मिजोरम में अवैध घुसपैठ का मुद्दा गरमाने लगा है। इसको लेकर राज्य में आवाजें उठने लगी हैं। मिजोरम के सबसे बड़े छात्र संगठन, मिजो जिरलाई पावल (MZP) ने लालदुहावमा सरकार से अवैध घुसपैठ को लेकर कड़े कदम उठाने तक की बात कह दी है। दरअसल, मिजो जिरलाई पावल ने राज्य सरकार से असम-मिजोरम बॉर्डर पर संभावित अवैध घुसपैठ को गेखते हुए सुरक्षा कड़ी करने और वहां सतर्कता बढ़ाने का आह्वान किया है।

 

मिजो जिरलाई पावल में राज्य सरकार से यह मांग कोई ऐसे ही नहीं की है बल्कि एक घटना के बाद यह कदम उठाया है। यह मांग सोमवार (18 अगस्त) रात की एक घटना के बाद की गई है। 18 अगस्त को बड़ी संख्या में गैर-आदिवासी असम-मिजोरम बॉर्डर के पास वैरेंगटे गेट पर इकट्ठा हो गए। इन्होंने मिजोरम में प्रवेश के लिए इनर लाइन परमिट (Inner Line Permits) मिलने में देरी के बाद जमकर विरोध-प्रदर्शन किया। विरोध-प्रदर्शन के बाद इलाके की स्थिती तनावपूर्ण हो गई।

 

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राज्य में क्यों पैदा हुई चिंता?

मिजो जिरलाई पावल के अध्यक्ष एच. लालथियांघलीमा ने इस बारे में कहा कि इस घटना ने राज्य में चिंता पैदा कर दी है। उन्होंने कहा कि गैर-आदिवासी, विशेष रूप से संदिग्ध बांग्लादेशी अप्रवासी, असम सरकार द्वारा अवैध बसने वालों के खिलाफ शुरू किए गए बेदखली अभियान से बचने के लिए मिजोरम में घुसने की कोशिश कर सकते हैं।

 

छात्र संगठन ने राज्य के शीर्ष अधिकारियों से राज्य के जनसांख्यिकीय संतुलन की रक्षा के लिए तुरंत कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। साथ ही यह सुनिश्चित करने का सरकार से आग्रह किया है कि उचित सत्यापन के जरिए केवल वास्तविक लोगों को ही मिजोरम में प्रवेश की अनुमति दी जाए।

असम में क्या है विवाद?

बता दें कि असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार राज्य में बिना वैध दस्तावेजों के रह रहे अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को वापस भेज रही है। इस कार्रवाई के तहत असम सरकार ने सैकड़ों लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया है। सीएम हिमंत खुद कह चुके हैं कि असम में हम अतिथियों का स्वागत खुले दिल से करते हैं, लेकिन जो लोग अवैध रूप से अपनी मौजूदगी को बढ़ाने की कोशिश करते हैं, उनके लिए हमारे पास विशेष ‘पुशबैक’ का इंतजाम करते हैं।

पुलिस ने बताई अलग कहानी

मिजो जिरलाई पावल चीफ ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार से पड़ोसी राज्य से किसी भी अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए असम से लगती राज्य सीमा पर अतिरिक्त पुलिस और सुरक्षाकर्मियों को तैनात करने का आग्रह किया है। हालांकि, इस बीच मिजोरम पुलिस का कहना है कि असम से मिजोरम में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे लोगों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी संभवतः राजधानी आइजोल में जोखावसांग स्थित असम राइफल्स बटालियन मुख्यालय में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के लिए आयोजित भर्ती रैली की वजह से है।

 

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पुलिस ने कहा कि 18 अगस्त की रात वैरेंगटे गेट पर मिजोरम में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे कुछ गैर-आदिवासी लोगों ने हंगामा किया। उन्होंने सवाल उठाने हुए कहा कि जब मिजोरम भारत का हिस्सा है तो इनर लाइन परमिट क्यों लेना पड़ता है? हालांकि, बॉर्डर पर चेक गेट पर तैनात पुलिस अधिकारियों ने उन्हें समझाया और बिना किसी अप्रिय घटना के उन्हें शांत कर दिया।

एक दिन में 544 परमिट

एच. लालथियांघलीमा ने कहा कि इस मामले को लेकर मिजो जिरलाई पावल के नेताओं ने मंगलवार को राज्य के गृह मंत्री के. सपदांगा से मुलाकात की। इसमें गृह मंत्री से असम सरकार द्वारा जारी बेदखली अभियान को देखते हुए अंतर-राज्यीय सीमा पर निगरानी बढ़ाने का आग्रह किया। एमजेडपी अध्यक्ष के मुताबिक, अगस्त में कुल 2,573 इनर लाइन परमिट जारी किए गए, जिनमें से 18 अगस्त को एक ही दिन में 544 परमिट दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि एक दिन में जारी होने वाले इनर लाइन परमिट का औसत 140 था, लेकिन एक ही दिन में 544 आईएलपी जारी होना राज्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

अप्रिय घटना कोई जिम्मेदारी नहीं

उन्होंने कहा कि असम सरकार द्वारा शुरू की गई कार्रवाई की वजह से मिजोरम में कभी भी अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की आमद हो सकती है। लालथियांघलीमा ने यह भी कहा कि मिजो जिरलाई पावल ने असम से बेदखली अभियान के कारण मिजोरम में प्रवेश करने वाले सभी बांग्लादेशी प्रवासियों को कड़ी चेतावनी जारी की है। साथ ही उन्हें आगाह किया है कि यहां आने के बाद अगर उनके खिलाफ कोई अप्रिय घटना होती है तो मिजो जिरलाई पावल कोई जिम्मेदारी नहीं लेगा।

 

लालथियांघलीमा का रहना है कि छात्र संगठन ने मिजोरम में रहने वाले गैर-आदिवासी प्रवासियों से भी अपने-अपने क्षेत्रों में किसी भी बांग्लादेशी प्रवासी का पता लगाने का आग्रह किया है। उन्होंने ने आगे कहा कि संगठन इनर लाइन परमिट के उल्लंघन को रोकने के लिए राज्य में प्रवेश करने की कोशिश करने वाले लोगों की जांच करने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की मदद करेगा।