नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात 9 से 10 बजे के बीच में भगदड़ मची, जिसमें कम से कम 18 लोग मारे गए हैं। 25 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी हैं। प्रयागराज के महाकुंभ में जा रहे श्रद्धालु भगदड़ का शिकार हुए हैं। प्लेटफॉर्म संख्या 14 और 15 पर ट्रेन पकड़ने के लिए धक्का-मुक्की शुरू हुई, जिसके बाद अफरा-तफरी मच गई। लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरते चले गए।
भगदड़ के बाद मौके पर लोगों के बिखरे सामान नजर आए। किसी का चप्पल छूटा है, किसी का बैग। इस बदइंतजामी पर अब सवाल भी लोग उठा रहे हैं। आखिर इतनी भीड़ जब रेलवे स्टेशन पर हो रही थी, तब पुलिस क्या कर रही थी। कुछ यात्रियों ने भी प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं।
एक यात्री धर्मेंद्र सिंह ने कहा, 'मैं प्रयागराज जा रहा था लेकिन कई ट्रेनें देरी से चल रही थीं या रद्द कर दी गई थीं। स्टेशन पर बहुत भीड़ थी। मैंने इस स्टेशन पर पहली बार इतनी भीड़ देखी। मेरे सामने ही छह-सात महिलाओं को स्ट्रेचर पर ले जाया गया।'
चश्मदीदों ने हादसे पर क्या कहा है, आइए जानते हैं-
'ऐसी भीड़ तो छठ पर भी नहीं देखी'
रेलवे स्टेशन पर मौजूद एक अन्य शख्स ने कहा, 'यह मामला रात 9 बजे के आसपास का है। भीड़ हद से ज़्यादा थी, लोग पुल पर जमा थे। पुलिस संभालने की कोशिश कर रही थी लेकिन संभाल नहीं पाई। इतनी बड़ी भीड़ की उम्मीद नहीं थी। मैंने रेलवे स्टेशन पर इतनी बड़ी भीड़ पहले कभी नहीं देखी, त्योहारों के दौरान भी नहीं। प्रशासन के लोग और NDRF के जवान भी वहां मौजूद थे, लेकिन जब भीड़ हद से ज़्यादा हो गई, तो उन्हें नियंत्रित करना संभव नहीं था। ऐसी भीड़ तो हमने छठ पूजा पर भी नहीं देखी थी, पता नहीं कहां से इतनी पब्लिक आई थी।'

'मदद नहीं मिली, 50 मिनट तक देते रहे CPR'
एलएनजेपी अस्पताल में पीड़ितों में से एक के भाई संजय ने कहा, 'हम 12 लोग महाकुंभ जा रहे थे। हम प्लेटफॉर्म पर भी नहीं पहुंचे थे, बल्कि सीढ़ियों पर थे। मेरी बेटी, भाभी, भाभी वहां फंस गई। 1 घंटे तक कोई नहीं आया। हम बाहर लेकर आए लेकिन मदद नहीं मिली। 50 मिनट तक हमने सीपीआर दी। बहन सहित मेरा परिवार भीड़ में फंस गया था। हमने अपनी बहन को आधे घंटे बाद पाया और तब तक वह मर चुकी थी।'
'1981 से कुली हूं, ऐसी भीड़ जिंदगी में नहीं देखी'
रेलवे स्टेशन पर एक कुली ने बताया, 'मैं 1981 से कुली का काम कर रहा हूं, लेकिन मैंने पहले कभी ऐसी भीड़ नहीं देखी। प्रयागराज स्पेशल को प्लेटफॉर्म नंबर 12 से रवाना होना था, लेकिन इसे प्लेटफॉर्म नंबर 16 पर शिफ्ट कर दिया गया। जब प्लेटफॉर्म 12 पर इंतज़ार कर रही भीड़ और बाहर से इंतज़ार कर रही भीड़ प्लेटफॉर्म 16 पर पहुंचने की कोशिश कर रही थी, तो लोग टकराने लगे और एस्केलेटर और सीढ़ियों पर गिरने लगे। भीड़ को रोकने के लिए कई कुली वहां जमा हो गए। हमने कम से कम 15 शवों को उठाकर एम्बुलेंस में डाला। प्लेटफॉर्म पर सिर्फ जूते और कपड़े थे। जब प्लेटफॉर्म 12 पर इंतजार कर रही भीड़ और बाहर से आई भीड़ प्लेटफॉर्म 16 पर पहुंचने की कोशिश कर रही थी, तो लोग टकराने लगे और एस्केलेटर और सीढ़ियों पर गिरने लगे। हमने पुलिस और बचाव टीमों को बुलाया। 3-4 एम्बुलेंस वहां पहुंचीं और लोगों को अस्पताल ले जाया गया।'
'लोग उमड़ते गए, चेतावनी भी नहीं सुनी'
भारतीय वायु सेना (IAF) में सार्जेंट और प्रत्यक्षदर्शी अजीत ने कहा, 'रेलवे स्टेशन पर हमारा एक कार्यालय है। जब मैं अपनी ड्यूटी के बाद लौट रहा था तो मैं नहीं जा सका क्योंकि वहां बहुत भीड़ थी। मैंने लोगों को समझाने की कोशिश की और लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे बड़ी संख्या में प्लेटफ़ॉर्म पर इकट्ठा न हों। प्रशासन किसी भी दुर्घटना को रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था, लेकिन कोई भी मेरी बात नहीं सुन रहा था। मैंने अपने एक दोस्त की मदद से घायल लोगों की भी मदद की।
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'जो बाहर ठहरे, बच गए'
एक अन्य यात्री प्रमोद चौरसिया ने कहा, 'मेरे पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस का स्लीपर क्लास का टिकट था, लेकिन कन्फर्म टिकट वाले भी ट्रेन में नहीं चढ़ पाए। मेरा एक दोस्त भीड़ में फंस गया। बहुत ज्यादा धक्का-मुक्की हुई। हम अपने बच्चों के साथ बाहर इंतजार करके सुरक्षित रहने में कामयाब रहे।'
हादसे के बाद अब क्या होगा?
रेलवे बोर्ड ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव तक की इस घटना पर नजर है। हादसे की वजहें तलाशी जा रही हैं। सीसीटीवी फुटेज देखे जा रहे हैं।