देश के कई राज्यों में मार्च में ही भीषण गर्मी पड़ रही है। तापमान 40 पार कर गया है। गर्मी की वजह से एक तरफ आम आदमी बेहाल है, दूसरी तरफ इसका असर पक्षियों पर भी पड़ रहा है। हीट स्ट्रोक की वजह से महाराष्ट्र में कई पक्षी बेसुध होकर जमीन पर गिर पड़े। ज्यादातर पक्षी डिहाइड्रेशन की वजह से बीमार पड़े। मुंबई के बाई साकारबाई दिनशॉ पेटिट (BSDP) अस्पताल में महज 1 महीने के भीतर 81 से ज्यादा पक्षियों का इलाज किया गया है, जो हीट स्ट्रोक की वजह से बीमार पड़े थे।
पशु चिकित्सकों का कहना है कि शहर के अंदर जलाशयों की कमी है। पक्षियों को प्यास लगने पर पानी तक नहीं मिला पा रहा है। BSDP पशु अस्पताल में जिन पक्षियों को भर्ती कराया गया था, उनमें बाज और चील जैसे पक्षी ज्यादा थे। आमतौर पर बड़े जलाशयों पर ही वे निर्भर होते हैं। घरेलू पक्षियों को पानी सहजता से मिल जाता है।
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कब तक पड़ेगी ऐसी गर्मी?
मौसम विभाग (IMD) और BMC ने मार्च में बढ़ती गर्मी को लेकर पहले ही लोगों को आगाह किया था। मौसम विभाग ने कहा था कि मुंबई में हीट वेव का असर देखने को मिल सकता है, तेज गरम हवाएं चल सकती हैं। BSDP के पशु चिकित्सक डॉ. मयूर डांगर ने हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में कहा है कि पक्षी और वन्य जीवन पर भी गर्मी का असर पड़ता है।
81 पक्षी पड़े बीमार
BSDP अस्पताल में ही करीब 81 पक्षी बीमार पड़े थे। मार्च में ही 37 से ज्यादा पक्षी बीमार पड़े, जिनमें 37 चील, 22 कबूतर, 17 कौवे और ऐसे ही दूसरे पक्षी थे। साल 2024 में 160 पक्षी बीमार पड़े, मार्च 1 से मई 31 तक, करीब 70 कबूतर बीमार पड़े थे, 53 चील, 31 कौवे और 2 उल्लू। इन्हें 4 से 5 दिनों के इलाज के बाद इन्हें वापस छोड़ दिया गया था।
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रेस्क्यू के लिए कौन लेकर आता है?
ज्यादातर स्थानीय नागरिक ही पक्षियों को लेकर आते हैं, कुछ NGO भी आगे आते हैं। हाल के दिनों में 30 प्रतिशत से ज्यादा पक्षियों में डिहाइड्रेशन के मामले सामने आए हैं। पक्षियों को ड्रॉप के जरिए इल्ट्रॉल और हाइड्रेशन के लिए लिक्विड दिया जाता है। इलाज के बाद पक्षियों को वन विभाग या NGO को सौंप दिया जाता है। 2 से 3 दिन में उनकी सेहत ठीक हो जाती है। चील और बाज जैसे पक्षियों को पुनर्वास के लिए NGO को भी दे दिया जाता है, वहीं कबूतर और गौरैया जैसे पक्षियों को खुला छोड़ दिया जाता है। वे मानव बस्तियों में रहने के लिए अभ्यस्त होते हैं।
किन पक्षियों पर ज्यादा असर होता है?
बड़े पक्षी पानी के लिए पूरी तरह से बड़े जल स्रोतों पर निर्भर रहते हैं। वे कटोरे में पानी नहीं पीते। उनके लिए बड़े जलाशयों की जरूरत है, जो मुंबई शहर में कम हैं।