देश की जनसंख्या को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को चिंता जाहिर की। नागपुर में 'कथले कुल (वंश) सम्मेलन' में बोलते हुए उन्होंने परिवार के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि अगर जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से कम हो जाती है तो समाज नष्ट हो जाएगा।
भागवत ने कहा कि 'कुटुंब' (परिवार) समाज का अभिन्न अंग है, जिसमें प्रत्येक परिवार एक इकाई के रूप में कार्य करता है। उन्होंने जनसंख्या में कमी पर चिंता जताते हुए कहा कि लोकसंख्या शास्त्र कहता है कि अगर हम 2.1 से नीचे चले जाते हैं, तो वह समाज नष्ट हो जाता है, कोई भी इसे नष्ट नहीं कर सकता, यह अपने आप नष्ट हो जाएगा।
'3 बच्चे पैदा क्यों करें?'
आरएसएस प्रमुख ने भारत की जनसंख्या नीति पर कहा कि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से कम नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'हमें दो से अधिक, यानी तीन बच्चे करने चाहिए, यही जनसंख्या विज्ञान कहता है। यह संख्या महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समाज को जीवित रखता है।
इससे पहले, नागपुर में दशहरा रैली के दौरान आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत को एक सुविचारित जनसंख्या नीति की जरूरत है जो सभी समुदायों पर समान रूप से लागू हो। उन्होंने बताया कि समुदायों के बीच जनसंख्या असंतुलन भौगोलिक सीमाओं को प्रभावित कर सकता है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने देश में समुदायों के बीच संतुलन बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया।
जनसंख्या को लेकर चिंता में क्या भागवत?
भागवत ने कहा था, 'यह सच है कि जितनी अधिक जनसंख्या होगी, उतना ही अधिक बोझ होगा। यदि जनसंख्या का सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह एक संसाधन बन जाती है। हमें यह भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 साल बाद कितने लोगों को खिला सकता है और उनका भरण-पोषण कर सकता है। जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में बदलाव होता है।'