भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच चीन की एंट्री ने एक नया मोड़ ला दिया है। चीन ने खैबर पख्तूनख्वा में मोहमंद बांध पर काम तेज कर दिया है, ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है। इस बांध का पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में चीन की मदद से बनना दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में एक नया तनाव पैदा कर रहा है। भारत, जो PoK को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है, इन परियोजनाओं को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है और इसका कड़ा विरोध करता है।

 

लेकिन यह एकमात्र बांध नहीं है जो कि पीओके में चीन बना रहा है, बल्कि इस तरह के कई बांध हैं जो कि रणनीतिक रूप से काफी महत्त्वपूर्ण है। खबरगांव आपको ऐसे ही बांधों के बारे में बता रहा है जो कि चीन की मदद से पीओके में बनाए जा रहे हैं और जो कि रणनीतिक रूप से काफी महत्त्वपूर्ण हैं।

 

इन बांधों के नियंत्रण रेखा (LoC) के पास होने से तनाव और बढ़ता है। 2025 में भारत द्वारा सिंधु जल संधि (IWT) के निलंबन के बाद, इन बांधों का महत्व और विवाद और गहरा गया है। ये परियोजनाएं पर्यावरणीय क्षति और स्थानीय विरोध के कारण भी चर्चा में हैं, जो क्षेत्र को अस्थिर कर सकती हैं।

 

दियामर-भाशा बांध

दियामर-भाशा बांध सिंधु नदी पर है। मुख्य रूप से यह गिलगित-बाल्टिस्तान में और इसका कुछ हिस्सा खैबर पख्तूनख्वा में है। इसकी क्षमता 4,500 मेगावाट बिजली पैदा करने; 64 लाख एकड़-फीट पानी के भंडारण की है। इस प्रोजेक्ट में चीन की हिस्सेदारी 70% है। इसका निर्माण 2020 में शुरू हुआ है और इसे 2028-29 तक पूरा किए जाने की उम्मीद है।

 

सामरिक महत्त्व की बात करें तो चूंकि इस बांध का निर्माण विवादित क्षेत्र में हो रहा है इसलिए यह भारत के लिए चिंता का विषय है।  भारत ने 2017, 2020 और 2025 में इसका विरोध किया, क्योंकि यह बांध भारत की संप्रभुता का उल्लंघन करता है। यह चीन और पाकिस्तान की क्षेत्र में बढ़ती मौजूदगी को दर्शाता है, जो भारत के लिए सुरक्षा खतरा है।

 

इसके अलावा संभावित रूप से यहां पीएलए की मौजूदगी भी भारत के लिए चिंता का विषय है। यह बांध कराकोरम हाईवे से जुड़ा है, जो चीन को ग्वादर बंदरगाह तक ऐक्सेस देता है, जिससे भारत की सीमाओं की सुरक्षा पर खतरा पैदा होता है

 

कोहाला डैम

कोहाला जल विद्युत परियोजना झेलम नदी पर मुजफ्फराबाद के पास बनाया जा रहा है। इसकी क्षमता 1,124 मेगावाट बिजली पैदा करने की है। यह CPEC की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है।

 

इसे लगभग 2.4 अरब डॉलर की लागत से चाइना थ्री गॉर्जेस कॉर्पोरेशन और CWE इन्वेस्टमेंट कॉर्प द्वारा बनाया जा रहा है, जिसे  2025 तक पूरा किया जाना है। कोहाला जलविद्युत परियोजना भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि यह विवादित PoK में बन रही है और झेलम नदी के प्रवाह को प्रभावित करती है। इसके अलावा बांध की स्थिति LoC के पास है, जो इसे भारत के लिए सामरिक खतरा बनाता है। संघर्ष की स्थिति में, पाकिस्तान इसका इस्तेमाल पानी के प्रवाह को रोकने या बाढ़ छोड़ने के लिए कर सकता है, जिससे जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढांचे और जनजीवन को नुकसान हो सकता है।

 

साथ ही पर्यावरण को नुकसान और स्थानीय लोगों की आजीविका पर असर पड़ रहा है, जिसके कारण PoK में विरोध हो रहा है। दी के प्रवाह में बदलाव से भारत के निचले क्षेत्रों में पर्यावरण और खेती पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

 

आज़ाद पट्टन डैम

आजाद पट्टन जल विद्युत परियोजना भी झेलम नदी पर एलओसी के पास है। इसकी क्षमता 700 मेगावाट, बिजली उत्पादन की है और यह बाढ़ नियंत्रण को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है। इसे लगभग 1.5 अरब डॉलर की लागत से चाइना गेझौबा ग्रुप द्वारा CPEC के तहत बनाया जा रहा है। इसका निर्माण कार्य 2020 में शुरू हुआ और 2025 तक इसका निर्माण जारी रहने की संभावना है।

 

भारत को डर है कि यह परियोजना क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बदल सकती है और पाकिस्तान को सामरिक लाभ दे सकती है। CPEC का हिस्सा होने के कारण, यह परियोजना PoK में चीन की आर्थिक और सामरिक पकड़ को बढ़ाती है। चाइना गेझौबा ग्रुप का नेतृत्व और संभावित चीनी सेना (PLA) की निगरानी (CPEC प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा के लिए) भारत के लिए खतरा है। यह LoC के पास चीन की रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करता है, जो भारत की सुरक्षा के लिए चिंताजनक है।

 

करोट डैम

करोट जल विद्युत परियोजना झेलम नदी पर स्थित है। यह पीओके और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है। इसकी क्षमता 720 मेगावाट की है। इसकी शुरुआत 2022 में चाइना थ्री गॉर्जेस कॉर्पोरेशन और करोट पावर कंपनी द्वारा की गई। इसे लगभग 1.7 अरब डॉलर की लागत से बनाया गया है। 2022 से चालू इस परियोजना का पाकिस्तान के बिजली सप्लाई में महत्त्वपूर्ण योगदान होगा। पीओके में होने के कारण यह भारत के लिए चिंता का विषय है। यह परियोजना पाकिस्तान में बिजली की सप्लाई में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है।

 

यह CPEC के पूरा हुए प्रोजेक्ट्स में से एक है, जो चीन के प्रभाव को इस क्षेत्र में बढ़ाता है। बांध LoC के पास है, जो कि संघर्ष की स्थिति में भारत के लिए खतरा पैदा कर सकता है  इसे संघर्ष में सामरिक संपत्ति बनाता है। युद्ध की स्थिति में, पाकिस्तान पानी के प्रवाह को रोक या बाढ़ छोड़ सकता है, जिससे जम्मू-कश्मीर में नुकसान हो सकता है। हालांकि, इसका आकार और भंडारण क्षमता सीमित होने से यह जोखिम कम है क्योंकि भारत के पास किशनगंगा जैसे अपने बांध हैं, जो झेलम नदी पर नियंत्रण रख सकते हैं।

 

नीलम-झेलम डैम

नीलम-झेलम जलविद्युत परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में नीलम नदी (झेलम नदी की सहायक नदी) पर मुजफ्फराबाद के पास स्थित है। यह 969 मेगावाट की क्षमता वाली परियोजना है, जिसकी लागत लगभग 2.2 अरब डॉलर थी। इसे चीनी द्वारा और पाकिस्तान के जल और ऊर्जा विकास प्राधिकरण (WAPDA) के सहयोग से बनाया गया, जो 2018 में लगभग पूरा हुआ और 2021 में पूरी तरह चालू हो गया।

 

नीलम-झेलम बांध 969 मेगावाट की मध्यम आकार की परियोजना है और इसका पानी भंडारण अन्य बड़े बांधों (जैसे डायमर-भाशा) की तुलना में कम है। इसलिए, पानी के प्रवाह पर इसका प्रभाव सीमित है। भारत का किशनगंगा बांध (330 MW, नीलम नदी पर) पहले से चालू है, जो भारत को नदी के प्रवाह पर कुछ नियंत्रण देता है।

मुख्य खतरा PoK में चीन की बढ़ती उपस्थिति और CPEC के जरिए भारत को घेरने की रणनीति है। PLA की संभावित उपस्थिति और LoC के पास सामरिक जोखिम भारत की चिंता बढ़ाते हैं, लेकिन सीधा सैन्य खतरा कम है।