई थीं। सभी राज्य सरकारों के आंकड़ों को देखें तो 2021 में देशभर में कोविड से 3.32 लाख मौतें हुई थीं। वहीं, RGI की मेडिकल सर्टिफिकेशन ऑफ कॉज ऑफ डेथ (MCCD) की रिपोर्ट में 2021 में कोविड डेथ का आंकड़ा 4.13 लाख दिया गया है।
लेकिन यहां भी एक पेच है। 2021 में 1.02 करोड़ मौतों में से सिर्फ 23.4% यानी 23.95 लाख मौतें ही मेडिकली रूप से सर्टिफाइड थीं। यानी, सिर्फ इन्हीं 23.95 लाख मौतों की असली वजह सामने आई थी। बाकी 78.29 लाख से ज्यादा मौतों की असल वजह सामने नहीं आ सकी थी।
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तो बच सकती थी कई जानें?
CRS की रिपोर्ट से पता चलता है कि करीब आधी मौतें ऐसे वक्त हुईं, जब वहां न तो कोई डॉक्टर था और न ही कोई मेडिकल स्टाफ। रिपोर्ट बताती है कि 2021 में 25.1% मौतें सरकारी अस्पताल और 14.2% मौतें निजी अस्पतालों में हुई थीं। वहीं, 13.3% मौतें किसी न किसी डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ की निगरानी में हुई थी।
हालांकि, 47.4% मौतें तब हुईं, जब वहां कोई डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ नहीं था। अगर इसे संख्या में बदला जाए तो करीब 48.46 लाख लोग ऐसे थे, जिनकी मौत समय पर मेडिकल सुविधा नहीं मिलने के कारण हो गई। इस हिसाब से हर दिन औसतन 13 हजार से ज्यादा मौतें मेडिकल सुविधा नहीं मिलने की वजह से हुईं।